
भट्ठा बाजार, पूर्णिया. 18 जन. अहिंसा यात्रा आज सुबह रानीपतरा से भट्ठा बाजार पूर्णिया पहुंची। रास्ते में हजारों श्रद्धालुओं ने आचार्य श्री महाश्रमणजी के दर्शन किये। भट्ठा बाजार पहुंचते ही यात्रा का भव्य स्वागत किया गया है। स्काउट एंड गाइड के बच्चे जहां अपने ड्रेस में सजकर ढोल-नगाड़े बजा रहे थे तो वहीं अन्य बैंड पार्टियां भी अपने भक्ति धुनों से लोगों को आकर्षित कर रही थी। वहीं स्कूली बच्चे अपने हाथों में स्लोगन लिखे तख्तियों से लोगों को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे।

पूज्यप्रवर ने अपने प्रातःकालीन उद्बोधन में श्रद्वालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि- स्वाध्याय करने का धार्मिक व व्यवहारिक जीवन में विशेष महत्व होता है। स्वाध्याय का संधि विच्छेद करते हुए बताया कि इसका सीधा अर्थ स्वयं का अध्ययन होता है। जब आदमी स्वयं का अध्ययन कर ले तो अपने आप वह वास्तविक सुधार कर सकता है और अपना समूल विकास कर सकता है। स्वाध्याय करने से ज्ञान का नैतिक विकास होता है। सत्यता की पहचान होती है। उसके बाद जीवन को शांति व सौहार्दपूर्वक तरीके से व्यतीत किया जा सकता है। सत्य को जानने से चेतना सुन्दर बन जाती है। शरीर की सुन्दरता भी मायने रख सकती है लेकिन चेतना की सुन्दरता का कोई मोल नहीं होता। ज्ञान के प्रकाश में चलना अहिंसा के मार्ग पर चलने जैसा है।

आचार्य श्री के सान्निध में सभी ग्रामवासियो ने जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संकल्प लिया। साध्वी श्री आरोग्यश्री ने पूज्यप्रवर के स्वागत मे अपने विचार प्रस्तुत किए। तेरापंथ महिला मण्डल एवं तेरापंथ कन्या मंडल ने पुज्यप्रवर के स्वागत में गीतिका प्रस्तुत की। तेरापंथ युवक परिषद के गौरव दुगड़ ने पुज्यप्रवर के स्वागत में गीतिका प्रस्तुत की। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष विजय सिंह नाहर, आचार्य महाश्रमण व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कमल सिंह कोचर, भट्ठा बाजार पूर्णिया की वार्ड मेबर श्वेता राय ने पूज्य प्रवर के स्वागत मे अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यकम का संचालन मुनि श्री दिनेशकुमार जी ने किया।
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