- रानीनगर में बीएसएफ के जवानों ने शांतिदूत से लिया आध्यात्मिक प्रशिक्षण -
- आचार्यश्री ने दिया शांति का संदेश, कहा देश बड़ा परिवार, इसलिए देश सेवा पहले -
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आचार्यश्री महाश्रमणजी |
27 जनवरी 2017 रानीनगर, जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल) (JTN) : कठिन परिश्रम और अध्याधुनिक शस्त्रों का प्रशिक्षण प्राप्त कर देश की सीमाओं की सुरक्षा करने वाले उत्तर बंगाल के फ्रन्टीयर बीएसएफ हेडक्वार्टर सहित सेक्टर हेडक्वार्टर रानीगनर, जलपाईगुड़ी, और 13वीं, 22वीं तथा 61वीं बटालियन के जवानों को रानीगनर स्थित पारख ल्यूब्स/ पेट्रोल पंप के प्रांगण में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, अखंड परिव्राजक, मानवता के मसीहा, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आध्यात्मिक प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें अपने जीवन में देश की सुरक्षा के साथ ही आत्मा की सुरक्षा करने की भी मंगल प्रेरणा प्रदान की। वहीं आचार्यश्री के आह्वान पर सेना के जवानों को अहिंसा यात्रा के तीन कल्याणकारी संकल्पों को स्वीकार कर अपनी आत्मा के कल्याण की दिशा में मंगल कदम बढ़ाया। पश्चिम अल्पसंख्यक विभाग के उपसभापति श्रीमती मारिया फर्रनांडिस सरकार की ओर से स्वागत-अभिनन्दन किया। दार्जीलिंग स्थित डाली गुम्बा के मुख्य बौद्ध भिक्षु श्री सोनेमदवा ने भी अपने सैकड़ों विद्यार्थियों संग आचार्यश्री के दर्शन किए।
शुक्रवार को जलपाईगुड़ी से प्रातः की मंगल बेला में आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ राणीनगर के लिए विहार किया। राणीनगर स्थित पारख ल्यूब्स/पेट्रोल पंप से पूर्व ही पारख परिवार के सदस्यों के अलावा बीएसएफ के उत्तर बंगाल फ्रन्टियर हेडक्वार्टर के आईजी श्री राजेश मिश्रा, डीआईजी श्री डी. हाटीप, सेक्टर हेडक्वार्टर के डीआईजी श्री बी.एस. पटियाल 13वीं बटालियन के कमांडेंट श्री दीपक खाण्डेलवाल, 22वीं बटालियन के श्री अजय लुथरा, सेक्टर हेडक्वार्टर जलपाईगुड़ी के कमांडेंट श्री विनोद खांडपाल, 61वीं बटालियन के डिप्टी कमांडेंट श्री के.एस. मेहतो के साथ सेकड़ों की संख्या में बीएसएफ के महिला व पुरुष जवान, पश्चिम बंगाल सरकार में अल्पसंख्यक विभाग की उपसभापति श्रीमती मारिया फर्नांडिस और काफी संख्या में बंगाली समाज की महिलाएं महातपस्वी आचार्यश्री की अगवानी के लिए पलक पांवड़े बिछाए खड़े थे। जैसे ही आचार्यश्री अपनी श्वेत सेना के साथ राणीनगर की सीमा में प्रवेश करते ही श्वेत सेना का स्वागत भारतीय सेना के जवानों जोरदार स्वागत किया और शांतिदूत के की श्ेवत सेना की अगवानी करते हुए सीमा सुरक्षा बल के जवान गतिमान हुए। यह एक भव्य नजारा था क्योंकि जो सेना हमेशा शस्त्र लेकर मार्च करती है वहीं सेना के जवान शांतिदूत की अगवानी में शांति का संदेश लिखे बैनर लेकर मार्च कर रहे थे। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री राणीनगर स्थित पारख ल्यूब्स/पेट्रोल पंप परिसर में पधारे। पारख परिवार का यह प्रतिष्ठान की महातपस्वी आचार्यश्री के चरणरज से दूसरी बार पावन हो रहा था।
बंगाल की बेजोड़ कलाकारी को दर्शा रहे भव्य प्रवचन पंडाल में जब आचार्यश्री ने पदार्पण किया तो एक तरफ सेना के जवानों ने अनुशासनात्मक ढंग तो बंगाली समाज की महिलाओं ने शंख ध्वनि और उललूकनाद कर शांतिदूत का अभिनन्दन किया।
आचार्यश्री ने अपनी मंगलवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि धर्मशास्त्र में युद्ध की बात बताई गई है। युद्ध बाहर भी होता है तो भीतर भी हो सकता है। शांति और सौहार्द का ऐसा वातावरण कायम करने का प्रयास करना चाहिए कि बाहरी युद्ध ही न हो। चारों ओर शांति रहे। देश की सुरक्षा में तत्पर जवान युद्ध के कष्टों को सहने के प्रति जागरूक रहते होंगे। सीमा पर जवान अपने दायित्वों के प्रति जागरूक रहते हुए तैनात रहते हैं तो काफी हद देश निश्चिंत होता है। उस देश के नागरिक निश्चिंतता का अनुभव करते हैं। सैनिक सक्षम और जागरूक होते हैं तो देश में शांति की स्थिति कायम हो सकती है। सेना के जवानों को देश की सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने के लिए अभिप्ररित करते हुए कहा कि इतने बड़े देश रूपी परिवार की देखभाल और सुरक्षा के लिए सेना के जवान अपने परिवार का भी त्याग करते होंगे। देश रूपी बड़े परिवार के देखभाल और सुरक्षा के लिए एक बार छोटे परिवार की चिन्ता भी गौण की जा सकती है। हमारे जवान ऐसा करते भी होंगे। बड़े हित के लिए छोटे हित को छोड़ देना नीतिगत बात भी होती है। थोड़े के लिए अधिक को छोड़ देना विचार विमूढ़ता होती है।
