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भिक्षु के बलिदान की कहानी है तेरापंथ- शासनश्री साध्वीश्री नगिना


आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या 'शासन श्री' साध्वी श्री नगीना जी के सानिध्य में आचार्य भिक्षु का 291वां जन्मदिवस एवं 259वां बोधि दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। साध्वी मेरुप्रभा की भिक्षु स्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। "ॐ भिक्षु जय भिक्षु " की एक लय व एक स्वर की ध्वनि की गुंजायमान से त्रिदिवसीय अनुष्ठान का प्रारम्भ हुआ।साध्वी श्री नगीना जी ने कहा युग की परिस्थितियां ऐसे व्यक्तित्व की प्रतीक्षा में थी जो युगको नया दिशा दर्शन दे सके। संस्थाओं को समाहित कर सके। आचार्य भिक्षु का अवतरण ऐसे ही युग में हुआ। जिन्होंने अनेकांत चिंतन से नई क्रांति का सृजन किया। उस नई को नाम मिला तेरापंथ। तेरापंथ भिक्षु के बलिदान की कहानी है। समता सहिष्णुता की निशानी है। उनकी अंतस्चेतना को स्पंदित में निमित्त थे ये श्रावक लोग। राजनगर का इतिहास अमर है।
साध्वी नगीना जी ने कहा आचार्य भिक्षु महान् तपस्वी थे। उनका आभामंडल इतना शक्तिशाली था जिससे हर व्यक्ति उनकी ओर आकर्षित हो जाता था। साध्वी मयंकप्रभा जीने कहा कि उन्होंने जो कहा वो आर्षवाणी बन गया,जो लिखा वो शास्त्र बन गया,जो देखा वो पंथ बन गया। डॉ. साध्वी गवेषणा जी ने कहा यह तीन दिन का अनुष्ठान विशिष्ठ लक्ष्य लिए हुए है ,प्रत्येक भाई-बहिन इस जपरुपी अनुष्ठान के यज्ञ में प्रवेश करे। साध्वी श्री पद्मावती जी ने भी अपने विचार रखे। कन्या मंडल ने भिक्षु जीवन दर्शन की मनमोहक प्रस्तुति दी।
संवाद साभार
महावीर कोठारी

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