-गोलकगंजवासियों को सम्यत्व दीक्षा (गुरुधारणा) के रूप में मिला पुज्यप्रवर से महाप्रसाद-
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आचार्यश्री महाश्रमणजी |
02 जनवरी 2017, गोलकगंज (असम) (JTN), जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी सोमवार को गौरीपुर से आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ गोलकगंज के विहार किया। विहार लगभग सोलह किलोमीटर था, किन्तु धुन के धुनि, मानवीय मूल्यों की स्थापना को संकल्पित, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री के चरणकमल गतिमान हो चुके थे अगले पड़ाव की ओर। मार्ग के एक ओर दूर-दूर तक फैले खेत तो दूसरी ओर रेलवे लाइन बिछी हुई थी। यदा-कदा उससे गुजरने वाली ट्रेन से लोग इस यात्रा को साश्चर्य निहार रहे थे। रेलवे पटरी पूरे मार्ग में सहचर बनी रही, मानों आज वह भी इस अहिंसा यात्रा में अपनी भागीदारी निभा रही थी। लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलंब विहार कर आचार्यश्री गोलकगंज रेलवे स्टेशन के बगल में बने चिन्मई विद्यालय प्रांगण में पहुंचे। जहां विद्यालय की प्रिन्सिपल श्रीमती निर्मला राय सहित श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री का स्वागत किया।
स्कूल प्रांगण में बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित समस्त श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी अमृतमयी वाणी का रसपान कराते हुए कहा कि प्रमत्त (मोहग्रस्त) आदमी वित्त (धन) से त्राण (शांति) हीं प्राप्त कर सकता। धन से शांति और सुख में सहयोग मिल सकता है लेकिन यह तथ्य यह है कि धन के माध्यम से अंतिम त्राण की प्राप्ति संभव नहीं है। धन से अनेक चीजें और भौतिक सुख प्रदान करने वाले वस्तुओं की प्राप्ति हो सकती है, किन्तु धन से धार्मिकता, शांति और मौत से मुक्ति प्राप्त कर संभव नहीं लगता है। संसार में बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु से धन के द्वारा मुक्ति प्राप्त नहीं किया जा सकता। मृत्यु निष्पक्ष होती है। सभी प्रकार के सेनाओं वाले चक्रव्रती राजा को भी मौत ऐसे पकड़ लेती है जैसे मछुवारा किसी मछली को पकड़ लेता है। इसलिए आदमी को वित्त (धन) नहीं वृत्त (चरित्र) की सुरक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने चरित्र को शुद्ध और निर्मल बनाने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपने चरित्र पर ध्यान देकर उसमें सुधार कर उसे और अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। अंत में आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आज हम सभी गोलकगंज आए हैं। असम से अब विदा लेने का दिन निकट है। यहां के लोग भी जीवन सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की दिशा में बढ़ने का प्रयास करें और अपने चरित्र को अच्छा बनाने तथा सुरक्षित रखने का प्रयास करें, मंगलकामना।
आचार्यश्री ने गोलकगंज पर विशेष कृपा कराई और उन्हें सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) प्रदान की। आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को उत्प्रेरित करते हुए कहा कि देव, गुरु और धर्म के प्रति संपूर्ण जीवन के लिए अपनी श्रद्धा को समर्पित करना चाहिए। आचार्यश्री ने सभी को संवत्सरी का उपवास और यथासंभव शनिवार को सामायिक करने की भी प्रेरणा प्रदान की।
साध्वी कौशलप्रभाजी ने अपनी पैतृक भूमि पर अपने आराध्य देव का स्वागत किया और गीत के माध्यम से अपनी भावांजलि अर्पित की। अंत में गोलकगंज की महिला मंडल और कन्या मंडल ने अपने अराध्य देव के स्वागत में गीत का संगान किया। श्रीमती तारादेवी सेठिया और श्री प्रेमसुख सेठिया ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। विद्यालय की प्रिंसिपल श्री निर्मला राॅय ने आचार्यश्री के समक्ष अपने भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री के स्वागत में गीत का भी संगान किया। कार्यकम का कुशल संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।
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Om Arham
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