पूज्यप्रवर ने पद्य के माध्यम से बताया कि - "राजा, राणा, छत्रपति, हाथिन के असवार। मरना सब को एक दिन अपनी अपनी बार।" राजा हो या रंक हो अपने अपने आयुष्य के हिसाब से एक दिन सबका अवसान होना है। हमारे आगमों में, गीतों आदि में अनित्यता का बोध दिया गया है। ये संसार अनित्य है, ये शरीर अनित्य है, ये जीवन अनित्य है। एक दिन मौत आने वाली है। अनित्य अनुप्रेक्षा का प्रयोग करवाने का प्रयास किया गया है। न जाने कब मृत्यु आ जाएं, न जाने कब जीवन समाप्त हो जाए, इसलिए व्यक्ति को अपना जीवन सद्कार्यो एवं धर्म आराधना में लगाना चाहिए।
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