सुनाम ( पंजाब ) - प्रज्ञा दिवस- ''महाप्रज्ञ कैसे महाप्रज्ञ जैसे''
दिनांक 2 जुलाई 2016, तेरापंथ जैन भवन सुनाम पंजाब में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 97वां जन्मदिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। साध्वी श्री जी ने अपने मंगल उद्बोधन में युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी के शब्दों में कहा ''महाप्रज्ञ कैसे महाप्रज्ञ जैसे'' वे अनुपमेय, अतुलनीय एवं अनिर्वचनीय थे। आचार्य महाप्रज्ञ एक संकल्प पुरूष थे। जो हर रोज अपनी हथेली में सृजन के सूर्य उगाते थे। आगम संपादक तीन सौ से अधिक ग्रंथों का सृजन भारतीय साहित्य भण्डार को समृद्व करने का जीवन्त प्रमाण है। प्रसिद्व साहियत्कार कुमारपाल देसाई जी ने कहा - जब प्रज्ञा की आवश्यकता हुई, तब प्रज्ञा के अवतार आचार्य महाप्रज्ञ ने अवतार लिया। वे प्रज्ञा के शिखर पुरूष थे। उनका जीवन व्यकितत्व, कर्तृत्व, वक्तृत्व और नेतृत्व इन चारों विशेषताओं का समवाय था। उनके निर्मल आभावलय में जो भी एक बार आ गया, वह सदा-सदा के लिए आपका बन गया। इसका निदर्शन है, भारत में भूतपूर्व राष्ट्रपति डाॅ. ऐ.पी.जे.अब्दुल कलाम का बिना प्रोटोकोल के बार-बार आपकी सान्निधि में आना। उनमें आध्यात्मिक वैज्ञानिक व्यकितत्व में चुम्बकीय आर्कषण था। प्रज्ञा पुरूष की एक-एक आलौकिक रश्मि को प्रणाम करते हुए, हम यह शुभाशंसा करते है, कि हमारे भीतर भी प्रज्ञा का जागरण हो। कण-कण ज्योर्तिमय बने।
इससे पूर्व मंगलाचरण साध्वीवृन्द के द्वारा ''महाप्रज्ञ अष्टकम्'' के द्वारा हुआ। इसी श्रृंखला में साध्वी ऋजुयशा जी ने आचार्य महाप्रज्ञ के गुणगान करते हुए कहा- सदियों धरती तप करे, वर्षो करे पुकार,, महाप्रज्ञ से संत का तब होता अवतार। जिनके हदृय में कोमलता, नयनों में वत्सलता, चरणों में गतिशीलता ऐसे महापुरूष थे आचार्य महाप्रज्ञ। सबसे अच्छा है आज का दिन, क्योंकि आज के दिन ऐसे महापुरूष का जन्म हुआ जिसने लाखों लोगों को तार दिया।
साध्वी अमृतयशा जी, साध्वी ऋजुयशा जी एवं साध्वी तरूणयशा जी ने मधुर गीतिका ;महाप्रज्ञ प्रज्ञा मंदार, पाकर बना संघ गुलजारद्ध के द्वारा आचार्य महाप्रज्ञ के ऐसे गुणगान किये, कि सुनाम का श्रावक समाज मंत्रमुग्ध हो गया। श्री केवल कृष्ण जी जैन ने अपनें भावों की अभिव्यक्ति दी। इसी क्रम में सुनाम तेयुप की नवनिर्वाचित टीम ने उल्लास के साथ मधुर गीतिका के द्वारा गुरूदेव के प्रति अपनी श्रद्वा भावों को व्यक्त किया।
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