- जनकल्याण को अहिंसा यात्रा का मुजफ्फरपुर जिले में प्रवेश -
- परीक्षा के कारण आचार्यश्री ने दोपरह सवा बारह बजे किया प्रवचन -
18.03.2017 पिरौंछा (मुजफ्फरपुर)ः जन-जन को शांति और सौहार्द का संदेश देने और जीवन को नशामुक्त बनाने को अभिप्रेरित करने के लिए अहिंसा यात्रा लेकर निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अखंड परिव्राजक, महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ वर्तमान समय में पूर्वी बिहार में यात्रायित हैं। जन-जन की चेतना को जागृत करने के साथ ही आचार्यश्री लोगों को विशेष प्रदान प्रदान कर और उन्हें अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्य सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के तीन संकल्पों से जोड़ उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का भी प्रयास करते हैं।
शनिवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी लोगों के जीवन को मंगलमय बनाने के लिए प्रातः की मंगल बेला में कुमारपट्टी गांव से विहार किया। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 57 से गुजरती श्वेत सेना को हर कोई देखने को लालायित था। लोग जब जानने और समझने की इच्छा से करीब पहुंचते और आचार्यश्री के संकल्पों को आचार्यश्री के अखंड परिव्राजकता के बारे में जानते तो श्रद्धा से प्रणत होते और ऐसे महासंत के दर्शन और आशीष प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य महसूस करते। आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ लगभग तेरह किलोमीटर का विहार कर मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट प्रखंड के पिरौंछा गांव के राजकीय मध्य विद्यालय प्रांगण में पहुंचे।
...और विद्यार्थियों की परीक्षा के कारण दोपहर हुआ प्रवचन
समाज से विभिन्न विसंगतियों को दूर करने, प्रेम, सौहार्द तथा भाईचारे का संदेश देने निकले महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी शनिवार को जैसे ही विद्यालय परिसर पहुंचे तो ज्ञात हुआ कि विद्यार्थियों की परीक्षा होने वाली है। आचार्यश्री ने विद्यार्थियों पर महति कृपा कराई और प्रातः के प्रवचन को दोपरह सवा बारह बजे से करने का निर्णय लिया तो आचार्यश्री के इस निर्णय से विद्यालय प्रबन्धन, विद्यार्थी सहित समस्त ग्रामीणों ने सराहा और आचार्यश्री के व्यक्तित्व को न जाने कितने अलंकरण और विभूतियों से नवाजा।
परीक्षा समाप्ति के पश्चात दोपहर लगभग सवा बारह बजे आचार्यश्री ने उपस्थित ग्रामीण जनता को संयममय जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि इस अहिंसा यात्रा में मुख्यतः तीन बातों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं-सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति। यदि उक्त तीन उद्देश्य भी आदमी के जीवन में आ जाए तो कुछ अंशों में आदमी के जीवन में संयम आ सकता है। आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को जैन धर्म और जैनसाधुचर्या के विषयों में भी अवगती प्रदान की।
अंत में आचार्यश्री ने उपस्थित ग्रामीणों को अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्यों के तीन संकल्पों को बताया और उनसे जुड़ने का आह्वान किया तो उपस्थित समस्त ग्रामीण महिला, पुरुष व बच्चों ने सद्भावपूर्ण व्यवहार करने, यथासंभव ईमानदारी का पालन करने व पूर्णतया नशामुक्त जीवन जीने का संकल्प स्वीकार किया। प्रवचन उपरान्त भी महिला और पुरुषों का समूह पूरे दिन आचार्यश्री के दर्शन के लिए पहुंचता रहा और आशीर्वाद प्राप्त कर सौभाग्य से प्राप्त हुए इस अवसर का पूर्ण लाभ उठाया।
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