दिनांक 11.08.2015. विजयनगर के अर्हम भवन में शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा5 के सानिध्य में नव वधु सम्मलेन आयोजित हुआ। जिसमे "कैसे करे तेजस्विता का विकास" विषय पर बहनो को प्रशिक्षित किया गया।

साध्वी कंचनप्रभा जी ने फ़रमाया महिलाओ का सौंदर्य आभूषणों से नहीं आंतरिक सद्गुणों के विकास से है। महिला को ममता की प्रतिमूर्ति कहा जाता है उनका जीवन देहलीज के दीपक के समान होता है जो 2 परिवारो को रोशन करता है। महिलाओ में सेवा भावना, सकारात्मक सोच, परिवार में सबके प्रति आत्मीयता का भाव हो तो स्वयं का एवं पुरे परिवार का तेजस्वी रूप निखार सकती है। इसके लिए महाप्राण ध्वनि,मैत्री की अनुप्रेक्षा और ज्योति केंद्र पे ध्यान देना जरुरी है। इस से भीतर का रासायनिक परिवर्तन होता हैं।
अध्यक्षा श्रीमती पुष्पा जी गन्ना एवं नवमनोनीत अध्यक्षा श्रीमति निर्मला सोलंकी ने अपने विचार व्यक्त किये। श्रीमती वीणा जी बैद ने शरीर के 13 चैतन्य केन्द्रो को जाग्रत कर तेजस्विता को बढ़ाने का रोचक प्रशिक्षण दिया। श्रीमती मंजू लुनिया ने अनुप्रेक्षा के प्रयोग करवाये एवं श्रीमती कुसुम डांगी ने सत् साहित्य के महत्व के बारे में बताया। साध्वी वृन्द एवं नववधुओ ने गीत का संगान किया। साध्वी मंजू रेखा जी ने कहा की अध्यात्म जीवन में समता सहिष्णुता एवं संयम को प्रतिष्टित करता है उस से जीवन में तेजस्विता आती है।
इस सम्मलेन में 105 बहिने संभागी बनी। श्रीमती सुशीला बाई हीरालाल जी मांडोत कार्यक्रम के प्रायोजक थे। सम्मलेन का सञ्चालन विजयनगर सय्योजिक श्रीमती बरखा पुगलिया ने किया।
अभिषेक कावड़िया
JTN टीम बैंगलोर
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