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नैतिकता को पुष्ट का प्रयास है मुख्यमंत्री का सम्मान: आचार्यश्री महाश्रमण

💠 राज्यपाल की उपस्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिला अणुव्रत पुरस्कार
💠 अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री की सन्निधि में आयोजित हुआ यह ऐतिहासिक कार्यक्रम 
💠 हजारों लोगों की उपस्थिति में शराबबंदी करने पर मुख्यमंत्री को मिला यह सम्मान 
💠 राज्यपाल महोदय ने आचार्यश्री को भेंट की जैन धर्म ग्रन्थ  
💠 आचार्यश्री ने उपस्थित दोनों महानुभावों संग जनमेदनी को दिया धर्म करने का ज्ञान 
💠 आचार्यश्री के आह्वान पर जनमेदनी ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प 

आचार्यश्री महाश्रमणजी

          28 मार्च 2017 कंकड़बाग (बिहार) (JTN) : बिहार की ऐतिहासिक राजधानी पटना में कीर्तिधर पुरुष, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी के सानिध्य में और बिहार के राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद की गरिमामय उपस्थिति में बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को बिहार में शराबबंदी करने को लेकर अणुव्रत महासमिति की ओर से वर्ष 2016 का अणुव्रत पुरस्कार प्रदान किया गया जो तेरापंथ धर्मसंघ द्वारा बिहार के किसी मुख्यमंत्री को दिया जाने वाले यह पुरस्कार था तो वहीं ग्यारहवें अनुशास्ता की उपस्थिति में बिहार में ऐसे भव्य कार्यक्रम का समायोजन भी तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास की यशोगाथा में स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया। इस दिव्य, भव्य कार्यक्रम का गवाह बना गांधी मैदान में बगल में बना एस.के. मेमोरियल हाॅल तथा साथ ही हाॅल में उपस्थित जनमेदनी ने इस स्वर्णिम पल को अपने नेत्रों से निहार निहाल हो उठी। वहीं आचार्यश्री का पटना में ऐतिहासिक आगमन पर नागरिकों द्वारा अभिनन्दन भी किया गया। आचार्यश्री ने सभी को अपने शुभाशीषों से अभिसिंचन प्रदान किया और बिहारवासियों के जीवन में आध्यात्मिक ज्ञान की वृद्धि के साथ ही जीवन में सुख, शांति की मंगल कामना की। आचार्यश्री ने मुख्यमंत्री को दिए गए पुरस्कार को नैतिकता को पुष्ट करने वाला पुरस्कार बताया। आचार्यश्री के आह्वान पर श्री कृष्णा मेमोरियल हाॅल अहिंसा यात्रा के संकल्पों से गूंज उठा मानों सभी अहिंसा यात्रा और उसके प्रणेता के साथ जुड़कर अपने जीवन को उचित दिशा में ले जाने को उत्सुक थे। 

लगभग चार किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल 
मंगलवार को लगभग आठ बजे आचार्यश्री कंकड़बाग के अवसर हाॅल से श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल की गतिमान हुए। प्रवास स्थल से इस हाॅल की दूरी लगभग चार किलोमीटर थी। जहां आयोजित था आचार्यश्री का नागरिक अभिनन्दन समारोह तो वहीं आचार्यश्री और बिहार राज्य के राज्यपाल की गरिमामयी उपस्थिति में बिहार के मुख्यमंत्री को पुरस्कार समारोह का कार्यक्रम। आचार्यश्री लगभग नौ बजे निर्धारित हाॅल में पधारे। 

सर्वप्रथम नागरिकों ने किया आचार्यश्री का अभिनन्दन 
कार्यक्रम का शुभारम्भ आचार्यश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र द्वारा किया और फिर आरम्भ हो गया नागरिकों का अभिनन्दन समारोह। जहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति ऐसे महापुरुष के दर्शन और स्वागत को लालायित था जो हजारों किलोमीटर की पदयात्रा कर उनके नैतिकता का पाठ पढ़ाने व उनके बीच सद्भावना के फूल खिलाने के उद्देश्यों से पहुंचे हुए थे। अभिनन्दन समारोह में पटना के मेयर श्री अफजल इमाम, पूर्व शिक्षामंत्री व राजद के प्रदेश अध्यक्ष श्री रामचंद्र पूर्वे, पूर्व कुलपति श्री रामजी सिंह, डा. हिमांशु, श्री विजय सिंह बोथरा, श्री जयश्री पगारिया, फाॅदर जानसन, लाॅयन अनुपम सिंघानिया, श्री सुबोध जैन, श्रीमती गीता जैन, श्री तोलाराम सेखानी, श्री आदित्य मुदड़ा श्री प्रदीप जैन, श्रीमती रितू बोहरा श्री कमल नोपानी सरदार जगजीवन सिंह ने आचार्यश्री के पटना आगमन पर हार्दिक अभिनन्दन किया। 

