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महत्वपूर्ण है-मानव जीवन: आचार्य महाश्रमण

02.12.2016   उमलिंग, रि-भोई(मेघालय) जैन  श्वेताम्बर   तेरापंथ   धर्मसंघ   के   ग्यारहवें   अनुशास्ता,   भगवान महावीर   के   प्रतिनिधि,   महातपस्वी,   शांतिदूत   आचार्यश्री   महाश्रमणजी नोंगपोह से लगभग दस किलोमीटर का विहार कर उमलिंग स्थित टूरिस्टसेंटर भवन में पधारे। तेरापंथ   धर्मसंघ   के   ग्यारहवें अनुशास्ता,   भगवान   महावीर   के प्रतिनिधि,   महातपस्वी,   शांतिदूत   आचार्यश्री   महाश्रमणजी   ने   उपस्थित श्रद्धालुओं को कहा कि यह जीवन अध्रुव है। एक दिन आयुष्य पूर्ण होना है और यह जीवन समाप्त हो जाएगा। संसारी प्राणियों में मानव जीवन को सबसे दुर्लभ माना गया है। आदमी को इस दुर्लभ मानव जीवन का लाभ उठाने का प्रयास करना चाहिए। सदाचार, सद्कार्यों में प्रवृत्त होकर अपनी आत्मा का कल्याण कर सके तो वह इस दुर्लभ जीवन का लाभ उठाने वाला बन सकता है। आचार्यश्री ने दुर्लभ मानव जीवन को मूल्यांकन कर उसका लाभ उठाने का ज्ञान प्रदान करते हुए कहा कि इस दुर्लभ जीवन को आदमी सदाचार से युक्त बनाने का प्रयास करे। अमानवीय और दानवीय कृत्यों से बचने का प्रयास करे तो यह मानव जीवन का बेहतर मूल्यांकन माना जा सकता है और जीवन का आत्म  कल्याण  के   रूप  में   लाभ भी   प्राप्त  हो   सकता है।   आचार्यश्री ने अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों को स्वीकार करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि यदि आदमी अपने जीवन में कुछ छोटे-छोटे नियमों को अपना ले तो अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। आचार्यश्री ने उपस्थित श्रावकों को शनिवार की सामायिक और संवत्सरी का उपवास यथासंभव करने की  प्रेरणा  दी। आचार्यश्री  ने  श्रद्धालुओं को  अहिंसा  यात्रा  के  तीनों संकल्पों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा भी प्रदान की। कार्यकम का कुशल संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।

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