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आचार्य श्री महाश्रमणजी |
सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल), दिनांक - 09 फरवरी 2017 (JTN) : जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी ने अपने प्रातकालीन उद्बोधन में फ़रमाया कि महिलाओं को यदि सशक्त होना है तो पांच चीज़ों की आवश्यकता है वे है श्रद्धा, शिक्षा, संस्कार, सेवा और संयम ।
1. श्रद्धा - आदमी में श्रद्धा हो तो सफलता आ सकती है। सच्चाई के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए । देव गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धा रहनी चाहिए ।
2. शिक्षा :- अज्ञान से वशीभूत व्यक्ति हित-अहित का बोध नहीं कर पाता, महिलाओं में शिक्षा का विकास हो रहा है , शिक्षा व्यक्ति को सशक्त बनाता है, शिक्षित व्यक्ति में आलोक होता है, प्रकाश होता है ।
3. संस्कार :- महिलाओं में खुद में भी अच्छे संस्कार हो, परिवार में भी अच्छे बने रहें, संतानों में भी अच्छे संस्कार आएं और परिवार के पुरुषों को नशामुक्त करने का प्रयास करें ।
4. सेवा :- सेवा करने वाला सशक्त बनता है, सेवा की भावना अच्छी होनी चाहिए, जहाँ स्वार्थ है वहाँ सशक्तिकरण नही हो सकता ।
5. संयम :- रहन सहन, खान-पान का संयम होना चाहिए, संयम से व्यक्तितत्व का विकास हो सकता है, चेतना का विकास हो सकता है, इंद्रियों का संयम भी हो सकता है ।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या जी ने अपने उद्बोधन में फरमाया कि महिलाएं इच्छाओं का अल्पीकरण करें , लोभ को संतोष से जीतने का प्रयास करें । अपने अंदर करुणा को जगाएं तो सशक्तिकरण हो सकता है ।
इस अवसर पर पूज्य प्रवर के समक्ष स्वागत भाषण कुसुम डोसी द्वारा हुआ और दार्जिलिंग जिले की जनरल सेक्रेटरी एडवोकेट ज्योत्सना ने पूज्य प्रवर के समक्ष अपने विचारों की प्रस्तुति दी । कार्यक्रम का संचालन महिला मंडल की मंत्री मनीषा सुराणा ने किया ।
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