Top Ads

"तिरेगा वही जिसके ह्रदय में हर है" : आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमणजी

          23 फरवरी 2017, केसर्रा, अररिया (बिहार) (JTN) : पूज्य प्रवर बिशनपुर से विहार कर के केसर्रा पधारे। विहार के दौरान मार्ग में हल्दिखोड़ा गाँव में गुरुदेव ने ग्रामीण जनों को संबोधित करते हुए अहिंसा यात्रा के संकल्पों के बारे में बताया और अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा दी।

          अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने केसर्रा गाँव के विद्यालय परिसर में बने पंडाल में उपस्थित लोगों को अपने मुख्य प्रवचन में संबोधित करते हुए फरमाया की जैन शासन में जो साधु दीक्षा को स्वीकार करता है उसके लिए पाँच महाव्रत का पालन करना आवश्यक होता है। हिंसा से विरक्ति, पूर्णतया झूठ बोलने से विरक्ति, चोरी करने से विरक्ति, ब्रम्हचर्य साधना एवं परिग्रह का विरमण इन्हें पाँच महाव्रत कहा जाता है। साधु के लिए वांछनीय हे कि वो इन पाँच महाव्रतों का पालन करे। बड़े बड़े व्रतों का पालन करे। किन्तु जो गृहस्थ हैं उनमें इतनी सामर्थ्य नहीं कि वे इन महाव्रतों को धारण कर सके और अगार से अणगार में प्रवजीत हो सके। अगर उनमें इतनी शक्ति और क्षमता नहीं है तो उनके लिए मध्यम मार्ग है अणुव्रत। आचार्य श्री ने कहा यदि हम महाव्रत नहीं पाल सकते हो हमें अणुव्रत के छोटे छोटे नियमों को स्वीकार  करना चाहिए। 

          अगर व्यक्ति के जीवन में इन छोटे छोटे नियमों का समावेश हो जाये तो जीवन उत्तम बन सकता है। आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन शुरू किया था, संयम व नैतिकता का संदेश दिया था। पूज्य प्रवर ने आगे फ़रमाया आत्मा एक नहीं है इसमें पानी क्या? संयममयी पानी इस नदी में है और सत्यता इसमें प्रवाहित हो रही है। इस संयममयी नदी में नदी के तट क्या? शील ब्रम्हचर्य इस नदी के तट हैं और दया के भाव लहरें। या नदी ऐसी नदी है जिसमें संयम का पानी है, सत्य का प्रवाह है, शील जिसके तट हैं, दया जिसकी लहरें हैं ऐसी नदी में स्नान करना चाहिए। कोरे बाह्य पानी से नहाने से अंतर आत्मा शुद्ध नहीं होती।  पूज्य प्रवर ने कहा कि तीर्थ यात्राओं के भी रहस्य हो सकते हैं किन्तु कोरे पानी से नहाने से क्या लाभ होगा ? संयममयी नदी में नहाएं, "तिरेगा वही जिसके ह्रदय में हर है।" गीत का संगान करते हुए पुज्यप्रवर ने कहा कि अहिंसा यात्रा के मुख्य तीन उद्देश्य है सदभावना, नैतिकता और नशामुक्ति इन तीनो के बारे में बताते हुऐ कहा कि आपस में सद्भावना पूवर्क रहें, जीवन में नैतिकता रखे और नशा मुक्त रहें उपस्थित ग्रामीणो ने इन नियमों को सकंल्पो को स्वीकार किया।

          इस अवसर पर स्कूल के हैडमास्टर तुफानी जी ने पुज्यप्रवर का स्वागत में भाषण दिया व किशान कालेज के प्रो.  महोम्मद नइमुदीन ने भी अभिव्यक्ति दी।










Post a Comment

1 Comments

Leave your valuable comments about this here :