आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी श्री नगीना जी के पावन सानिध्य में सजोड़े भक्ताम्बर अनुष्ठान से चातुर्मासिक आगाज़ हुआ।मलाड महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। साध्वी श्री नगीना जी ने कहा चार महीने का समय चातुर्मास कहलाता है, यह नव सृजन का देवता है।अहिंसा और संयम की साधना का दुर्लभ अवसर है। वर्षा के कारण अधिकांश स्थान हरी चुनड़ी से भर जाता है। जीवोत्पत्ति अधिक होती है, चलने में कठिनाई होती है।इसीलिए जैन साधू चार माह के लिए एक ही स्थान पर स्थिर हो जाता है।अतः धर्मराधना का समय ह ये चातुर्मास। आत्म शांति का अमोघ समय है।आषाढ़ी पूर्णिमा आते ही नई चेतना जाग जाती है।
यह चार महीने का समय आत्म पर्यवेक्षण का है, ज्ञान चेतना के विकास का है। सभी को इन चार महीनों में एक एक क्षण पर सफलता का हस्ताक्षर करना है। साध्वी मेरुप्रभा व मयंकप्रभा ने नगीना पीस शॉप की ओपनिंग इन चारमहीनों के लिए की है। जिसकी प्रस्तुति अत्यंत ही सुंदर थी।
108 सजोड़े भक्ताम्बर का पाठ कर एक नए इतिहास का सृजन हुआ।सफ़ेद व केसरिया पोशाक में युवा दम्पतियों का दृश्य दर्शनीय था।मंच का संचालन साध्वी श्री गवेषणा जी ने किया।
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om arham
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