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शलाका पुरूष - गुरू भिक्षु -- साध्वी सोमलता

भाईंदर (मुंबई)
257 वें स्थापना दिवस पर धर्म परिषद् को संबोधित करते हुए साध्वी श्री सोमलता जी ने कहा - आज गुरू पूर्णिमा है । तेरापंथ का जन्मदिन है । मेरे लिए दोनो ही महत्वपूर्ण है । आज के दिन हमे गुरु मिले और गुरु का दरबार मिला । जीवन मे गुरु की प्राप्ति से बढ़कर कोई दौलत नही होती । गुरु सूरज की धूप और चंद्रमा की चाँदनी है । समुद्र की गहराई और आसमां की ऊंचाई है । साध्वी श्री जी ने आगे कहा - तेरापंथ धर्म संघ को शलाका पुरूष एवं परमेश्वर के प्रतिबिम्ब के रूप मे आचार्य भिक्षु मिले । एक गुरु के और एक विधान के बीज का विस्तार है तेरापंथ ।
गीतिका का संगान साध्वी श्री शकुंतला कुमारी जी ने किया । साध्वी श्री संचित यशा जी , जागृत प्रभा जी , रक्षित यशा ने " अमूर्त भावों की मूर्त पहचान " परिसंवाद करके सबको भाव विभोर कर दिया । अभातेममं की उपाध्यक्षा कुमुद कच्छारा ने आचार्य भिक्षु कुमार प्रति अपनी श्रद्धा भिव्यक्ति दी ।मीरा रोड महिला मंडल,  श्रेष्ठ कार्यकर्ता निर्मल जैन, प्रीति लुणावत आदि ने विविध शैली मे अपने भावो की प्रस्तुति  दी । कार्यक्रम का संचालन अभातेयुप के कार्यकारिणी सदस्य जगत संचेती ने किया ।
प्रस्तुतिः अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़ से महावीर कोठारी

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