पांच मिनट के अंतराल पर मंच पर उपस्थित हुए मुख्यमंत्री व राज्यपाल 
आचार्यश्री के नागरिक अभिनन्दन कार्यक्रम के उपरान्त लगभग ग्यारह बजे बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी आचार्यश्री की सन्निधि में पहुंचे। उसके पांच मिनट बाद ही बिहार राज्य के राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद जी भी आचार्यश्री के सानिध्य में अपनी हाजरी लगाई हालांकि राज्यपाल का आगमन तो दूसरी बार था लेकिन पटना में आचार्यश्री का प्रथम दर्शन को पहुंचे थे। राज्यपाल के उपस्थित होते ही भारतीय विधान के अनुसार राष्ट्रगान हुआ और तत्पश्चात सभी मंच पर आसीन हुए। बिहार राज्य के दोनों महानुभावों को तेरापंथ के संगठनों द्वारा स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम प्रदान किया गया। आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री तनसुख बैद ने दोनों मानुभावों का स्वागत किया। अहिंसा यात्रा के प्रवक्ता मुनि कुमारश्रमणजी ने अहिंसा यात्रा और आचार्यश्री के बारे में लोगों को संक्षिप्त अवगति प्रदान की। उसके उपरान्त असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने अपनी वाणी से लोगों को उत्प्रेरित किया तो वहीं मुख्यनियोजिकाजी और साध्वीवर्याजी ने भी लोगों को वर्धापित किया। 

नैतिकता को पुष्ट का प्रयास है मुख्यमंत्री का सम्मान: आचार्यश्री महाश्रमण 
आचार्यश्री ने बिहार के दोनों महानुभावों सहित उपस्थित जनसमूह को अपनी अमृतवाणी का रसास्वादन कराते हुए कहा कि आदमी को तब तक धर्म कर लेना चाहिए जब तक आदमी को बुढ़ापा न पीड़ित करने लगे, शरीर में व्याधि न बढ़ जाए और इंद्रिया क्षीण न हो जाएं। नवमें आचार्यश्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का आरम्भ कर लोगों को छोटे-छोटे संकल्पों को स्वीकार कर अपने जीवन में धर्ममय बनाने का संदेश दिया। आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा के तीन संकल्पों सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का वर्णन करते हुए कहा कि हम लोगों को उक्त तीनों बातों से लोगों को बता रहे हैं और लोगों को उससे जुड़ने के संकल्प भी करवाते हैं। लोग इन संकल्पों को स्वेच्छा से स्वीकार भी करते हैं। आज यह अणुव्रत पुरस्कार नैतिकता की भावना को पुष्ट करने का प्रयास है। बिहार सकार ने शराब की आपूर्ति तो बंद करा दी है, उनके पास डंडा भी है इससे भी भय दिखाते होंगे लेकिन क्या लोगों के मन के भीतर से उठने वाली मांग पर रोक लगा सकते हैं। हम साधु, लोगों के मन के भीतर से उठने वाली मांग के रास्ते को बंद करने का प्रयास करते हैं। सरकार का दायित्व जनता की भलाई करना है। ऐसे मुख्यमंत्री जिनमें मनोबल हो, साहस हो तो राज्य के नागरिकों के चरित्र को अच्छा बनाने का प्रयास कर सकते हैं। बिहार राज्य के लोगों में खूब शांति रहे। आचार्यश्री के आह्वान पर उपस्थित जनसमूह ने अपने स्थान पर खड़े होकर अहिंसा यात्रा के तीनांे संकल्पों को स्वीकार किया। आचार्यश्री ने पुनः एक बार बिहार में धार्मिक और आध्यात्मिक विकास की मंगल कामना। 

