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ये कोई उत्सव का प्रसंग नहीं बल्कि मनुष्य को उसकी मर्यादा से अवगत कराना है - शासन श्री साध्वी नगीना श्री जी



आचार्य श्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री नगीना श्री जी एवं साध्वी श्री मधुबाला श्री जी एवं साध्वी वृंद के सान्निध्य में मर्यादा महोत्सव कार्यक्रम का भव्य आयोजन अणुव्रत सभागार वाशी में हुआ। जिसमे मुम्बई के अलावा नेरुल, सीबीड़ी बेलापुर, कामोठे, खारघर, पनवेल, उरण, तुर्भे, घणसोली, कोपर खेरने, ऐरोली आदी क्षेत्रो से श्रावक समाज उपस्थित था। कार्यक्रम की शुरुवात साध्वी श्री मधुबाला श्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से हुई । सीबीडी बेलापुर महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति दी गई।तेयुप वाशी मंत्री विमल सामर ने कार्यक्रम में आये श्रावक समाज एवं अतिथियों का स्वागत किया। महिला मंडल सयोजिका सुमन बाफना, निर्मला चंडालिया, प्रकाश बोहरा ने अपने विचार रखे।


  
नववधुओं ने सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी जिनके बोल थे "यह संघ हमारा मथुरा काशी अरष्ठ तीर्थ समाए" जिसे सुनकर हर कोई भावविभोर हो गया। ज्ञान शाला के बच्चों ने तेरापंथ धर्मसंघ की अब तक यात्रा एवं धर्मसंघ के गुरुवों के संघर्ष को नाटक के माध्यम से प्रस्तुति दी। स्वरांजलि ग्रुप द्वारा सुन्दर गीतिका की प्रस्तुति दी जिनके बोल थे " जय जय जिन शासन जय जय अनुशासन "। इस प्रस्तुति से अणुव्रत सभागार में मौजूद सैकड़ों श्रावक गुरु चरणों में मानों पूरी तरह से लीन हो गए हों।



साध्वी पदमावती जी, साध्वी विज्ञान श्री जी, साध्वी मर्यादा श्री जी, साध्वी डॉ.गवेषणा श्री जी, साध्वी मेरुप्रभा जी, साध्वी सौभाग्य श्री जी, साध्वी मयंकप्रभा जी, साध्वी मंजुलयशा जी ने मर्यादा के महत्व को समझाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस नामक नाटक की प्रस्तुति दी। जिसमें मर्यादा महोत्सव से जुड़े सवाल जवाब हुए। ताकि श्रावक समाज को मर्यादा महोत्सव के महत्व को लोगों तक पहुँचाया जा सके। साथ ही साध्वी वृन्दो ने नाटक के माध्यम से धर्मसंघ की मर्यादा महोत्सव के महत्व को समझाया।


साध्वी श्री मधुबाला जी ने कहा कि मर्यादा हमारी सुरक्षा करता है। मर्यादा हमारा कवच है जो हमारी सुरक्षा में हमेशा हमारे साथ रहता है। यही वजह है कि पूज्य गुरुदेव मर्यादा महोत्सव के माध्यम से श्रावक समाज को मर्यादाओं की महत्वत्ता को समझाते हैं। उन्हें मर्यादा में रहने के लिए कहते है।
" शासन श्री" साध्वी श्री नगीना श्री जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु जैसे वीर पुरुष नहीं होते तो तेरापंथ धर्मसंघ नहीं होता। विषम परिस्थितियों में भी उनके दृढ़ संकल्प की बदौलत ही धर्मसंघ आज यहाँ तक पंहुचा। 600 धर्म सम्प्रदाय हैं मगर कही भी मर्यादा महोत्सव नहीं मनाया जाता है ।मर्यादा महोत्सव सिर्फ तेरापंथ धर्मसंघ में ही मनाया जाता है। ये कोई उत्सव का प्रसंग नहीं बल्कि मनुष्य को उसकी मर्यादा से अवगत कराना है। अंत में साध्वी वृन्दों ने सुन्दर गीतिका की प्रस्तुति दी। संघगान की प्रस्तुति कमलेश डांगी ने दी। 


मंच का संचालन तेयुप वाशी अध्यक्ष निरज बम्ब एवं उपासक रतन सिंयाल ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रवीण कच्छारा, गौतम कोठारी, भगवती लाल चपलोत, तनसुख चोरडिया, विनोद बाफना, महावीर बाफना, बाबूलाल सिंघवी, निर्मल बाफना, विकाश मेहता, महावीर आच्छा, जसराज कोठारी, राजेश बम्ब, देवेन्द्र चंडालिया,तिलकेश गोखरू, श्रेयांश कोठारी, मुकेश चपलोत, विमल कोठारी, अमित आंचलिया, मनीष दुग्गड़, पुखराज संचेती, जिनेश ढलावत आदी का सहयोग रहा। 

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