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अभातेयुप का 50 वां अधिवेशन नये संकल्पों के साथ संपन्न


युवाओं की शक्ति समाज को शांति देने वाली बने : पूज्यप्रवर 
पूज्य प्रवर ने युवाशक्ति को पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि - अभातेयुप का अधिवेशन और तीसरा दिन. इस संस्था के माध्यम से कितने-कितने युवकों को संयम की ओर आगे बढ़ने का मौक़ा मिल रहा है. यानि इस संस्था के संपर्क में आने से, इसके मेम्बर बनने से युवक कितने-कितने पापों से भी बच रहे है. एक नैतिकता का, शिष्टता का, आध्यात्म का मार्ग उनको जानने को मिलता होगा. यह युवावस्था और भौतिकता का माहौल, टी.वी.,-कंप्यूटर-मोबाईल फोन-इन्टरनेट-सोश्यल मीडिया की यह दुनिया और इस दुनिया में रहने आज की पीढी ऐसी संस्था से जुड़ जाने से कुछ दुष्प्रभावों से बच सकती है. तो तेयुप, अभातेयुप केन्द्रीय और उसकी शाखाएं एक मानों कि अनुशासित संस्था है. युवकों में कर्मर्जा शक्ति भी है और उसका उपयोग भी हो रहा है. अन्यथा आदमी में शक्ति है किन्तु उपयोग में न आए तो क्या काम आएं ? युवकों में शक्ति होती है, है भी, और अभातेयुप शक्ति का उपयोग भी कर रही है. एक ओर जहां आध्यात्मिक गतिविधि की बात है, मुझे बताया कि पर्युषण में एक सितम्बर को मेरे पास कितने लोग आएं कि हमारे यहाँ इतनी-इतनी सामयिक हुए, आंकड़े बताएं. तेयुप का निमित्त मिला, संबल मिला, प्रेरणा, व्यवस्था मिली तो पर्युषण के उस दिन कितनी-कितनी सामयिक हुई. यानी तेयुप आध्यात्मिक गतिविधि में भी अपना दिमाग या शक्ति लगाती है. शनिवार की सामयिक है, युवकों को अनुकूलता हो तो शनिवार को रूटीन में सामयिक रखने का प्रयास करें. शनिवार-सामयिक का वार... शनिवार-सामयिक का वार...  वैसे तो आप गृहस्थ हो तो कोई काम भी हो सकता है पर अनुकूलता हो तो शनिवार को 7 to 8 सामायिक हो जाए यह प्रयास रहे. कल रात को शनिवार की सामयिक यहाँ हो रही थी. हॉल में भी पुरुष सामयिक कर रहे थे. एक मुहूर्त कितना आनंददायी, आध्यात्मिक उल्लास वाला हो सकता है. तेयुप के सदस्य भी यथासंभव प्रयास रखें कि सामयिक जहा तक हो सके छूटे नहीं, क्रम टूटे नहीं. आप गृहस्थ है, जिमीदारी होती है, समय मिल जाएं तो सामयिक करे, कुछ एडजस्टमेंट का प्रयास रखे, दुसरा काम बाद में कर ले. मुझे बताया कि कल भी अधिवेशन का एक सत्र 7 से 8 सामयिक का रहा. अच्छी बात है..अधिवेशन का एक सत्र सामायिक का हो जाएं. कल शनिवार का मौक़ा मिल गया था, और बाते न कर के सामायिक की साधना कर ली.

तेयुप के पदाधिकारी, कार्यकर्ता यदा-कदा आते रहते है गुरुकुलवास में. इस युवावस्था में भी बहुत अच्छा अपना क्रम बना रहे है क्योंकि ऐसी संस्था से जुड़ना भी बहुत भाग्य की बात है. संसार में बहुत संस्थाएं है, कोई संस्थाएं नहीं है ऐसी बात नहीं है, सेवा करने वाली संस्थाएं भी है. तेयुप में सेवा की बात भी है, ब्लड डोनेशन जैसी सेवा की बातें भी है तो साथ में साधना की बात भी है. केवल सेवा की बात नहीं है, सेवा बढ़ चढ़ के कर रहे है और साधना भी है. सेवा और साधना दोनों का योग इस संस्था के साथ जुड़ा हुआ है. सामाजिक सेवा का काम भी चलता है और साथ में धर्म साधना की भी बात है. सेवा-संस्कार-संगठन त्रिआयामी उद्देश्य है. एक ओर सेवा का आयाम है, तो युवकों में – किशोरों में अच्छे संस्कार पनपे, संस्कार पुष्ट बने, संगठन भी अच्छा रहे.