आचार्यश्री की सन्निधि में मुख्यमंत्री को किया गया पुरस्कृत 
आचार्यश्री की सन्निधि में और राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद की उपस्थिति में अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र जैन सहित अन्य पदाधिकारियों ने बिहार में पूर्णतया शराबबंदी जैसे कदम उठाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को वर्ष 2016 के लिए अणुव्रत पुरस्कार प्रदान किया। इसमें स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र, और एक लाख इक्वान हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री ने उक्त राशि को मुख्यमंत्री राहत कोष में समाहित करने की पुष्टि की। 

अणुव्रत गीत से हूं प्रभावित: नीतीश कुमार 
पुरस्कार प्राप्त करने के उपरान्त श्री नीतीश कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं आचार्यश्री का पाटलीपुत्र की इस ऐतिहासिक धरती पर स्वागत करता हूं। भले ही आचार्यश्री बिहार में तीन बार पधार चुके हैं किन्तु पटना में पहली बार पधारे हैं। जब आपकी नई दिल्ली से पदयात्रा शुरू हुई तो उस दौर में बिहार में सामाजिक बुनियाद पड़ी। शराबबंदी का निर्णय सामाजिक परिवर्तन के लिए यह निर्णय लेना इतना आसान नहीं था, लेकिन इसी हाॅल में नौ जुलाई 2015 महिलाओं के कार्यक्रम से प्रेरणा मिली और बिहार में शराबबंदी लागू हो गई। इससे लोगों के जीवन में बदलाव काफी बदलाव भी आए और परिवारिक जीवन में भी काफी सुधार हुआ है। उन्होंने अणुव्रत गीत से खुद को प्रभावित बताते हुए उसके एक-एक लाइन को पढ़ते गए और उसका उल्लेख करते हुए कहा कि हम तो इसी मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। पहली बार अणुव्रत के कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा हूं। अणुव्रत में आत्मानुशासन सभी के लिए आवश्यक है। आज आपकी सन्निधि में उपस्थित होकर बहुत गर्व की अनुभूति हो रही है। उन्होंने आचार्यश्री के अहिंसा यात्रा के आगमन, सत्याग्रह के सौ साल पूर्ण होने और गुरु गोविंद सिंह के 350वीं जयंती का इस वर्ष भी यहां का सौभाग्य है। आचार्यश्री ने जो तीन संकल्पों के साथ लगभग चालीस हजार किमी की पदयात्रा करना कोई आसान काम नहीं। इन उद्देश्यों को दस प्रतिशत लोग भी अपने जीवन में उतार लें तो समाज में बदलाव हो जाएगा। उन्होंने यह पुरस्कार बिहारवासियों को समर्पित किया और कहा कि यह पुरस्कार शराबबंदी में शामिल सभी लोगों के लिए है। 

शराबबंदी के निर्णय पर सहमति देकर मैं भी हूं गौरवान्वित: राज्यपाल 
बिहार के राज्यपाल श्री रामनाथ कोविंद ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ ने लोगों को आध्यात्मिक पथदर्शन दिया, जिसे आचार्यश्री महाश्रमणजी आगे बढ़ा रहे हैं। आचार्यश्री ने जो तीन संकल्पों को दिलाया है उसे लोग यदि लिखकर घर मंे रखें और उसका नित्य स्मरण करें तो उसके अनुपालन में सहायता मिल सकेगी। मुख्यमंत्री जी को नशामुक्ति के लिए जो पुरस्कार मिला है, उसमें मैं भी सहभागी और शराबबंदी के निर्णय पर मैंने अपनी सहमति देकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने नशा के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करते हुए कहा कि लोगों में सत्ता, पद, प्रतिष्ठा के भी नशे से मुक्त होने के लिए आचार्यश्री को लोगों को उत्प्रेरित करने बात कही। यह मेरा सौभाग्य है कि आप सभी जैन धर्मावलंबी संतों के दर्शन और स्वागत का अवसर मिला। उन्होंने वैशाली में स्थापित जैन विद्या शोध संस्थान के विषय में आचार्यश्री को विशेष अवगति प्रदान की और आचार्यश्री को दो जैन ग्रंथ भी समर्पित की। 








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