आचार्यश्री ने जवानों को आध्यात्मिक प्रशिक्षण भी प्रदान करते हुए कहा कि एक व्यक्ति किसी युद्ध में दस लाख योद्धाओं को जीत ले तो बड़ा योद्धा कहलाता है, किन्तु अपनी आत्मा को जीतना बहुत ही दुस्कर कार्य माना गया है। अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त करने वाले को उस योद्धा से भी बड़ा योद्धा माना जाता है। इसलिए आदमी को त्याग रूपी कवच और तप रूपी शस्त्र के माध्यम से अपनी आत्मा को जीतने का प्रयास करना चाहिए। त्याग की कमी आदमी के जीवन में हार का कारण बन सकती है। आदमी के जीवन में त्याग करने का प्रयास करना चाहिए। कहा गया है राग के समान कोई दुःख नहीं और त्याग के समान कोई सुख नहीं।
आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा के और उसके तीन उद्देश्यों की अवगति प्रदान करते हुए अहिंसा यात्रा के तीन संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया। आचार्यश्री के आह्वान पर बीएसएफ के उत्तर बंगाल फ्रन्टियर हेडक्वार्टर के आईजी श्री राजेश मिश्रा सहित उपस्थित सेना के अन्य अधिकारियों और जवानों ने सद्भावपूर्ण व्यवहार करने, यथासंभव ईमानदारी का पालन करने व पूर्णतया नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प स्वीकार किया।
आचार्यश्री के मंचासीन होने से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने सेना के जवानों और उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक प्रेरणा प्रदान की।
आचार्यश्री श्री जब अहिंसा यात्रा के संकल्पों की अभिप्रेरणा प्रदान कर रहे थे उस समय आईजी श्री राजेश मिश्रा मंच पर आचार्यश्री के समक्ष विनयानवत हो तीनों संकल्पों को स्वीकार करने के उपरान्त अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति देते हुए कहा कि सेना के जवान जीवन पर्यन्त भारत माता की सुरक्षा के लिए तत्पर हैं। भारत की परंपरा अध्यात्म से जुड़ी हुई परंपरा है। जब-जब देश में बुराइयों बढ़ती हैं, समस्याएं बढ़ती हैं तब-तब कोई महापुरुष अपने पथदर्शन से, अपने विचारों से उन बुराइयों को समाप्त कर देश को समस्याओं से मुक्त कराते हैं। हम आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञ हैं जो अहिंसा यात्रा लेकर देश-विदेश मंे भ्रमण कर देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, अनैतिकता, हिंसा और नशाखोरी से मुक्ति दिलाने हेतु पदयात्रा कर रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य कि ऐसे महापुरुष संत के दर्शन का और श्रवण का मौका मिला। आपसे से मिली प्रेरणा से हम सभी के जीवन का कल्याण होगा, ऐसा हमें विश्वास हैं। आपके चरणरज जहां-जहां पड़ेंगे वहां की धरती पावन हो जाएगी। यह भारत देश अत्यन्त सौभाग्यशाली है, जहां आप जैसे महातपस्वी संत समाज की बुराइयों को समाप्त करने के लिए विशाल और विकट पदयात्रा कर रहे हैं।
पश्चिम बंगाल सरकार के अल्पसंख्यक विभाग की उपसभापति श्री मारिया फर्नांडिस ने आचार्यश्री के अपनी सरकार की ओर स्वागत किया का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम आपके आभारी हैं जो आप इतनी पवित्र और पावन पदयात्रा लेकर हमारे राज्य के विभिन्न जिलों को पावन कर रहे हैं। हम अपनी सरकार की ओर से आपका अपने राज्य में हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन करते हैं।
अंत में दार्जीलिंग स्थित डाली गुम्बा के मुख्य बौद्ध भिक्षु श्री सोनेमदावा ने दर्जनों की संख्या में आए लामाओं के साथ आचार्यश्री के दर्शन किए। पारख परिवार की महिलाओं ने गीत के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।
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Om Arham
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