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विनय आदमी को ऊँचा उठाने वाला होता है : आचार्यश्री महाश्रमण

-अहिंसा यात्रा संग दिनहाटा पहुंचे तेरापंथ धर्मसंघ के दीनानाथ-
-आचार्यश्री के आह्वान पर दिनहाटावासियों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प- 

आचार्यश्री महाश्रमणजी

          08 जनवरी 2017 दिनहाटा, कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) (JTN) : जन नहीं जन-जन के मानस परिवर्तन को निकली अहिंसा यात्रा अपने प्रणेता जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी और धवल सेना के साथ मानवता का आलोक बांटते रविवार को कूचबिहार जिले के दिनहाटा नगर में त्रिदिवसीय प्रवास के लिए पहुंची। जहां तेरापंथ समाज के अलावा सभी जाति, वर्ग और धर्म के लोगांे ने इस यात्रा के भव्य-स्वागत अभिनन्दन किया। भव्य जुलूस में परिवर्तित श्रद्धालुओं के जयघोष के साथ आचार्यश्री नगर स्थित तेरापंथ भवन पहुंचे। भवन के परिपार्श्व में बने अहिंसा समवसरण के भव्य पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को विनय का भाव रखते हुए विवेकपूर्ण पुरुषार्थ के माध्यम से अपने जीवन को उन्नत बनाने की प्रेरणा प्रदान की। वहीं आह्लादित दिनहाटा के विभिन्न समाज के प्रमुख व्यक्तियों सहित तेरापंथ की संस्थाओं ने महातपस्वी आचार्यश्री के समक्ष अपने भावसुमन अर्पित कर शुभाशीष प्राप्त किया। वहीं आचार्यश्री के आह्वान पर दिनहाटावासियों ने अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्यों के तीनों संकल्पों को स्वीकार कर अहिंसा यात्रा के भागीदार बने। 
जन-जन को नहीं बल्कि जन-जन के मानस को परिवर्तित कर मानवीय मूल्यों की स्थापना का संकल्प लेकर निकले अखंड परिव्राजक, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ रविवार की सुबह बुरीहाट से दिनहाटा के लिए विहार किया लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर दिनहाटा नगर में प्रवेश किया। अपने आराध्य का अपनी धरा पर प्रथम दर्शन को आतुर यहां के श्रद्धालुओं के अलावा महातपस्वी आचार्यश्री के दर्शन को दिनहाटा का पूरा समाज उमड़ पड़ा। आचार्यश्री के नगर सीमा में प्रवेश करते ही एक विशाल जनमेदिनी ने आचार्यश्री का स्वागत-अभिनन्दन करते हुए जयघोष से संपूर्ण वातावरण को गुंजायमान कर दिया। यह भीड़ भव्य जुलूस का रूप लेकर आचार्यश्री के साथ चल पड़ी। आचार्यश्री नगर में त्रिदिवसीय प्रवास के लिए तेरापंथ भवन पहुंचे। 
भवन के समीप बने अहिंसा यात्रा मंे उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी मंगलवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आदमी को अपने जीवन में विनय भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। विनय आदमी को ऊंचा उठाने वाला होता है। विनय का सांसारिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत बड़ा महत्त्व होता है। आचार्यश्री ने तेरापंथ धर्मसंघ के नियमों का वर्णन करते हुए कहा कि साधुओं में उम्र दीक्षा पर्याय मायने रखती है। यदि कोई बालमुनि पहले दीक्षित हुआ है और उसके उपरान्त कोई पचास-साठ का आदमी साधु दीक्षा स्वीकार करता है तो अपने से संयम पर्याय में बने बालमुनि को विनयपूर्वक वंदन करता है। यहां तक यदि कोई आचार्य भी बन जाए तो उसे अपने से दीक्षा पर्याय में बड़े साधुओं का विनयपूर्वक वंदन करना चाहिए। आचार्यश्री ने नवमें आचार्यश्री तुलसी के विनय भाव का वर्णन करते हुए कहा कि वे अपने से दीक्षा पर्याय में बड़े मुनियों