

आचार्य प्रवर का 43 वा दीक्षा महोत्सव साध्वी श्री गुप्ति प्रभा जी के सानिध्य मे प्रेक्षा भवन भिलाई मे मनाया गया।
साध्वी श्री मौलिक यशा जी ने अपने उद्बोधन मे कहा की गुरुदेव मे जो श्रम शीलता आकर्षण पारदर्शिता है। वो अनुकरणीय है। जिस व्यक्ति के पास जो चीज है उसका त्याग करना ही त्याग की प्रवित्ति को आगे बढ़ाता है। हम ऐसे कार्य करे की गुरु को हम गौरवान्वित कर सके।
साध्वी श्री कुसुम लता जी ने कहा की साधु मे शुभ कर्मो की प्रवित्ति साधु को आत्मा की रक्षा करते हुए आत्मा का कल्याण करना चाहिए। आचार्य प्रवर अपनी करुणा का भंडार हम को देते है।
साध्वी श्री भावित यशा जी ने गीत के माध्यम से अपनी प्रस्तुत्ति दी।
साध्वी श्री गुप्ति प्रभा जी ने अपने उद्बोधन मे कहा की चार गतियो मे एक मनुष्य ही ऐसा है जो की संयम जीवन को अंगीकार कर देव तीर्थंकर वित्रगीता को प्राप्त कर सकता है। संयम ओर असंयम के बारे मे विस्तार पूर्वक बताया।
इस अवसर पर दुर्ग भिलाई का श्रावक श्राविका आदि उपस्थित थे। संवाद साभार-संजय बरमेचा। JTN से प्रदीप पगारिया
प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़ से महावीर सेमलानी, संजय वैद मेहता, उमेश बोथरा
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