बरपेटा रोड में पूज्य प्रवर का हुआ भव्य स्वागत
अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री के नेतृत्व में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संदेश को लेकर चल रही अहिंसा यात्रा आज सुबह सरभोग से बरपेटा रोड में स्थित तेरापंथ भवन पहुंची। जहां यात्रा का भव्य स्वागत हुआ। यात्रा का स्वागत करने के लिए जैन समाज के लोगों के अलावा सभी समुदायों के लोग उपस्थित थे। सभी के मन में उल्लास था। क्योंकि इस पूर्वोत्तर की धरती पर अब तक के इतिहास में जैन श्वेतांबर तेरापंथ के प्रथम आचार्य का पदार्पण हो रहा था। अहिंसा यात्रा के तीन संकल्पों सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति पर आधारित बच्चों की मनोहारी झाकियों के साथ ही यहां की परपंराओं को दर्शाती व अन्य ज्ञानवर्धक झाकियां लोगों का मन मोह रही थी। इसके उपरान्त विभिन्न स्कूलों के छात्र, महिला मंडल, कन्या मंडल व युवक परिषद के सदस्य पंक्तिबद्ध होकर यात्रा का स्वागत में जयकारे लगाते हुए आगे-आगे चल रहे थे।
महातपस्वी महामनस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रातःकालीन उद्बोधन में फरमाया कि जो प्राणी जेसा कर्म करता है उसी को उसका फल भोगना पडता है। यार्नी कर्मो को जिसने किया है उसी को भोगना पडेगा।
बरपेटा रोड वासियों ने आचार्यश्री के दर्शन कर खुद को कृतार्थ किया और आचार्यश्री के आह्वान पर अहिंसा यात्रा तीन संकल्प यथा सद्भावपूर्ण व्यवहार करने, यथासंभव ईमानदारी का पालन करने व पूर्णतया नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प स्वीकार किया।
आचार्यश्री के स्वागत में साध्वी श्री विशालप्रभा, साध्वी श्री हिमांशुप्रभा, समणी निति प्रज्ञा ने अपने विचार प्रस्तुत किए। तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मण्डल ने गीतिका के माध्यम से आचार्यश्री का स्वागत किया। इसके अलावा तेरापंथ महिला मण्डल की युवती बहिनो ने गीतिका के रूप में अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के बच्चों ने अपने भावनृत्य से अपने आराध्य को रिझाया। शुभकरण बोथरा, प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजक रेवंतमल बैगांनी, राधाकृष्ण ठाकुरबाडी के अध्यक्ष गौरीशंकर खेमका, दिगम्बर जैन समाज के मंत्री अनिल जैन, भारत सुराणा, सुश्री अनमोल ने भी अपनी भावनाओं को आचार्यश्री के समक्ष प्रस्तुत कर आशीर्वाद प्राप्त किया। संचालन मुनि श्री दिनेशकुमार जी ने किया।
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ॐ अर्हम
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