अध्यक्ष/मंत्री आदि पदों पर जो व्यक्ति आते है उनको तो ज्यादा समय संस्था के लिए लगाना होता है. अखिल भारतीय तेयुप के अध्यक्ष मंत्री तो वर्ष में कितनी बार आ जाते होंगे. वर्ष में महीने तो १२ है किन्तु उनका आगमन ना जाने कितनी कितनी बार हो जाता है. कल्याण परिषद् की मीटिंग एक निमित्त है, और भी कई काम से आना होता है. इतना समय लगाना भी एक सेवा है. वरना इस युवा अवस्था का समय कमाई का समय, ओफीस में काम करने का समय है, उस युवावस्था में समाज के लिए, संस्था के लिए, धर्म के लिए, गतिविधियों के लिए समय निकालना भी एक दान है. यह समय का दान है. जैसे अन्न दान, धन का दान है, वैसे समय का दान भी बहुत पवित्र एवं निरवद्य कार्य में लगे तो वह आध्यात्मिक दृष्टि से भी कितना महत्वपूर्ण होता है.

तेयुप से जुड़ा किशोर मंडल भी है. नयी नयी पौध है. किशोरों में भी अच्छे संस्कारों का निर्माण हो, अच्छे विचारों का बीज-वपन हो, उनका धार्मिक ज्ञान भी बढे तो एक अच्छी आने वाली पीढी बन सके इसलिए किशोरों पर भी ध्यान बना रहें. किशोर भी समाज की एक संपदा है. आगे जाकर वह अच्छा काम करने वाली पीढी बन सकती है. किशोरों में अच्छे संस्कार हो और ये प्रेरणा रहे कि किशोर भी शनिवार को सामयिक करे, स्कुल-कोलेजों में पढ़ते है किन्तु हो सके तो एडजस्टमेंट कर के शनिवार की सामायिक करें.

परिवारों में अच्छी शान्ति रहे, पारिवारिक शांति रहे. आप लोग परिवार से जुड़े है. घर है – परिवार है – व्यापार है, आपके सामने अनेक चीजें है. व्यापार एक क्षेत्र है तो परिवार भी एक बड़ा क्षेत्र है. व्यापर में उन्नति आदमी को चाहिए तो परिवार में भी शान्ति चाहिए, परिवार में सबके चित्त में शांति रहे, परिवार के सदस्यों में जिद्द न रहे, कलह न हो. परिवार के सब सदस्यों में अच्छे संस्कार आए इसके लिए भी युवाओं को ध्यान देना चाहिए. समाज बाद की बात है, परिवार अच्छा तो समाज भी अपने आप अच्छा होगा . तेयुप सदस्य परिवार पर भी ध्यान दे.

युवा शक्ति सबसे बड़ी शक्ति : साध्वीप्रमुखाश्रीजी
 साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभाजी ने युवाओं को उद्बोधन देते हुए कहा-  अभातेयुप के 50 वें अधिवेशन का विशेष अवसर है। वैसे तो हर अधिवेशन अपने आप में विशिष्ट होता है किंतु 50 वां अधिवेशन अपने आप में अति विशिष्ट है। अर्ध शताब्दी का अधिवेशन है।
युवा शक्ति किसी भी राष्ट्र या समाज की सबसे बड़ी शक्ति होती है। वर्तमान में यह धारणा बनी है कि भारत की युवा शक्ति पूरे विश्व की अपेक्षा को पूरी कर सकती है। भारत में युवकों की कितनी अधिक संख्या है। तेरापंथी युवकों की संख्या भी कम नहीं है। आज अनेक क्षेत्रों से लगभग 900 की संख्या में युवक यहां पर उपस्थित है ।जहा हजार युवक एक साथ खड़े होते हैं तो बड़े से बड़ा काम हो सकता है, असंभव को भी संभव कर सकते है।

अलंकरण एवं पुरूस्कार समारोह
परमपूज्य आचार्यप्रवर के पावन सान्निध्य में अभातेयुप की ओर से श्री प्रफुल्ल बेताला (कटक) एवं श्री राजेश सुराणा (सूरत) को ‘युवा गौरव’ अलंकरण, श्री हनुमानचंद लूंकड़ (सिंधनूर) को ‘आचार्य महाप्रज्ञ प्रतिभा पुरूस्कार एवं श्री सूर्यप्रकाश श्यामसुखा को “आचार्य महाश्रमण युवा व्यक्तित्व पुरूस्कार द्वारा सन्मानित किया गया. अलंकरण एवं पुरूस्कार प्राप्तकर्ताओं ने अपनी भावना श्रीचरणों में निवेदित की.
तत्पश्चात श्रेष्ठ एवं विशिष्ट परिषदों, अधिवेशन संयोजकों, प्रायोजकों, योगक्षेम योजना के अनुदानदाताओं, सक्रिय कार्यकर्ताओं आदि का सम्मान किया गया. संचालन महामंत्री श्री विमल कटारिया ने किया.
अभातेयुप के सेवा, संस्कार एवं संगठन की २१ सूत्रीय गतिविधियों को और अधिक जोश के साथ संपादित करने के संकल्प के साथ त्रिदिवसीय अधिवेशन संपन्न हुआ.

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