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मर्यादा है जीवन का आवश्यक तत्त्व : आचार्यश्री महाश्रमण

- विशाल जुलूस और श्वेत सेना के साथ आचार्यश्री ने राधाबाड़ी स्थित तेरापंथ भवन पहुंचे -
- मर्यादा समवसरण से आचार्यश्री ने धर्म रूपी मंगल को बताया उत्कृष्ट मंगल -


          29.01.2017 राधाबाड़ी, जलपाईगुड़ी, सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) (JTN) : जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, अखंडि परिव्राजक, मर्यादा की प्रतिमूर्ति आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी विशाल श्वेत सेना और हजारों की संख्या में उमड़े जन सैलाब के साथ रविवार को सिलीगुड़ी के राधाबाड़ी स्थित तेरापंथ भवन में तेरापंथ धर्मसंघ के 153वें मर्यादा महोत्सव के लिए दोपहर लगभग दो बजे भव्य प्रवेश कर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। 
इस मौके उमड़े विशाल जनसैलाब के साथ धवल सेना के साथ धवल सेना के संवाहक, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी एक देदीप्यमान सूर्य की भांति ज्ञान, ध्यान और ऊर्जा का आलोक बांटते चल रहे थे। आसपास के लोगों के लिए अविस्मरणी पल था। वे इस विशाल और अनुशासनात्मक जुलूस को जहां साश्चर्य निहार रहे थे वहीं, महातपस्वी संत को देख विनयानवत हो अपने किस्मत पर इतरा रहे थे। सभी पर समान रूप से आशीष वृष्टि करते आचार्यश्री बंगाल की धरा पर इतिहास कायम करने को अग्रसर हो रहे थे। पश्चिम बंगाल की धरा पर पहली बार आयोजित होने वाले इस महामहोत्सव के लिए तेरापंथ के महासूर्य का मंगल प्रवेश जो होने जा रहा था। अनुशासन से परिपुष्ट, पंक्तिबद्ध जुलूस और लोगों की उपस्थिति ने लगभग डाई किलोमीटर की दूरी को विलुप्त सा कर दिया था। दूर-दूर तक केवल जन सैलाब ही नजर आ रहा था। गूंजते नारों से पूरा वातावरण भी इस पावन मौके का गवाह बन रहा था। आसमान में चमकता सूर्य भी धरती के महासूर्य की अलौकिक छटा को अपनी समस्त कलाओं के साथ निहार रहा था। विभिन्न रश्मियों के बीच देदीप्यमान होते तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें महासूर्य का जो भी निहारता अपलक निहारता ही रह जाता।  इसी बीच महातपस्वी आचार्यश्री के समक्ष बीएसएफ के 65वीं बटालियन के जवान भी पहुंचे। आचार्यश्री ने उन्हें भी शुभाशीष से आच्छादित कर आगे बढ़े। लगभग दो बजते ही वह मंगल बेला आई जब आचार्यश्री के पावन चरणकमल राधाबाड़ी में बने भव्य तेरापंथ भवन और आसपास बसी अस्थाई नगरी की भूमि पर पड़े। एक बार पुनः पूरा वातावरण जयघोष से गूंज उठा और इसी के साथ बंगाल की धरा पर आयोजित होने वाले मर्यादा महोत्सव के लिए मार्यादा की प्रतिमूर्ति आचार्यश्री महाश्रमणजी का चिरस्मरणीय और भव्य प्रवेश हो गया।  विशाल प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्म रूपी मंगल को उत्कृष्ट मंगल का ज्ञान प्रदान कर आचार्यश्री ने मार्यादा महोत्सव के मंगल प्रवेश को मंगल बनाया। वहीं मर्यादा महोत्सव प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मन्नालाल बैद और स्वागताध्यक्ष श्री धनराज भंसाली ने अपने आराध्य देव के शुभागमन पर अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। 
कोहरे के कारण विलम्ब से हुआ विहार 
रविवार की सुबह घनकोहरे के कारण फाटापुकुर स्थित चाय की फैक्ट्री से आचार्यश्री का निर्धारित समय से लगभग दो घंटे विलम्ब से विहार हुआ। लगभग आठ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ गेंडा मोड़ स्थित एवरग्रीन टी फैक्ट्री को अपने चरणरज से पावन करने पहुंचे। 

