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अहिंसा शांति का मार्ग है और हिंसा अशांति का : आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमणजी

          01 मार्च 2017, बथनाहा SSB कैंप (JTN) : आर्हत वांग्मय में कहा गया है धम्मजियं च ववहारं बुद्धे हायरिं सया, तमायरंतो ववहारं वरहं नाभि गच्छते । आदमी के व्यवहार में धर्म रहना चाहिए । धर्म का स्वरूप है अहिंसा, संयम , तपस्या । अगर हमारे व्यवहार में अहिंसा है तो मानना चाहिए धर्म व्यवहार में आया है । संयम व्यवहार में है तो मानना चाहिए धर्म व्यवहार में आया हुआ है और तपस्या चलती है तो मानना चाहिए व्यवहार में तपस्या है । आज अणुव्रत स्थापना दिवस के संदर्भ में कार्यक्रम और आज से लगभग 68 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 2005 में अणुव्रत का प्रारम्भ 
हुआ था । गुरुदेव तुलसी द्वारा जो अभियान कार्यक्रम शुरू किया गया अणुव्रत का वह 68 वर्ष सम्पन्न कर चुका है । अणु यानी छोटा , व्रत यानि नियम । साधुओं के लिए तो महाव्रत का विधान है । महा यानी बड़ा, व्रत यानि नियम ।साधू तो बड़े बड़े नियम पालें , गृहस्थ के लिए बड़े बड़े नियमों को पालना कठिन है तो उनके अनुकूल पड़ सके वैसे छोटे छोटे नियम यानि अणुव्रत उनके जीवन में रहे तो उनकी आत्मा कुछ निर्मल बन सकती है , रह सकती है । अणुव्रत के द्वारा स्वयं पर स्वयं का अनुशासन हो सकता है । परम पूज्य गुरुदेव तुलसी ने सुन्दर कहा - " 

अपने से अपना अनुशासन , अणुव्रत की परिभाषा ।
 वर्ण , जाति या संप्रदाय से मुक्त धर्म की भाषा ।। 
छोटे छोटे संकल्पों से मानस परिवर्तन हो । संयम मय जीवन हो ।।
 नैतिकता की सुर सरिता में जन जन मन पावन हो , संयम मय जीवन हो ।। 
मैत्री भाव हमारा सबसे प्रतिदिन बढ़ता जाए । 
समता , सहअस्तित्व ,समन्वय नीति सफलता पाएं ।। 
शुद्ध साध्य के लिए नियोजित मात्र शुद्ध साधन हो । संयम मय जीवन हो ।। 
विद्यार्थी या शिक्षक हो मजदुर और व्यापारी । 
नर हो नारी बने नीतिमय जीवन चर्या सारी ।। 
कथनी करनी की समानता में गतिशील चरण हो । संयम मय जीवन हो ।
 नैतिकता की सुर सरीता में जन जन मन पावन हो । संयम मय जीवन हो ।
 प्रभु बनकर के ही हम प्रभु की पूजा कर सकते हैं । 
प्रामाणिक बनकर ही संकट सागर तर सकते हैं । 
शौर्य वीर्य बलवती अहिंसा ही जीवन दर्शन हो , संयम मय जीवन हो ।
 नैतिकता की सुर सरीता में जन जन मन पावन हो , संयम मय जीवन हो ।। 
सुधरे व्यक्ति , समाज व्यक्ति से राष्ट्र स्वयं सुधरेगा । 
तुलसी अणुव्रत सिंह नाद सारे जग में प्रसरेगा । 
मानवीय आचार संहिता में अर्पित तन मन हो ।। संयम मय जीवन हो ।। 
नैतिकता की सुर सरीता में जन जन मन पावन हो, संयम मई जीवन हो ।

     अणुव्रत संयममय जीवन की बात या जीवन को संयम को रखने की बात बताने वाला का आंदोलन है । परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ जी ने अहिंसा यात्रा के द्वारा जनता को अहिंसा , नैतिकता का संदेश दिया था । अणुव्रत अगर व्यापारी के जीवन में है उसका व्यापार अच्छा  नैतिकता होगी । अणुव्रत एक विद्यार्थी के जीवन में है उसका विद्यार्थित्व अच्छा , शिक्षक के जीवन में है उसका शिक्षकत्व अच्छा, राजनेता के जीवन में है उसका राजनेतृत्व अच्छा हो सकता है । अणुव्रत तो मानो सबके लिए या लगभग सब गृहस्थों के लिए बड़े काम की चीज है । इसमें  कोई धर्म सम्प्रदाय की बात नहीं है यानि अणुव्रती बनने के लिए जैन बनना पड़ेगा ऐसी कोई शर्त नहीं है ।कोई सनातन धर्म को पाले, शिख धर्म को पाले , इस्लाम को पाले , जिसको पाले उसकी इच्छा , उसमे अणुव्रत का कोई हस्तक्षेप नहीं । अणुव्रत कहता है चाहो जिस धर्म को पालो बस जीवन में नैतिकता , संयम होना चाहिए । हमलोग अभी अहिंसा यात्रा कर रहे है , दिल्ली से 2 नवम्बर 2014 की शुरू हुई यह यात्रा हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश ,राजस्थान , बिहार, नेपाल , पश्चिम बंगाल, भूटान, मेघालय, नागालैंड , असम का स्पर्श करते करते अभी पुनः बिहार में है आगे फिर झारखंड, उड़ीसा , तमिलनाड, कर्नाटक, तेलंगाना , आंध्रप्रदेश आदि जो भी प्रांत आएंगे वहां जाने वाली है । इस यात्रा में तीन बातों का प्रचार किया जा रहा है जो अणुव्रत की ही बातें है - सद्भावना, नैतिकता और नशा मुक्ति ।
