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चित्त को प्रसन्न बनाती है सत्संगति - आचार्य महाश्रमण

परमपूज्य आचार्य महाश्रमणजी आज 16 मार्च को हाशिमारा से विहार करके कालचीनी पधारे। यहां पर तेरापंथ समाज का एक ही परिवार बांठिया सदन में पूज्यप्रवर ने अपना प्रवास किया। अहिंसा यात्रा के आगमन से जैनेत्तर समाज में अत्याधिक उत्सुकता एवम् आह्वाद का माहौल था ।बौद्ध समाज का प्रतिनिधत्व करते हुए कुछ बौद्ध भिक्षुओं ने जुलुस में सांस्कृतिक वाद्ययंत्र से ध्वनि प्रस्फुटित करते हुए पूज्यप्रवर का भव्य स्वागत किया। बांठिया सदन के परिसर में आयोजित प्रातः कालीन कार्यक्रम में विशाल जनमेदिनी को संबोधित करते हुए पूज्यप्रवर ने फ़रमाया कि सद्ज्ञान मिलने का एक माध्यम है - सत्संगति , धार्मिक साहित्य में सत्संगत की महिमा गायी गयी है। बुद्धि की जड़ता को सत्संगति हर लेती है ।आदमी की बुद्धि सदबुद्धि बन जाती है । आदमी सच्चाई को अपना लेती है , उसका मान सम्मान भी बढ़ता है , पाप दूर कर देती है सत्संगति , चित्त को प्रसन्न बना देती है , दिशाओं में उस आदमी की कीर्ति फैलाती है , क्या क्या काम सत्संगति नही करती?
सत्संग का रसपान करते हुए समुवस्थित विशाल जैनेत्तर समाज को संप्रेरित करते हुए राष्ट्र सन्त आचार्य प्रवर ने फ़रमाया कि साधुओं की संगत सत्संगत होती है , साधुओं के दर्शन भी अपने आप में पुण्य होते हैं, पवित्र होते हैं ।साधू तो तीर्थ होते हैं , जंगम तीर्थ , चलते फिरते तीर्थ होते हैं।साधुओं की संगती मिले तो अच्छा , अगर नहीं भी मिले तो साहित्य की भी सत्संगत हो सकती है। अच्छा साहित्य आदमी पढ़े तो साहित्य की सत्संगत और मीडिया के अच्छे प्रसारण को सुने- देखें तो मीडिया की भी सत्संगत हो सकती है।

कुशल प्रवचनकार आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आगे फ़रमाया कि आदमी अच्छे माहौल में रहता है तो उस पर अच्छा प्रभाव पड़ सकता है और आदमी गलत माहौल में रहता है तो उस पर गलत असर भी हो सकता है। इसीलिए संगति भी अच्छी होनी चाहिए।

सह सत्संगत की बात महत्वपूर्ण है , शिष्ट लोग जहां हो उनके आस - पास  रहने से , ज्ञानी के आस - पास रहने से आदमी में अच्छे संस्कार और अच्छा ज्ञान आ सकता है। जिनके पास रहें उनसे कुछ लेने का, सीखने का प्रयास करें।

पूज्यप्रवर के स्वागत में बांठिया परिवार की बहनों द्वारा स्वागत गीत की प्रस्तुति हुई। नवरतनमल जी बांठिया व अग्रवाल महिला मण्डल ने भी गीत के माध्यम से पूज्यप्रवर का स्वागत किया । अजय जी बांठिया , राजेश जी बांठिया , जूली सिसोदिया , नरेंद्र जी संचेती ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। मारवाड़ी समाज कालचीनी की और से सुरेश जी अग्रवाल ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया।

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