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अहिंसा यात्रा का किशनगंज प्रवेश

किशनगंज,10 फरवरी। अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री के नेतृत्व में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संदेश को लेकर चल रही अहिंसा यात्रा आज सुबह खगड़ा कैम्प से किशनगंज में स्थित दिगम्बर जैन भवन पहुंची। आचार्यश्री महाश्रमण जी ने किशनगंज को सात दिवसीय प्रवास के साथ ही मर्यादा महोत्सव की सौगात प्रदान की है। महातपस्वी आचार्य महाश्रमण के दर्शन का लाभ लेने के लिए बुधवार को पूरा किशनगंज ही उमड़ पड़ा था। बच्चे, बुढ़े, महिला, पुरूष सभी उस महान आचार्य के दर्शन को लालायित थे जिनके लिए महीनों से किशनगंज को सजाया जा रहा था। बुधवार को सुबह सात बजे सर्किट हाउस से आचार्यश्री का विहार हुआ और अहिंसा यात्रा बढ़ चली किशनगंज की सीमा की ओर। यात्रा के स्वागत को आतुर किशनगंजवासी रूईधासा मैदान से जब यात्रा में शामिल हुए तो सड़कों पर केवल जनसैलाब ही नजर आ रहा था। ‘‘जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण’’ के गगनभेदी नारों से पूरा शहर गूंज उठा। सद्भावना की मिसाल प्रस्तुत करते हुए इस यात्रा की अगुवानी में सभी धर्म व समुदाय के लोगों ने अपनी भागीदारी निभाई। ढ़ोल-नगाड़े पर पड़ता थाप, बैंड-बाजों के झंकृत स्वर और जयकारों का उद्घोष पूरे वातावरण को पवित्र बना रहा था।

अच्छे गुणों को अपनाएं
महातपस्वी महामनस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रातःकालीन उद्बोधन में फरमाया कि आदमी गुणों से साधु बनता है और अगुणों से असाधु बनता हैै। अच्छे गुणों को ग्रहण करना चाहिए और यदि जीवन में अवगुण हों तो उन्हें छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। जितना हमारा जीवन सद्गुण संपन्न बनेगा हम उतने ही कल्याणयुक्त बन जाएंगे। यदि जीवन में दुर्गुणों का समावेश होगा तो हम अपने आप में दरिद्र बन जाएंगे और दुर्जनता को प्राप्त हो जाएंगे। दुनिया में सज्जन और दुर्जन लोग मिलते हैं। सज्जन और दुर्जन के चेहरे में अंतर हो यह जरूरी नहीं है। चेहरे में समानता होने के बावजूद भी एक आदमी सज्जन तो एक आदमी दुर्जन हो सकता है। इस अहिंसा यात्रा में तीन बातों का प्रचार किया जा रहा है। सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति। सद्भावना यानि अच्छी भावना। एक नगर में विभिन्न धर्म, समुदाय या राजनैतिक पार्टियां हो सकती हैं। उन सबके बीच एक मैत्री भाव हो दंगा-फसाद न हो इसके लिए सद्भावना पूर्ण वातावरण का होना आवश्यक है। दूसरा सूत्र है नैतिकता। आदमी जो भी धंधा, व्यापार या लेन-देन करे, उसमें जहां तक संभव हो सके ईमानदारी बरतनी चाहिए। आदमी को बेईमानी से बचना चाहिए। तीसरा सूत्र है नशामुक्ति। बीड़ी, सिगरेट, खैनी, गुटखा व शराब जैसे किसी भी नशीले पदार्थ का उपयोग न करना। यह तीन बातें यदि गृहस्थ जीवन में आ जाए तो ऐसा तो मानना चाहिए कि उसके जीवन में सद्गुण आ गए हैं।
बिहार में प्रथम मर्यादा महोत्सव:
पूज्य्प्रवर ने फरमाया कि आज हमलोग बिहार प्रांत के किशनगंज नगर में प्रवृष्ट हुए हैं। एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के साथ आए हुए हैं। जैन समाज के मुख्य रूप से दो परंपराएं होती हैं एक दिगम्बर परम्परा जो साधु निर्वस्त्र होते हैं और दूसरा श्वेतांबर जो श्वेत कपड़े पहनते हैं। हमलोग श्वेतांबर परंपरा से हैं। श्वेतांबर परंपरा में भी अनेक संप्रदाय हैं लेकिन हमलोग जिस संप्रदाय में साधना में साधनारत हैं वह श्वेतांबर तेरापंथ है। आज से 256 वर्ष पूर्व इस संपद्राय का शुभारंभ हुआ। इस धर्म के संस्थापक, सारथी, प्रवर्तक परमपूज्य आचार्य भिक्षु थे। जिन्होंने इसे एक शासन और मर्यादा दी। यह बहुत अच्छी बात है कि प्रभु के इस पंथ पर चलने का मौका मिला। आचार्यश्री ने कहा कि मर्यादा महोत्सव की परंपरा हमारे धर्मसंघ के चैथे गुरु जयाचार्य द्वारा आरंभ की गई। जब से लेकर मर्यादा हर वर्ष मर्यादा महोत्सव माघ महीने में मनाया जाता है जो हमारा सबसे बड़ा उत्सव होता है। तेरापंथ के इतिहास का यह 152वां मर्यादा महोत्सव है जो पहली बार बिहार प्रांत को मिला है। किशनगंज को हमने यह प्रोग्राम करने का निर्देश दिया। नेपाल में चतुर्मास करने के बाद उसके समीपवर्ती बिहार प्रान्त को मर्यादा महोत्सव का सुअवसर प्राप्त हुआ। यह मेरे लिए भी संतोषप्रद है। इसके लिए आज हम किशनगंज में आए हैं। हमारे साथ जो साधु-साध्वियां नेपाल में थे वे आज यहां पहुंचे हैं और अनेक सिंघाड़े भी यहां पहुंच गए हैं। समण-समणियां भी पहुंच रहे हैं। अब यहां सभी विशेष रूप से इस मर्यादा महोत्सव के लिए पहुंचे हैं। मर्यादा की रक्षा यदि हम करेंगे तो मर्यादाएं हमारी रक्षा करेंगी। क्योंकि कहा गया है ‘‘धर्मो रक्षति रक्षितः’’ धर्म की रक्षा हम करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा। इसलिए हम आत्मकल्याण के लिए मर्यादाओं का पालन करें। जो आचार्यों ने हमें मार्गदर्शन दिया है उसके प्रति निष्ठा रखें और उसपर आगे बढ़ें। यहां के लोगों व बाहर से आने वाले लोगों को भी इससे आध्यात्म की दिशा में आगे बढ़ने का लाभ मिले, ऐसी मेरी मंगल कामना है

