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जीवन अनित्य है - आचार्य श्री महाश्रमण

03.12.2016  बर्नीहाट, (मेघालय) जैन  श्वेताम्बर   तेरापंथ   धर्मसंघ   के   ग्यारहवें   अनुशास्ता,   भगवान महावीर   के   प्रतिनिधि,   महातपस्वी,   शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ उमलिंग से 13 किलोमीटर का विहार कर महात्मा गाँधी यूनिवर्सिटी ( बर्निहाट ) पधारे। परमपूज्य  आचार्यश्री महाश्रमणजी   ने   उपस्थित श्रद्धालुओं को जीवन की अनित्यता के बारे में पाथेय प्रदान किया।
पूज्यप्रवर ने पद्य के माध्यम से बताया कि - "राजा, राणा, छत्रपति, हाथिन के असवार। मरना सब को एक दिन अपनी अपनी बार।" राजा हो या रंक हो अपने अपने आयुष्य के हिसाब से एक दिन सबका अवसान होना है। हमारे आगमों में, गीतों आदि में अनित्यता का बोध दिया गया है। ये संसार अनित्य है, ये शरीर अनित्य है, ये जीवन अनित्य है। एक दिन मौत आने वाली है। अनित्य अनुप्रेक्षा का प्रयोग करवाने का प्रयास किया गया है। न जाने कब मृत्यु आ जाएं, न जाने कब जीवन समाप्त हो जाए, इसलिए व्यक्ति को अपना जीवन सद्कार्यो एवं धर्म आराधना में लगाना चाहिए।

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