भाईंदर( मुंबई) आचार्य महाश्रमण की विदुषी शिष्या साध्वी श्री सोमलता जी के सानिध्य में भाईन्दर तेरापंथ भवन में बोधि पुरुष आचार्य श्री भिक्षु का जन्मोत्सव एवं बोधि दिवस पर साध्वी वृन्द सहित भाईन्दर, मीरारोड,दहीसर, वर्ली, दक्षिण मुम्बई के भाई-बहनों ने हर्ष और उल्लास के साथ आचार्य भिक्षु को अभिवंदना की। इस भव्य कार्यक्रम का शुभारंभ ॐ भिक्षु के जाप एवं तेले के संकल्प के साथ हुआ। वंदना सुराणा ने मंगलाचरण किया। विशाल जन समुदाय को संबोधित करते हुए अपनी ओजस्वी वाणी में साध्वी श्री सोमलता जी ने कहा- चतुर्भुज आचार्य भिक्षु सत्य के उपासक थे। उनका एकमात्र लक्ष्य था सत्यम्-शिवम्-सुन्दरम् की उपासना करना। सत्य देवता से साक्षात्कार करने के लिए उन्होंने पद प्रतिष्ठा,सुख सुविधाओं की तिलांजलि दी।साध्वी श्री जी ने आगे कहा आचार्य भिक्षु तत्वेत्ता, ज्ञानी एवं तपस्वी थे।उनकी तपस्या में उपशम की गंगा प्रवाहित होती थी। वे द्वेषमय वातावरण को भी विनोदमय बना देते थे।उन्होंने दिव्य ज्ञान से जन- जन को आध्यात्म का प्रकाश दिया ।तत्व के रहस्य को समझाया। साध्वी श्री शकुंतला कुमारी जी, जागृत प्रभाजी,रक्षितयशा जी ने अपने विचार विविध रूपों में प्रस्तुत किए।
मुख्य वक्ता श्री दिलीपजी सरावगी ने कहा आचार्य भिक्षु सार्थक युग की संरचना के सफल सारथी थे। मीठालाल जी बरलोटा,ऋषभ सुराणा,उपासक दिनेश जैन,नानकचन्दजी बैद, उपासिका लीला सालेचा महिला मंडल संयोजिका सुशीला मेहता ने अपने आराध्य की अभ्यर्थना की। सभी ने मौन मूक भावों से अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए मर्यादित एवं अनुशासित जीवन जीने का संकल्प लेते हुए ॐ भिक्षु की माला फेरने की बात कही ।
मुख्य वक्ता श्री दिलीपजी सरावगी ने कहा आचार्य भिक्षु सार्थक युग की संरचना के सफल सारथी थे। मीठालाल जी बरलोटा,ऋषभ सुराणा,उपासक दिनेश जैन,नानकचन्दजी बैद, उपासिका लीला सालेचा महिला मंडल संयोजिका सुशीला मेहता ने अपने आराध्य की अभ्यर्थना की। सभी ने मौन मूक भावों से अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए मर्यादित एवं अनुशासित जीवन जीने का संकल्प लेते हुए ॐ भिक्षु की माला फेरने की बात कही ।
संवाद साभार
महावीर कोठारी
महावीर कोठारी
5 Comments
Om arham
ReplyDeleteॐ भिक्षु ॐ भिक्षु ॐ भिक्षु ॐ
ReplyDeleteजय भिक्षु जय भिक्षु जय भिक्षु जय ।
ॐ भिक्षु ॐ भिक्षु ॐ भिक्षु ॐ
ReplyDeleteजय भिक्षु जय भिक्षु जय भिक्षु जय ।
Om arham
ReplyDeleteom arham
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