'क्या वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिलाएं वास्तव में सशक्त हैं।'

साध्वी श्री मौलिकयशा जी ने कहा आत्म बल से ही आगे बढा जा सकता है। साध्वी श्री भावितयशा जी ने सुमधुर गीतिका 'बहनों में जागृति उत्पन्न हो' प्रस्तुत की। समणी मलय प्रभा जी ने तीन रत्न ज्ञान, दर्शन, चरित्र के बारे में जानकारी दी।
श्री बने चंद जी मालू ने कहा सशक्त वह होता है जिसे सहयोग मिलता है। कुछ ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें सहयोग नहीं मिलता, ऐसा नहीं है कि वे सशक्त नहीं है, अवसर मिलने पर उसका उपयोग करती हैं।

'क्या वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिलाएं वास्तव में सशक्त हैं ' विषय पर डिबेट हुई। पक्ष और विपक्ष में क्षेत्रीय शाखाओं की १४ बहनों ने अपने विचार रखे। जज श्रीमती डॉ प्रतिभा कोठारी, श्रीमती डॉ पुखराज सेठिया थे। इसमे प्रथम - प्रीति चौरडिया , द्वितीय - कांता चौरडिया, तृतीय - विनिता बैद रहे।
दूसरे चरण में पच्चीस बोल के ६ से १० तक के बोल की परिक्षा हुई । कार्यक्रम का संचालन मंत्री श्रीमती अंजु दुगड ने किया। कार्यक्रम में ११० भाई बहनों की उपस्थिति रही।
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