को वंदन करने के लिए स्वयं पट्ट से नीचे उतरते और जमीन पर बैठ उन्हें वंदन करते थे। आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को विवेकपूर्ण सम्यक् पुरुषार्थ करने की प्रेरणा प्रदान की और बताया कि विवेकपूर्ण सम्यक् पुरुषार्थ निष्पत्तिदायी बन सकता है। इसलिए आदमी को अपने जीवन में विवेक के साथ पुरुषार्थ कर जीवन को उन्नत बनाने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके तीन संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं ने खड़े होकर संकल्पों को स्वीकार किया। 
  आचार्यश्री के पदार्पण से पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने श्रद्धालुओं को मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि साधुओं का समागम फलदायी होता है। आज तो दिनहाटा में स्वयं अहिंसा यात्रा के महानायक आचार्यश्री पधारे हैं तो यह धरती तीर्थस्थल बन गई है। आचार्यप्रवर के इस आगमन का सभी लाभ उठाएं और अपने जीवन की बुराइयों का कम कर या उनका त्याग कर अपने जीवन को सुफल बनाएं। 
अपनी धरा अपने धर्मसंघ के भगवान का स्वागत का शुभारम्भ इस धरा से संबंध रखने वाली साध्वी सविताश्री ने किया। इसके उपरान्त तेरापंथ सभा दिनहाटा के अध्यक्ष श्री माणकचंद बैद, मंत्री श्री संजय बोकड़िया, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती सुमनदेवी सिंघी, ज्ञानशाला संचालिका श्रीमती ऊषा सुराणा, तेरापंथी सभा दिनहाटा के संरक्षक और साध्वीश्री सविताश्री के संसारपक्षीय पिता श्री रतनलालजी बेगवानी ने अपने भावनाओं के श्रद्धासुमन आचार्यश्री के पूज्यचरणों में अर्पित किए और पावन आशीष प्राप्त किया। महिला मंडल, कन्या मंडल, माहेश्वरी महिला मंडल और तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने गीत के माध्यम से आचार्यश्री की अभ्यर्थना की। माहेश्वरी सभा के मंत्री श्री श्यामसुन्दन सोनी अपने समाज की ओर से आचार्यश्री का स्वागत करते हुए कहा कि आपकी अहिंसा यात्रा और उसके संकल्पों को हम सभी नमन करते हैं। आपश्री के आगमन से यहां की धरती पावन हो गई है। साधुमार्गी जैन समाज के उपाध्यक्ष श्री तोलाराम बैद ने कहा कि जहां संतों की चरण पड़ते हैं वह धरा धन्य हो जाती है। आज आप जैसे महासंत के चरणकमल से हमारी दिनहाटा की धरती भी पवित्र हो गई है। पूरे समाज में सद्भावना और सोहार्द का वातावरण कायम हो गया है। उत्तर बंगाल की धरती पर आपका प्रथम पदार्पण मंगलकारी हो और आपका संदेश समाज में अवश्य परिवर्तन लाएगा ऐसा मेरा विश्वास है। दिगम्बर जैन समाज के मंत्री श्रीप्रकाश पाटनी ने आचार्यश्री को सूर्य के समान बताते हुए कहा कि हम आपके समक्ष क्या बोलें मेरी भावनाओं अभिव्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। अग्रवाल समाज की ओर से समाजसेवी श्री भवानीशंकर अग्रवाल अहिंसा यात्रा के सफल होने की मंगलकामना करते हुए कहा कि आपश्री के यहां आगमन मात्र से यहां के वातावरण में अहिंसा और शांति का संप्रसार हो गया है। श्री हनुमान सुकलेचा ने कहा कि आज का सूर्य अपनी किरणों के साथ नया इतिहास लिख रहा है। आचार्यश्री! आपके आगमन से दिनहाटा की धरती पावन हो गयी है। ब्राह्मण समाज की ओर से श्री पन्नालाल पांड्या ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपने हृदयोद्गार व्यक्त कर शुभाशीष प्राप्त किया। संचालन मुनिश्री दिनेशकुमारजी और प्रवास व्यवस्था समिति दिनहाटा के सह संयोजक श्री दीपक बैद ने किया।




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