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अनासक्ति के माध्यम से आदमी बन्धनमुक्त रह सकता है :आचार्यश्री महाश्रमण

-तूफानगंजवासियों को आचार्यश्री ने प्रदान की सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा)-

आचार्यश्री महाश्रमणजी

          05 जनवरी 2017 तूफानगंज, कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) (JTN) नौ महीने से अधिक समय से असम की धरा को अपने चरणरज से पावन करने के उपरान्त अपनी अहिंसा यात्रा और धवल सेना के साथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, मानवता के मसीहा, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी गुरुवार को अपनी धवल सेना के साथ मानवीय मूल्यों की मशाल जलाए तूफानगंज में मंगल प्रवेश किया। वहां लगभग 100 वर्षों से शिक्षा की अलख जगाने वाले विद्यालय नृपेंद्र नारायण मेमोरियल हाईस्कूल में पधारे। यहां उपस्थित श्रद्धालुओं को अनासक्त जीवन जीने का मंत्र प्रदान किया तो वहीं विशिष्ट कृपा बरसाते हुए तूफानगंजवासियों को अपने श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) प्रदान कर संपूर्ण जीवन के देव, गुरु और धर्म के प्रति श्रद्धा भाव रखने का संकल्प कराया। 
          असम यात्रा के दौरान अब तक ठंड और कोहरे से मुक्त वातावरण में विहार करने के मिथक पश्चिम बंगाल में प्रवेश के दूसरे दिन ही टूट गया। गुरुवार को घना कोहरा अपना वर्चस्व कायम किए हुए था तो वहीं सर्द हवाएं लोगों को ठंड के मौसम का अहसास करा रही थी। इसके बावजूद मौसम की अनुकूलता और प्रतिकूलता को ध्यान में दिया बिना जन-जन का कल्याण करने के लिए आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ तूफानगंज की ओर निकल पड़े। कोहरे की घनी चादर होने के कारण कुछ ही दूरी के बाद दिखाई नहीं दे रहा था। इस कारण हाइवे से गुजरने वाले वाहन लाइट जलाकर चलने को मजबूर थे। ठंडी हवाएं पहली बार यात्रा में शामिल लोगों को सर्दी के मौसम का अहसास करा रही थी। 
          लगभग चौदह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री तूफानगंज स्थित लगभग सौ साल पूर्व बने नृपेंन्द्र नारायण मेमोरियल हाईस्कूल के प्रांगण में पहुंचे। तूफानगंज में प्रवेश करने पर तूफानगंजवासियों ने आचार्यश्री का भव्य स्वागत किया और जुलूस के साथ विद्यालय प्रांगण में पहुंचे। विद्यालय प्रांगण में बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अनासक्त रूप से जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में पदार्थों के साथ व्यक्ति के साथ की भी आवश्यकता पड़ती है। इसके चलते आदमी में पदार्थों या व्यक्ति के प्रति आसक्ति के भाव हो सकते हैं। आदमी को अपनी आत्मा का कल्याण करने के लिए अनासक्त रहने का प्रयास करना चाहिए। पदार्थों का उपयोग करें, किन्तु अनासक्तिपूर्वक। अनासक्ति के माध्यम से आदमी बन्धनमुक्त रह सकता है। आचार्यश्री ने मन को ही बंधन और मोक्ष का कारण बताते हुए कहा कि आदमी को निर्मोहता की साधना करनी चाहिए। 
          आचार्यश्री ने तूफानगंजवासियों पर विशेष कृपा बरसाते हुए सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) प्रदान करते हुए उन्हें देव, गुरु और धर्म के प्रति जीवन भर के लिए श्रद्धाभाव का समर्पण करवाया। साथ ही संवत्सरी का उपवास और शनिवार की सामायिक करने के लिए विशेष पाथेय भी प्रदान किया। अपने आराध्यदेव का अपनी धरा पर दर्शन और विशेष अनुकंपा से गदगद तूफानगंजवासियों ने आचार्यश्री की वन्दना की और आशीर्वाद प्राप्त किया। 
आचार्यश्री के स्वागत में तेरापंथी सभा तूफानगंज के मंत्री श्री सम्पतलाल नाहटा, महिला मंडल की श्रीमती सिंपल भंसाली ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया। वहीं तेरापंथ महिला मंडल, कन्या मंडल और समता महिला मंडल ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।




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