Top Ads

दृष्टि संयम करें: आचार्य श्री महाश्रमण प्रवचन 22.08.16

धारापुर (असम). 22.08.2016. जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में अणुव्रत के 67वें अधिवेशन के दूसरे दिन के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को कहा कि आदमी के जीवन में दुःख आता है। आदमी के मन में यह प्रश्न भी उठ सकता है कि दुःख पैदा क्यों होता है ? इसका उत्तर शास्त्रकारों ने देते हुए बताया है कि कामानुवृद्धि के कारण दुःख पैदा होता है। अर्थात काम और पदार्थों के प्रति आदमी की आसक्ति ही दुखों के पैदा होने का कारण बन जाती है। आदमी को सुखमय और शांतिमय जीवन जीने के लिए संयम का मार्ग अपनाने का प्रयास करना चाहिए। अणुव्रत के छोटे-छोटे संकल्पों को स्वीकार करे तो संयम पथ पर आगे बढ़ सकता है। अणुव्रत जीवन के विभिन्न कार्यों में संयम करना सिखाता है। इसलिए आदमी को अणुव्रत के संकल्पों को स्वीकार कर संयममय जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।

मुख्यमुनिजी ने आचार्यश्री द्वारा लिखी गीत ‘भारत के लोगों जागो तुम’ का सुमधुर स्वर में गान कर श्रद्धालुओं को संगीतमय प्रेरणा प्रदान की। वहीं साध्वीवर्याजी ने लोगों को जीवन में सरलता लाने का ज्ञान प्रदान किया।
बिलासीपाड़ा के विधायक पहुंचे आचार्यश्री की सन्निधि में
आचार्यश्री के दर्शन करने पहुंचे बिलासीपाड़ा से भाजपा के विधायक श्री अशोक सिंघी ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मैं जैनी हूं और मुझे ऐसे गुरु के बार-बार दर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने अणुव्रत आन्दोलन को असंप्रदायिक बताते हुए कहा कि यह एक ऐसी आचार संहिता है तो मानवों को मानवता का संदेश देती है। इससे आम आदमी को जुड़े तो उसके जीवन का भी कल्याण हो जाएगा।

रोज की एक सलाह (तमील भाषा) आचार्यश्री के चरणों में समर्पित
आचार्यश्री की ‘रोज की एक सलाह’ का तमिल भाषा में अनुवाद करने वाली श्रीमती माया तातेड़ा, विधायक श्री अशोक सिंघी सहित अन्य लोगों ने पुस्तक को आचार्यश्री के चरणों में समर्पित किया। वहीं श्रीमती तातेड़ा ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यकम का कुशल संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।




Post a Comment

0 Comments