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*आचार्य श्री तुलसी जैन परम्परा के प्रतिक : शासन श्री साध्वी नगिनाश्री* गोरेगांव


*आचार्य श्री तुलसी जैन परम्परा के प्रतिक : शासन श्री साध्वी नगिनाश्री* गोरेगांव
गोरेगांव (मुंबई) आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री नगीना जी के सान्निध्य में अणुव्रत अनुशास्ता गुरुदेव तुलसी की २० वीं  वार्षिक पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में भव्य कार्यक्रम का कन्यामण्डल के मंगलगान से आगाज हुआ।
शासन श्री साध्वी नगीना जी ने कहा - आचार्य तुलसी जैन परम्परा के प्रतीक पुरुष थे। व्यक्तित्व के रूप में वे शताब्दियों के इतिहास पुरुष बन गए किन्तु उनके अस्तित्व का अनहद नाद आज भी वातावरण में अनुगुंजित हो रहा है।
साध्वी श्री जी ने आगे कहा - श्रेष्ठतम जीवन वह होता है जो अस्तित्व जगत से अलविदा होने पर भी जीवंत बना रहे। तुलसी एक थे किन्तु उनके अनेक रूपों की व्याख्या करने में शब्दों का सामर्थ्य नहीं। कुशल चिकित्स्क , आलोचक एवं अध्यापक थे आचार्य तुलसी।
तेरापंथ महिला मंडल के द्वारा सुमधुर गीतिका का संगान किया गया। साध्वी पद्मावती ने आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व और कर्तृत्व  पर प्रभावी विचार रखे।  नगरसेवक राजुमाहए ने अपने अपने प्रभावी विचार रखते हुए विशेष घोषणा की।
साध्वी  मेरुप्रभा एवं मयंकप्रभा ने इंटरनेशनल हैंडलूम  के माध्यम से "व्यक्तित्व अदभूत आचार्य तुलसी का "इसे उजागर कियां। तेरापंथ गोरे गॉव की युवती बहनों ने " तुलसी साहित्य " को विभिन्न भवन के माध्यम से रोचक प्रस्तुति दी।
साध्वी डॉ गवेषणा ने कहा - आचार्य तुलसी ब्र्ह्मर्षि राजर्षि एवं देवर्षि बनकर संघ को गति , प्रगति दी एवं संघ को नूतन ऊंचाई दी। तेरापंथ सभा अध्यक्ष आशिक सिंघवी , युवक परिषद अध्यक्ष गोपाल सिंघवी , महिला मंडल अध्यक्ष मधु बोहरा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।  तेरापंथ युवक परिषद अशोक चौधरी के नेतृत्व में सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी। युवावाहिनी प्रभारी देवेन्द्र डागलिया ने विचार रखे।
उपासक रतनलाल सियाल , T .P .F के अध्यक्ष बलवंत चोरडिया ने कहा - आचार्य तुलसी २१ वीं  सदी के महान आचार्य थे। उन्होंने अपने श्रमबूंदों से संघ सौरभ को शिक्षरों चढ़ाया है। मुंबई सभा अध्यक्ष दिनेश सुलरिया ने अपनी सदी शैली में तुलसी कर्तृत्व को उजागर किया।
मंच का संचालन उपासक सुरेश ओसवाल ने कुशलतापूर्वक करते हुए ३ घंटों तक समा बांधे रखा। वांगुनगर महिला मंडल ने सुंदर प्रस्तुति दी। गुरुदेव तुलसी की पुण्यतिथि पर १२५ आयम्बिल हुए।
प्रस्तुतिः महावीर कोठारी

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