०७ जुलाई. तेरापंथ के एकादशाम अधिशास्ता परमपूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का आज का प्रवास तरहरा स्थित चावल मिल में हुआ. पूज्य्प्रवर ने प्रात:कालीन प्रवचन में फरमाया कि- विवेक ही धर्म है. व्यक्ति में विवेक है तो मानना चाहिए कि वह एक बड़ी उपलब्धि से सम्पन्न हो जाता है. व्यक्ति अपनी हर क्रिया विवेकयुक्त करें या ज्ञानियों का मार्गदर्शन लेता रहे.
व्यक्ति विवेक्पून्र तरीके से जीवन को आगे बढाएं तो जीवन धन्य व कृतपूण्य बन सकता है.
पूज्य्प्रवर ने "भिक्षु बाबा लो हमारी वंदना" गीत का संगान किया.
साध्वी प्रबुद्दयशाजी ने "मत कर रे तुं मोह जगत स्यूं." गीत का संगान किया.
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