शादपुर राजवाड़ा, 10 जन.। महातपस्वी महामनस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी ने फरमाया कि आदमी को बहुश्रुत की पर्युपासना करनी चाहिए। जो आदमी अपना इहलोक और परलोक दोनो का हित चाहता है, वह बहुश्रुत से ज्ञान प्राप्त करेगा और ज्ञान के अनुसार आचरण करेगा । जैन धर्म का अपना ज्ञान भण्डार है। आगम विशद् ज्ञान भण्डार है।
परम पुज्य गुरूदेव तुलसी के द्वारा आगम सपांदन का कार्य शुरू किया गया था। परम पुज्य आचार्य महाप्रज्ञजी का भी साहित्य प्राप्त है। तो उनसे ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। वह ज्ञान कल्याणकारी ज्ञान है जिस ज्ञान को पाकर आदमी राग से वैराग्य की ओर आगे बढता है, भोग से योग की ओर आगे बढता है। वह ज्ञान कल्याणकारी ज्ञान हैं। जिस ज्ञान को पाकर आदमी कल्याण में अनुरक्त हो जाता हैं। जिससे मैत्री की भावना से चित्त भावित हो जाता है और जिससे तत्व का बोध हो जाता है।
अभातेयुप के सहमंत्री पंकज डागा एवं अन्य साथियो ने गीतिका की शानदार प्रस्तुति दी। पूज्य प्रवर के स्वागत मे मिथलेश कुमार गुप्ता ने अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यकम का संचालन मुनि श्री दिनेशकुमार जी ने किया।
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