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जन्म नहीं ,बोधि का होना विशेष बात

आचार्य भिक्षु का 290वाँ जन्मदिवस बोधिदिवस के रूप में मनाया गया
जन्म नहीं ,बोधि का होना विशेष बात : आचार्यश्री महाश्रमण 

विराटनगर.29-7-15. परमपूज्य महामना आचार्य श्री भिक्षु के 290वें जन्मदिवस (बोधि दिवस) के अवसर पर परमपूज्य महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण ने उनके प्रति श्रद्धा सम्मान अर्पित करते हुए फरमाया कि- बोधि तीन प्रकार की होती है। ज्ञान बोधि,दर्शन बोधि,चारित्र बोधि। आज आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी का दिन है। आचार्य भिक्षु के जन्मदिवस के रूप में आज का दिन प्रतिष्ठित है। इसी दिन को आचार्य महाप्रज्ञ जी ने बोधि दिवस के रूप में स्वीकार किया था। व्यक्ति का जन्म होना बड़ी बात नहीं है। हर प्राणी जन्म लेते है, पर बोधि का होना अपने आप में विशेष बात है।

पूज्यवर ने आचार्य भिक्षु के राजनगर प्रवास का संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत किया और "तेरापंथ अधिराज भिक्षु स्वामी पधारो जी" गीत का संगान किया।

साध्वीप्रमुखा श्री जी कनकप्रभा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जन्म वि.स.1783 आषाढ़ शुक्ला त्रयोदशी को हुआ। उनका शायद ही गृहस्थ जीवन में जन्मदिन मनाया गया हो। वे साधु बने और बाद में धर्मक्रांति की. वि.स. 2039 में आचार्य तुलसी का चातुर्मास करने राणावास पधार गए थे। कंटालिया के  लोगों ने विशेष प्रार्थना की कि आचार्य भिक्षु का जन्म-दिवस कंटालिया में मनाया जाये। आचार्य श्री तुलसी कंटालिया पधारे और पहली बार विधिवत आचार्य भिक्षु का जन्मदिवस मनाया गया। इसके बाद ही बोधि दिवस राजनगर के श्रावकों के निवेदन पर चला। आज हम परमपूज्य आचार्यवर की सन्निधि में आचार्य भिक्षु का जन्मदिवस मना रहे है क्यूंकि वे आदर्श व क्रांतिकारी,कान्तद्रष्टा थे।
कार्यक्रम में मधुर संगायक मुनि राजकुमार जी ने "आत्मा की ज्योति जगाओ स्वामीजी" व  साध्वियों व समणियों ने "बाबै भीखण री जय बोलो" गीत का संगान किया। साध्वी प्रबुद्धयशा जी ने सारगर्भित वक्तव्य दिया।

चेन्नई से सभागत "गुरुदर्शन यात्रा" संघ की और से संयोजक बेगराज आच्छा ने अर्ज की।सभागत श्रावक-श्राविकाओं ने समूह रूप में "पावस लेने आये है" गीत का संगान कर दक्षिण पधारने की अर्ज की।

कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।

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