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विरत्न विभूति का नाम है आ. भिक्षु - साध्वीश्री अणिमाश्रीजी


गुवाहाटी 29 जुलाई। साध्वीश्री अणिमाश्रीजी एवं साध्वीश्री मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन के सुरम्य प्रांगण में सैंकड़ो श्रद्धालूओं की उपस्थिति में आचार्य भिक्षु जन्म दिवस एवं बोधि दिवस का भव्य कार्यक्रम समायोजित हुआ। 
      साध्वीश्री अणिमाश्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा मस्तिष्क के सूक्ष्म प्रकोष्ट की सक्रियता को लेकर जन्म लेने वाले तेजस्वी बालक का नाम है आचार्य भिक्षु। सिंह स्वप्न के साथ अपने प्रभावशाली पराक्रम का पैगाम देने वाला महामनस्वी का नाम है आ. भिक्षु। बाहर भटकती चेतना को भीतर की ओर ले जाकर शास्त्रो के समुंद्र में अवगाहन कर बोधि मुक्ताओ को प्राप्त करने वाली विरत्न विभूति का नाम है आ. भिक्षु। आगम वाणी के अमृत को पान कर जन जन में संयम, तप, त्याग की अंतर चेतना को झंकृत करने वाले तपस्वी का नाम है - आचार्य भिक्षु। आज हम सब तेरापंथ के प्राण आ. भिक्षु का जन्मोत्सव एवं बोधि दिवस समारोह युगपत् मना रहे है। जन जन के भीतर आ. भिक्षु के प्रति उमड़ते आस्था के पारावार को देखकर यू लग रहा है कि इस पंचम कलिकाल में आचार्य भिक्षु सतयुग की बहार लेकर आए। तीर्थंकर तुल्य आचार्य भिक्षु के चरणो में विनम्र भावांजलि। 
    साध्वीश्री मंगलप्रज्ञाजी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा आ. भिक्षु का सपना था - सत्य का साक्षात्कार।  उनका संकल्प था जैन आगमों में निरूपित शुद्ध साध्वाचार का पालन। उनके द्वारा जलाया हुआ दीपक था - पुरुषार्थ। उनकी मंज़िल थी वीतरागता अन्तर्मुखता।  उनके चरण हमेशा वीतराग दिशा की तरफ ही बढ़ते रहे।  ऐसे वीतरागी पुरुष आ. भिक्षु को श्रद्धा नमन। 
साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंच संचालन करते हुए कहा - आचार्य भिक्षु के जन्म का अर्थ - सत्य का जन्म, मर्यादा का जन्म, अनुशासन का जन्म, संयम, तप, त्याग का जन्म।  ऐसे विलक्षण महापुरुष को कोटिश: नमन।
सभा के मंत्री श्री निर्मल कोटेचा, श्री सुरेश जी सुराणा, श्री विजय सिंह चौरड़िया, श्रीमती पुष्पा कुण्डलिया ने अपने  विचार व्यक्त किये। श्रीमती मुनी डोसी, सुनीता गुजरनी व राखी चौरड़िया ने मंगल संगान किया। 

JTN  गुवाहाटी : संजय चौरड़िया, राजू देवी महनोत 




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