साध्वीश्री अणिमाश्रीजी एवं साध्वीश्री मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में वृहद श्रावक सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे असम एवं पूर्वोत्तर राज्य के श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। लगभग तीस क्षेत्रो के श्रावक-श्राविकाओं सहित इस कार्यक्रम में समारोह अध्यक्ष के रूप में महासभा के मुख्या न्यासी श्री विमलजी नाहटा, मुख्य अतिथि एवं वक्ता महासभा के महामंत्री श्री विनोदजी बैद, महासभा के उपाध्यक्ष श्री तरुणजी सेठिया, असम महासभा प्रभारी दिलीपजी दुगड़ विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। महासभा पूर्व अध्यक्ष श्री भंवरलालजी डागा, कार्यकारिणी सदस्य श्री शांतीलालजी खटेड़ एवं श्री अशोकजी सेठिया विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ा रहे थे। 'संघीय विकास में हमारा योगदान' इस थीम पर आधारित इस श्रावक सम्मेलन का केंद्र बिंदु पूज्य गुरुदेव का आसाम एवं गुवाहाटी चातुर्मास था। हर संभागी में पुज्यप्रवर के प्रवास एवं चातुर्मास को ऐतिहासिक बनाने का उत्साह परिलक्षित हो रहा था। शानदार उपस्थिति के साथ सम्मेलन प्रातः 8 बजे से साय: 5:15 बजे परिसम्पन्न हुआ। चारों सत्रों में उपस्थिति बहुत अच्छी थी। हर सत्र अपने आप में महत्वपूर्ण था।
प्रथम सत्र में साध्वीश्री अणिमाश्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा - श्रावक जीवन एक ऐसी उपजाऊ एवं उर्वर मिट्टी के खेत की तरह है जिसमे जैसे बीज बोए जाएंगे, उन्ही के अनुसार फसल तैयार हो जाएगी।सब लोग इस बात को अच्छी तरह जानते है क़ि अच्छी फसल के लिए बीज भी अच्छे होने चाहिए। अगर जीवन में कटु फल से बचना है तो बीज बोते समय ही परख चाहिए क़ि बीज कैसे है? आखिर फल तो वैसा ही होगा जैसे बीज होगे। श्रावक का जीवन एक आचार-संहिता में ढला होना चाहिए। श्रावक अपने जीवन को तो समुन्नत करता ही है साथ-साथ पुरे परिवेश में एक सशक्त तब्दीली का वातावरण तैयार कर सकता है।
साध्वीश्रीजी ने कहा - आज का यह श्रावक सम्मेलन अपने आप में विशिष्ट इसलिए है क़ि 2016 में धर्मसंघ के महासूर्य परम प्रतापी पुरुष आचार्य श्री महाश्रमणजी का अपने धवल परिवार के साथ गुवाहाटी सहित असम प्रान्त में शुभागमन होने वाला है। इस महनीय अवसर पर और अधिक महिमा-मंडित बनाने एवं पूज्यश्री को अपनी श्रद्धा समर्पित करने हेतु श्रावक समाज को कटिबद्ध होना है। अहिंसा यात्रा के पुरोधा पुरुष की अगवानी के लिए लालायित श्रावक समाज नशा मुक्त जीवन-शैली से जुड़कर अनेक-अनेक व्यक्तियों को इस दिशा में प्रेरित करे। साध्वीश्रीजी के आह्वान को स्वीकार कर सैंकड़ों-सैंकड़ों व्यक्तियों ने नशामुक्ति का संकल्प स्वीकार किया।
साध्वीश्री मंगलप्रज्ञाजी एवं अन्य साध्वीवृंद ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
संजय चौरड़िया, राजू देवी महनोत, जैतस, गुवाहाटी
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