एवरग्रीन फैक्ट्री को अपने चरणरज से किया पावन 
         अपने आराध्य देव को अपने प्रतिष्ठान में पाकर कंपनी के मालिकान और उनके परिवार के सदस्य अपनी किस्मत पर फूले नहीं समा रहे थे। आचार्यश्री ने कंपनी परिसर में ही आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्म से युक्त व्यवहार करने का ज्ञान प्रदान किया और लगभग तीन घंटे का अल्पप्रवास किया। 
गेंडा मोड़ ने निकला मर्यादा महोत्सव का भव्य और मर्यादित जुलूस 
153वें मर्यादा महोत्सव के लिए गेंडा मोड़ स्थित एवरग्रीन चाय कंपनी से लगभग एक बजे विशाल किन्तु मर्यादित और भव्य जुलूस निकल रहा था। जुलूस में सर्वप्रथम कंपनी के सदस्य अपने निर्धारित पोशाक में, उनके पीछे कतारबद्ध बाइक सवार युवा, उसके बाद पश्चिम बंगाल की संस्कृति को प्रदर्शित करती बंगाली वेशभूषा में सजी बंगाली महिलाएं शंख ध्वनि करते, आदिवासी पोशाक में सजी कन्याएं, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी, कन्या मंडल, महिला मंडल, मुख्य जैन ध्वज वाहक, मुमुक्षु बहनों का दल, समणीवृन्द, साध्वी समुदाय के बीच ऐसे शोभित हो रहे थे जैसे अपनी विभिन्न किरणों के आलोक के बीच सूर्य शोभायमान होता हो। 
श्रीमुख से निकले मंगल उद्बोध, धर्म को बताया जीवन का उत्कृष्ट मंगल 
मर्यादा महोत्सव के भव्य प्रवचन पंडाल में आचार्यश्री समस्त साधु-साध्वियों और समण-समणियों के साथ आसीन हुए। प्रवचन स्थल में उमड़े विशाल जन समूह को अपनी मंगलवाणी का रसपान कराते हुए आचार्यश्री ने कहा कि दुनिया में मंगल की कामना की जाती है। कहीं प्रस्थान से पूर्व मंगल कार्य किए जाते होंगे तो कहीं आर्सवाणी को अपने से बड़े से सुनकर मंगल की कामना की जाती है। कहीं आगमन-प्रस्थान आदि पर मंगल मुहूर्त, संकेत या किसी अन्य माध्यम से मंगल की कामना की जा सकती है। विधि जो भी हो लेकिन आदमी मंगल की कामना करता है। दुनिया में सबसे उत्कृष्ट मंगल धर्म को बताया गया है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। आदमी के जीवन में अहिंसा है तो मंगल है, संयम है तो मंगल है और तप है तो मंगल है। आदमी को धर्मरूपी मंगल को हृदय में रखने का प्रयास करना चाहिए। 
आचार्यश्री ने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ अपनी तीसरी शताब्दी में चल रहा है। इसके आद्य आचार्य और संस्थापक आचार्य भिक्षु हुए। आचार्यश्री ने मर्यादा महोत्सव के संबंध में विशेष अवगति प्रदान करते हुए कहा कि 153वें मर्यादा महोत्सव के लिए सिलीगुड़ी या उसके परिपाश्र्व में पधारे हैं। वर्ष 2011 में केलवा में सिलीगुड़ी में मर्यादा महोत्सव की जो स्वीकृति दी थी, आज उसके लिए निर्धारित स्थल पर पहुंच गए है। यह मर्यादा महोत्सव लोगों के जीवन को मर्यादित करने वाला और विशेष प्रेरणा देने वाला बने। मर्यादा जीवन के लिए बहुत आवश्यक तत्त्व है। आदमी को अपनी आत्मा का कल्याण करने का प्रयास करना चाहिए। आत्म निष्ठा के साथ संघनिष्ठा के प्रति जागरूकता रखने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि यह संघ हमें बड़े ही भाग्य से मिला है तो इसके मर्यादाओं का पालन कर इसे अपने जीवन में बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। 
असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने भी प्रदान की अवगति 
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं पर अपनी ममतामयी वाणी की बरसात करते हुए कहा कि बंगाल की धरा स्वयं मर्यादा की प्रतिमूर्ति आचार्यश्री का आज मर्यादा महोत्सव के लिए सिलीगुड़ी में आज भव्य प्रवेश हुआ है। इस युग के लिए इस मर्यादा महोत्सव को आवश्यक बताते हुए कहा कि यदि इस महोत्सव में लोकसभा और विधानसभा के प्रतिनिधि में उपस्थित होते तो उन्हें पता चलता कि मर्यादा क्या होती है। मर्यादा संघ की अपेक्षा है। इसलिए मर्यादाओं के महत्त्व को समझ मर्यादाओं को अपने जीवन में लाने का प्रयास करना चाहिए। 
मर्यादा महोत्सव प्रवास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मन्नालाल बैद और स्वागताध्यक्ष श्री धनराज भंसाली ने अपनी भावनाओं की पुष्पांजलि श्रीचरणों में अर्पित की। 







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