12 फरवरी 2017, साउथ हावड़ा, साउथ हावड़ा सभा के तत्वाधान मे आयोजित उपासक प्रेरणा व प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन साउथ हावड़ा सभा में साध्वी श्री गुप्तीप्रभा जी के सान्निध्य मे हुआ।
साध्वी श्री गुप्तीप्रभा जी ने कहा – आचार्य श्री तुलसी के अनेक अवदानों मे एक श्रेष्ठ अवदान है उपासक श्रेणी। उन्होने बताया उपासक का जीवन साधारण गृहस्थ से अलग होना चाहिए वास्तव उपासक वही है जो उपशम की साधना करें, पाप से डरे, संयम के साथ चले और कमनीय कर्म करें। अपनी निर्जरा करें और दूसरों की निर्जरा मेन सहयोगी बनें अतः अपेक्षा है आदर्शों तक पहुंचाने वाले गुणों से सतरंगा व्यक्तित्व बनाएँ वे गुण है वैराग्यपूर्ण जीवन जिये, आवश्यकता आकांक्षा मेन संतुलन रखें, संघ संघपति के प्रति निष्ठा रखें, नकारात्मक विचारों से बचे, सहनशीलता साढ़े, उत्साह के साथ पुरुषार्थ करें एवं आत्म निरक्षण करें। नए उपासक अधिक से अधिक बनकर गुरुदेव का स्वागत करें। आपने उपासक शब्द को परिभाषित करते हुए बताया -
उ से उपशम की साधना करने वाला,
पा से पाप से डरने वाला,
स से संयम से चलने वाला,
क से कमनीय कार्य करने वाला।
साध्वी श्री कुसुमलता जी ने संघ का गौरव बताते हुए बलिदानी श्रावकों का इतिहास बड़ी सधी हुई भाषा मे प्रस्तुत किया।
साध्वी श्री मौलिकयशा जी ने व्यवहारिक और आध्यात्मिक उपासना की सटीक व्याख्या करते हुए कहा की उपासना किस की करनी देव, गुरु, धर्म की। संघ के प्रति समर्पण रहें। आपने आगे कहा उपासक में व्यवहार कुशलता हो, वाणी मे मधुरता हो, चेहरे स्माइल बरकरार रहें। आपने अपनी जन्मभूमि से कम से कम 25 उपासक एवं 5 मुमुक्षु प्राप्ति की अभिलाषा रखी।
उपासिका श्रीमति निर्मला दुधोड़िया व सुश्री अंकिता चोरडिया ने गीत प्रस्तुत किया। उपासक श्री मालचंद भंसाली ने विचार व्यक्त किया, उपासक श्री पंकज दुधोड़िया ने स्वरचित कविता के माध्यम से उपासक श्रेणी को कर्तव्यबोध दिया।
महिला मण्डल की बहनों के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री श्री बसंत पटावरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सुशील गीडिया ने किया। इस उपासक प्रेरणा व प्रशिक्षण कार्यशाला मे कोलकाता क्षेत्र के उपासक उपासिका उपस्थित थे। साध्वी श्री जी की प्रेरणा से तुरंत लगभग 15 नए नाम उपासक श्रेणी से जुडने हेतु आए। कार्यक्रम मे सभा अध्यक्ष श्री शिखरचंद लुनावत सहित पुरे कोलकाता से सराहनीय उपस्थिती थी।
साध्वी श्री गुप्तीप्रभा जी ने कहा – आचार्य श्री तुलसी के अनेक अवदानों मे एक श्रेष्ठ अवदान है उपासक श्रेणी। उन्होने बताया उपासक का जीवन साधारण गृहस्थ से अलग होना चाहिए वास्तव उपासक वही है जो उपशम की साधना करें, पाप से डरे, संयम के साथ चले और कमनीय कर्म करें। अपनी निर्जरा करें और दूसरों की निर्जरा मेन सहयोगी बनें अतः अपेक्षा है आदर्शों तक पहुंचाने वाले गुणों से सतरंगा व्यक्तित्व बनाएँ वे गुण है वैराग्यपूर्ण जीवन जिये, आवश्यकता आकांक्षा मेन संतुलन रखें, संघ संघपति के प्रति निष्ठा रखें, नकारात्मक विचारों से बचे, सहनशीलता साढ़े, उत्साह के साथ पुरुषार्थ करें एवं आत्म निरक्षण करें। नए उपासक अधिक से अधिक बनकर गुरुदेव का स्वागत करें। आपने उपासक शब्द को परिभाषित करते हुए बताया -
उ से उपशम की साधना करने वाला,
पा से पाप से डरने वाला,
स से संयम से चलने वाला,
क से कमनीय कार्य करने वाला।
साध्वी श्री कुसुमलता जी ने संघ का गौरव बताते हुए बलिदानी श्रावकों का इतिहास बड़ी सधी हुई भाषा मे प्रस्तुत किया।
साध्वी श्री मौलिकयशा जी ने व्यवहारिक और आध्यात्मिक उपासना की सटीक व्याख्या करते हुए कहा की उपासना किस की करनी देव, गुरु, धर्म की। संघ के प्रति समर्पण रहें। आपने आगे कहा उपासक में व्यवहार कुशलता हो, वाणी मे मधुरता हो, चेहरे स्माइल बरकरार रहें। आपने अपनी जन्मभूमि से कम से कम 25 उपासक एवं 5 मुमुक्षु प्राप्ति की अभिलाषा रखी।
उपासिका श्रीमति निर्मला दुधोड़िया व सुश्री अंकिता चोरडिया ने गीत प्रस्तुत किया। उपासक श्री मालचंद भंसाली ने विचार व्यक्त किया, उपासक श्री पंकज दुधोड़िया ने स्वरचित कविता के माध्यम से उपासक श्रेणी को कर्तव्यबोध दिया।
महिला मण्डल की बहनों के मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री श्री बसंत पटावरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सुशील गीडिया ने किया। इस उपासक प्रेरणा व प्रशिक्षण कार्यशाला मे कोलकाता क्षेत्र के उपासक उपासिका उपस्थित थे। साध्वी श्री जी की प्रेरणा से तुरंत लगभग 15 नए नाम उपासक श्रेणी से जुडने हेतु आए। कार्यक्रम मे सभा अध्यक्ष श्री शिखरचंद लुनावत सहित पुरे कोलकाता से सराहनीय उपस्थिती थी।
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