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बाल,पंडित और बालपण्डित - इन तीनो में संसार के सारे प्राणी समाविष्ठ हो सकते है : आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमणजी


सिलिगुडी (पश्चिम बंगाल), 06 फरवरी, 2017। (JTN) : 153 वा मर्यादा महोत्सव परिसम्पन्न कर जैन श्वेताम्बर तेरापन्थ धर्मसंघ के आचार्य का दूसरी बार सिलीगुड़ी शहर में पर्दापण हुआ। आचार्य श्री के आगमन पर पूरा शहर उनके दर्शन और स्वागत के लिए उमड़ पड़ा।शहरवासी उनकी एक झलक और आशीर्वाद को आतुर थे। राधावाड़ी  से लेकर सिलीगुड़ी तक संपूर्ण मार्ग में लोगो का जमावड़ा लगा हुआ था। जगह जगह पर महाश्रमण जी का स्वागत शहर की विभिन्न संस्थाओं ने जोर शोर से किया। और पूरा मार्ग आचार्य महाश्रमणजी के जयकारों से गुंजायमान हुआ। इस अहिंसा यात्रा के काफिले में महिलाये, बच्चे , युवा सभी शामिल थे। और सभी के जुबान पर सिर्फ और सिर्फ आचार्य श्री महाश्रमण जी के जयकारे थे। झंकार मोड़ से यह काफिला सिद्धि विनायक की और बढ़ गया। झंकार मोड़ से सिद्धि विनायक तक कई समाज के लोगो ने उनका स्वागत किया और सड़क के दोनों ओर लोगो का हूजुम आचार्य श्री के दर्शन को लगा हुआ था। लग्भग 13 किलोमीटर का विहार कर सिद्धि विनायक बैंक्वेट हॉल पधारे।
बाल पंडित कौन ?
तेरापंथ धर्मसंघ के ग्याहरवें अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपने प्रातःकालीन उद्बोधन में फरमाया की जैन वाङ्गमय में तीन शब्द प्रात्त होते है। बाल,पंडित और बालपण्डित। इन तीनो में संसार के सारे प्राणी समाविष्ठ हो सकते है। बाल शब्द का अर्थ बच्चा होता है। और बाल का दूसरा अर्थ है मुर्ख, जड़, नासमझ और बाल का एक तीसरा अर्थ जो जैन साधना, सिद्धांत के सन्दर्भ में है बाल वह होता है जिसमे संयम, व्रत, त्याग नहीं होता है जो अवृति असंयमी होता है वह बाल होता है। अविरति की अपेक्षा प्राणी बाल कहलाता है। और पंडित जिसमे वृत है वह पण्डित होता है। और संयमी व्यक्ति पंडित होता है। और जिसके संयम भी है, असंयम भी है श्रावक बाल पंडित होता है। और चौदह गुणस्थान के प्रथम चार गुणस्थान में रहने वाला जीव बाल होता है। पंचम गुणस्थान वृति जीव बाल पंडित होता है। षष्ठ गुणस्थान से चौदह गुणस्थान के गुणस्थान में रहने वाले जीव पंडित होते है। पंडित शब्द का प्रसिद्ध शब्द है विद्धान। विद्धान आदमी को पंडित कहा जाता है।
परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का आज दीक्षा दिवस है। माघ शुक्ला दशमी। परम पूज्य आचार्य श्री महाप्रज्ञजी ने कितनो को दीक्षित किया है। और स्वयं आचार्य श्री कालूगणी के करकमलो से दीक्षित हुए थे। तो मैं परम पूज्य गुरुदेव महाप्रज्ञजी का श्रद्धा के साथ स्मरण करता हूँ। और यह उनका दीक्षा दिवस किसी को  दीक्षा देने की प्रेरणा देने में कामयाब हो जाए। बहुत अच्छा हो जाए।
पूज्य प्रवर के स्वागत में तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा गीतिका की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेश कुमारजी ने किया।




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