- आपस में सद्भावना रखो । दंगा फसाद , मार काट हिंसा इनको व्यर्थ मौक़ा ही न मिले । सौहार्द , मैत्रीभाव , सद्भाव रहे जनता में परस्पर ।
- जो भी कार्य करें उसमे ईमानदारी रखें । नैतिकता ।
- शराब , बीड़ी, सिगरेट , गुटका , खैनी आदि का नशा मत करो ।
          इन तीन बातों का प्रचार यह यात्रा कर रही है । इच्छुक व्यक्तियों को प्रतिज्ञाएं करवातें है ताकि जीवन अच्छा बने , आत्मा  अच्छी बने , आत्मा अच्छी है यहां भी ठीक , आगे भी सद्गति मिलने की संभावना बढ़ जाती है । अणुव्रत एक तत्व है जो कल्याण कारी है । भावों में अहिंसा है इसका मतलब हिंसा का भाव स्थूल हुआ है । हिंसा के कारण क्या है । आदमी परिग्रह के लिए हिंसा करता है ,  पैसा पाने के लिए हिंसा कर देता है , काम वासना के संदर्भ में  हिंसा कर देता है और सत्ता पाने के लिए भी हिंसा कर देता है । परिग्रह , कामवासना और सत्ता यह हिंसा के कारण बन जाते हैं , अपराध के कारण बन जाते है और आदमी हिंसा मन से भी कर लेता है , वाणी से हिंसा कर लेता है , शरीर से हिंसा कर लेता है । मानसिक , वाचिक, कायिक तीनो प्रकार की हिंसा हो सकती है । हिंसा है वहां अशांति है और अहिंसा है वहां शान्ति है । सन्त जा रहा था सामने से राजा आ रहा था । राजा कोई शिकार करके आया था जंगल में । अकेला ही था , मन का मौजी था , अकेला ही चला गया था और प्रश्न हुआ राजा के मन कि यह रास्ता ठीक तो है ना , महल का रास्ता यही है या और कोई रास्ता है मुझे पूरा पता नहीं , सोचा संत से पूछ लूँ महल का ही है ना । सन्त से पूछा - महात्मन मेरे राजमहल का रास्ता यही है ना, संत ने कहा - इस रास्ते की बात बाद में करना , पहले दो रास्ते बताता हूँ एक शांति का रास्ता , एक अशांति का रास्ता । अहिंसा शान्ति का रास्ता है , हिंसा अशांति का रास्ता है । बोलो कौन सा रास्ता चाहिए । राजा ने जान लिया कि मेरे पास यह मरा हुआ खरगोश है , मैं शिकार कर के आया हूँ उसके लिए मुनिजी मुझे सन्देश दे रहे है कि हिंसा को छोड़ो । राजा बोला संतप्रवर इस छण के बाद जिंदगी में कभी हिंसा का काम नहीं करूंगा, इस तरह किसी प्राणी को नहीं मारूँगा । बाद में सन्त ने महल का रास्ता भी बता दिया । अहिंसा शान्ति का मार्ग है , हिंसा अशांति का मार्ग है । भारत इस देश में रह रहे है , जी रहे हैं ,अच्छा देश है , यहाँ कितने कितने तपस्वी संत , महर्षि , ऋषि हुए हैं और जहां ज्ञान है, शास्त्रीय ज्ञान है , प्राचीन ज्ञान है । संस्कृत,प्राकृत, पाली की देखें ,कितना ज्ञान का भण्डार , समृद्ध है । भारत का ज्ञान का भंडार समृद्ध है । ज्ञान का खजाना और सन्त संपदा । संत न होते जगत में तो जल जाता संसार । संत है यह बड़े सौभाग्य की बात होती है । संतो का जिस देश में निवास प्रवास होता है उस देश के लिए वह अच्छी बात होती है । संत से सदुपदेश जो प्राप्त हो जाता है वह जीवन में उतर जाए तो जीवन अच्छा बन जाता है । हम लोग आज आये है , वह ऐसा स्थान जो देश की सुरक्षा के लिए सेवा के लिए संलग्न रहने वाले लोग , प्राण तक न्योछावर कर देने वाले लोग हैं । राष्ट्र के लोग निश्चिन्त सोते है मानो कि जवानो के भरोसे , सीमा सुरक्षा जवान लोग कर रहे है हम निश्चिन्त सो जाएं । जवानों सैनिको के भरोसे देश निश्चिन्त नींद लेता है , सोता है । कुछ व्यक्ति जागरूक होते है तो कितनो को निश्चिन्त रहने  का मौका मिल जाता है । ड्राइवर जागरुक है तो यात्री भले आराम से नींद लेते रहो , ड्राइवर खुद नींद ले ले तो औरों की नींद टूट जाती है । ड्राइवर को तो जागरूक रहना चाहिए । मेरे मन में आया इतने ड्राइवर है , ट्रक जाते है अगर यह लोग नशा करके ट्रक चलाते हों तो क्या स्थिति कभी बन सकती है । इतनी बसें ,ट्रक चलते और ड्राइवर नशा करके शराब पीके ड्राइविंग करना शुरू करदे और इधर उधर कही चला जाये ट्रक बस तो कितना नुकशान हो सकता है ।