Acharya Mahashraman ji giving discourse at Chakrdah |
अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमणजी के नेतृत्व में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संदेश को लेकर चल रही अहिंसा यात्रा आज सुबह फारविसगज से चक्रदाह राइस मील पहुंची। रास्ते में हजारों श्रद्धालुओं ने आचार्य श्री महाश्रमणजी के दर्शन किये।
कहाॅ और कैसे बोले ?
तेरापंथ धर्म संघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रातःकालीन उद्बोधन में श्रद्वालुओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में शरीर, वाणी और मन यह तीन प्रवति के साघन है। शरीर सें हम चलना, फिरना, खाना अन्य र्वििभन्न काम कर सकते है मन सें चिन्तन समृति कल्पना करते है और वाणी से हम बोलते है बोलना हमारे जीवन का एक अनिवार्य सा कार्य है क्यो कि .......(पूरा प्रवचन नीचे दी हुई प्रवचन इमेज में )
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