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री का निधन 
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री सुशील जी कोइराला के निधन पर आचार्यश्री ने कहा कि हमारे नेपाल प्रवास के दौरान वे आए थे। हम उनकी नेपाल के परिजनों को खूब साहस मिले और उनकी अत्मा को परम शांति मिले ऐसी कामना करते हैं। 

आचार्यश्री के सान्निध्य में सभी ग्रामवासियो ने जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का संकल्प लिया। आचार्यश्री के प्रवेश के साथ ही मर्यादा महोत्सव में शामिल होने पहुंची साध्वी प्रमिला कुमारी जी ने आचार्यश्री का स्वागत किया और अपनी गीतिका की प्रस्तुती दी। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल, ज्ञानशाला व तेरापंथ समाज ने पूज्य प्रवर के स्वागत में गीतिका की प्रस्तुती दी। कोचाधामन के विधायक मास्टर मुजाहिद आलम, किशनगंज नगर परिषद अध्यक्ष आंची देवी जैन, किशनगंज मेडिकल कालेज के सचिव जुगल किशोर तोषनीवाल, बीएसएफ कमांडेंट नंदराम, तौहिद एजुकेशनल ट्रस्ट के मोतीउर रहमान, दिगंबर जैन समाज के अध्यक्ष त्रिलोकचंद जी जैन, मारवाड़ी ब्राह्मण समाज के ब्रजमोहन व्यास, मर्यादा महोत्सव के अध्यक्ष राजकरण दफ्तरी, मंत्री बिमल कुमार दफ्तरी, सभा अध्यक्ष तोलाराम छाजेड़, मंत्री चैनरूप दुगड़ व तेयुप अध्यक्ष मनीष दफ्तरी ने पूज्य प्रवर के स्वागत में अपने विचार प्रस्तुत किए। । कार्यकम का संचालन मर्यादा महोत्सव समिति के सहमंत्री कमल छोरिया ने किया।

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