ड्राइवरों को नशा मुक्ति का नियम लेना ही चाहिए , नशा नहीं करना , शराब नहीं पीना । जो ड्राइवर है देश के ट्रक चलाने वाले हों , रेल चलाने वाले हों , पायलट हो, जीप कार चलाने वाले हों उनको शराब का त्याग हो जाये तो एक अच्छी बात हो जाए । अणुव्रत महासमिति यह भी ध्यान दे कि ड्राइवरों में काम करे । ड्राइवर लोग यह नियम लें कि नशा की स्थिति में तो ड्राइविंग नहीं करेंगे , पूरा छोड़ दें तो बहुत अच्छा वरना संचालन करेंगे वाहन का उस समय तो नशे में नहीं रहेंगे । ड्राइवरों में नशा मुक्ति का अभियान अणुव्रत महासमिति चलाये तो यह भी एक अच्छा अहिंसा की दृस्टि से भी काम हो सकता है । अणुव्रत से जुडी हुई हमारी संस्थाएं है , तेरापंथ समाज से संबद्ध है अणुव्रत महासमिति जैसी संस्था और भी संस्थाएं है अणुव्रत की , यह संस्थाएं अणुव्रत की बात फैलानी वाली, अणुव्रत की बात जनता तक पहुँचाने वाली है, अणुव्रत का प्रसार करने का काम करती है । यह भी अच्छी बात है कि इतने लोग अणुव्रत जैसी पवित्र बात को फैलाने के लिए अपनी सेवा दे रहे है , अपने आप को नियोजित किये हुए है और अणुव्रत का विचार पत्रिका के माध्यम से भी आगे बढाने का प्रयास हो रहा है और लेखक लोग भी अणुव्रत के संदर्भ में लिखने वाले , वे भी अपने लेखन के माध्यम से अणुव्रत की बात को , नैतिकता की बात को जो आगे बढाने का प्रयास करते है वे भी एक प्रकार की सेवा करते है । नैतिकता , संयम , अहिंसा का संदेश यह जनता में फैले तो अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है और समस्याओं का समाधान भी किया जा सकता है । बिहार में शराब बंदी की बात वो भी एक अणुव्रत का ही काम हो रहा है । अणुव्रत के पास दंडा नहीं है , अणुव्रत महासमिति, हमारे संत लोग प्रेम की भाषा में समझा कर शराब छुड़वाने का संकल्प करवाते है । आप लोग तो डण्डा रखते है हाथ में शराब पियोगे तो डण्डा देख लेना । अणुव्रत का झंडा और सरकार का डण्डा दोनो का अपना अपना काम है , जहां झंडा काम न कर सके वहां डण्डा  काम कर सकता है और कही डण्डा काम न करें वहाँ झंडा काम कर सकता है । दोनों का अपना अपना योग हो सकता है । हम अभी बिहार की यात्रा में है और बिहार भगवान् महावीर से जुड़ा हुआ क्षेत्र है । भगवान  महावीर जैसी परम पुनीत आत्मा से जुड़ा हुआ यह बिहार प्रांत और वहां जो शराब बंदी की जो बात हुई है और हो रही है , नितीश कुमार जी ने इसमें लीड किया नशा मुक्ति की बात को आगे बढ़ाने में । सरकारें भी चिंतन मंथन के साथ संयम , नैतिकता की बात को आगे बढ़ाती है । सरकार को बड़ा जिम्मा है जनता की भलाई का , जनता की भलाई के लिये जहां भौतिक विकास आवश्यक है ,अच्छी सड़के बने , बिजली सबको मिले , शिक्षा मिले, रक्षा मिले यह जरुरी है तो जनता में नैतिकता, संयम रहे , शराब जैसी चीज न रहे इन बातों पर भी ध्यान देना सरकार का सम्भवतः दायित्व हो जाता है । संतो का योगदान भी साथ में रहे । सरकार और संत इस दिशा में दोनों मिलकरके या अपने अपने ढंग से काम करें तो जनता के लिए बहुत अच्छी बात हो सकती है ।
            आचार्य श्री ने एसएसबी के जवानो को अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प सद्भावना , नैतिकता, नशामुक्ति के संकल्प दिलाये ।










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