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सच्चाई संप्रदाय से अधिक महत्वपूर्ण : आचार्य श्री महाश्रमण

परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी के नेतृत्व में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संदेश को लेकर चल रही अहिंसा यात्रा आज सुबह बनमनखी से सरसी पहुंची। रास्ते में हजारों श्रद्धालुओं ने आचार्य श्री के दर्शन किये।
आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रातःकालीन उद्बोधन में श्रद्वालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा किं धार्मिक जगत में  मोक्ष का सर्वोपरि स्थान है। धर्म की साधना का अन्तिम या परम लक्ष्य मोक्ष होता है। सम्यक दर्शन, सम्यक और सम्यक चारित्र मोक्ष का मार्ग है। आदमी की श्रद्वा सही हो, आदमी का ज्ञान सही हो और आदमी का आचरण भी सही अच्छा होना चाहिए.
भिन्न भिन्न धर्मो को मानने वाले लोग इस दुनिया में होते है, धर्म संप्रदयों से आदमी को शिक्षा मिलती है। संप्रदाय का महत्व है। संप्रदाय से सुरक्षा भी मिलती है। पथ दर्शन भी मिल जाता है।
अगर जीवन में अहिंसा, सच्चाई की साधना नहीं है, तपस्या नही है तो कल्याण कैसे हो सकता है? जीवन के आचरणों में धर्म आना चाहिए। आदमी के जीवन में ईमानदारी, सच्चाई होनी चाहिए। सच्चाई के प्रति आदमी की आस्था होनी चाहिए। और सम्पदाय से उपर का स्थान सच्चाई का होता है। अगर सच्चाई और संप्रदाय दोनों के बीच का चुनाव करने की बात आ जाए तो आदमी को सच्चाई का चुनाव करना चाहिए। जीवन में हमें सच्चाई की साधना करनी चाहिए।
आचार्यश्री के सान्निध्य में सभी ग्रामवासियों  ने जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संकल्प लिया। तेरापंथ महिला मण्डल और तेरापंथ कन्या मण्डल ने आचार्यश्री के स्वागत में गीतिका की प्रस्तुति दी। पूज्य प्रवर के स्वागत में विधायक कृष्ण कुमार भारती कन्नेयालाल सिंघी, पुखराज सेठिया सुशील सिंघी, विजय सिंघी, मनोज सिंघी, सगीता पटावरी, ललिता बाठिया ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यकम का संचालन मुनि श्री दिनेशकुमार जी ने किया।

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