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अग्र और मूल का विवेचन कर कार्य करना चाहिए : आचार्यश्री महाश्रमण

- मुजफ्फरपुर में ज्ञानगंगा बहा शांतिदूत चल पड़े वैशाली की ओर --आचार्यश्री के दर्शन और श्रवण को पहुंचे ग्रामीण --आचार्यश्री के आह्वान पर ग्रामीणों ने स्वीकारा अहिंसा यात्रा के संकल्प -
आचार्यश्री महाश्रमणजी

          22.03.2017 नरहरसराय, मुजफ्फरपुर (बिहार) (JTN) : मुजफ्फरपुर को अपने चरणरज से पावन कर और अपनी ज्ञानगंगा से अभिसिंचत कर बुधवार को जैन श्वेताम्बर तेरांपथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता जी अपनी श्वेत सेना के साथ लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलंब विहार कर नरहरसराय पहुंचे। वहां स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में प्रवास हुआ। वहीं परिपाश्र्व में स्थित भारत पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप परिसर में आचार्यश्री ने ग्रामीणों को अपनी मंगलवाणी से अभिसिंचन प्रदान किया। 
बुधवार को मुजफ्फरपुर से आचार्यश्री धवल सेना के साथ सुबह लगभग सवा छह बजे गंतव्य की ओर रवाना हुए। आज का विहार मार्ग जितना प्रलंब था उतना ही कठिन भी था। क्योंकि मार्ग का कहीं चैड़ीकरण तो कहीं नवीनीकरण तो कहीं पुल का निर्माण कार्य चल रहा था। कठिन मार्ग और प्रलंब विहार के बावजूद भी अखंड परिव्राजक और समता के धनी आचार्यश्री निरंतर गतिमान रहे। लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलंब विहार कर आचार्यश्री नरहरसराय स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय पहुंचे। आचार्यश्री के पहुंचते ही ग्रामीणों की भारी भीड़ एकत्रित हो गई। आचार्यश्री ने सभी को अपने दर्शन और अशीर्वाद से अभिसिंचित किया। 
विद्यालय के चंद कदम की दूरी पर स्थित भारत पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप परिसर में उपस्थित ग्रामीणों को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि धीर पुरुष को अग्र और मूल का विवेचन कर कार्य करना चाहिए। कोई भी कार्य होता है तो उसके पृष्ठभूमि में कोई कारण अवश्य होता है। कोई कारण होता है तो कार्य होता है। आदमी बीमार होता है तो उसके पीछे भी कोई कारण होता है और कहीं हिंसा हो जाए तो वहां भी कोई न कोई कारण अवश्य होता है। लोभ और द्वेष के कारण आदमी हिंसा में जा सकता है। आदमी को इससे बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को किसी कार्य को समाप्त करना हो तो आदमी को कारण पर ध्यान देने का प्रयास करना चाहिए। आदमी पराक्रम के साथ किसी समस्या के कारण को मिटाने का प्रयास करे तो कार्य अपने आप पूर्ण हो सकता है। आदमी को किसी समस्या के मूल को उन्नमूलित करने का प्रयास करना चाहिए। 
आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अहिंसा यात्रा के विषय में अवगति प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में यदि ये तीन बातें आ जाएं तो आदमी का जीवन अच्छा बन सकता है। जीवन में शांति आ सकती है। आचार्यश्री ने लोगों को आत्मा के लिए शरीर से धर्म करने की प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री के आह्वान पर उपस्थित ग्रामीणों ने सद्भावपूर्ण व्यवहार करने, यथासंभव ईमानदारी का पालन करने व पूर्णतया नशामुक्त जीवन जीने के संकल्पों को स्वीकार किया। 




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