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आदमी का व्यवहार धर्मार्जित होना चाहिए : आचार्यश्री महाश्रमण

- शांतिदूत के दर्शनार्थ पहुंची आचार्यश्री चन्दनाजी -- साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यनियोजिकाजी, साध्वीवर्याजी सहित आचार्य चन्दना जी ने लोगों को किया वर्धापित -- आचार्यश्री ने धर्मार्जित व्यवहार करने का दिया ज्ञान -- श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) स्वीकार कर पटनावासियों ने खोले भाग के कपाट -
आचार्यश्री महाश्रमणजी

30.03.2017 कंकड़बाग (बिहार) (JTN) : पटना की ऐतिहासिक धरती पर नया कीर्तिमान स्थापित करने पहुंचे कीर्तिधर पुरुष, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी श्वेत सेना के साथ पटना जंक्शन के चार दिवसीय प्रवास के दौरान अनेकों नए सुनहरे अध्याय जोड़े तो वहीं पटनावासियों के घर स्वयं पहुंचकर दर्शन और अपने प्रेरणा प्राथेय से लोगों को अभिसिंचित किया। 
प्रवास के चैथे दिन भी आचार्यश्री के दर्शन को आचार्यश्री चन्दनाजी जब अपने शिष्याओं के साथ पहुंची तो पटना की इस धरा पर भगवान महावीर के दो धाराओं का मिलन अवसर भी ऐतिहासिक बन गया। हालांकि आचार्यश्री चन्दनाजी इससे पूर्व भी आचार्यश्री के दर्शन कर चुकी हैं। गुरुवार को तेरापंथ के गुरु ने पटनावासियों पर विशेष कृपा बरसाते हुए उन्हें अपने श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) प्रदान की तो पटनावासियों को लगा जैसे उनके भाग्य का पिटारा खुल गया। सभी ने सस्वर देव, गुरु और धर्म के प्रति अपनी संपूर्ण श्रद्धा के समर्पण के संकल्पों को स्वीकार किया। 
गुरुवार को अवसर हाॅल में उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम साध्वीवर्याजी ने उद्बोध प्रदान किया। उसके उपरान्त मुख्यनियोजिकाजी ने प्रेरणा प्रदान की। साध्वीप्रमुखाजी ने आचार्यश्री को दीपक की उपमा देते हुए कहा कि आचार्यप्रवर स्वयं ज्योतित होते हुए दूसरों के जीवन को भी आलोकित करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं आचार्यश्री के दर्शन को पधारी आचार्यश्री चन्दनाजी ने आचार्यश्री के दर्शन किए और अपनी भावनाओं को भी अभिव्यक्त किया। 
आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को धर्मार्जित व्यवहार करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी का व्यवहार धर्मार्जित होना चाहिए। आदमी का व्यवहार तब अच्छा बन सकता है जब संस्कार और विचार अच्छा हो। आदमी को अपने विचारों को अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने अहिंसा और इसके तीन मुख्य उद्देश्यों को लोगों को विस्तार से बताया और लोगों को मैत्री भाव रखने, कार्य में ईमानदारी, प्रमाणिकता बनाए रखने और नशामुक्त जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री ने आचार्य चन्दना जी के आगमन को उदारता भाव की संज्ञा देते हुए कहा कि यह आपकी उदारता है जो यहां पहुंची हैं वरना किसके पास समय होता है कि किसी से कोई जाकर मिले। अंत में आचार्यश्री ने सभी को आत्मा के कल्याण करने की प्रेरणा प्रदान की। 
प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने पटनावासियों पर विशेष कृपा बरसाते हुए अपने श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा (गुरुधारणा) प्रदान किया तो मानों पटनावासियों को लगा कि हमारे भाग्य के सारे दरवाजे खुल गए। सभी ने समवेत स्वर में गुरुधारणा के संकल्पों को स्वीकार किया और यावज्जीवन के देव, गुरु और धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा के समर्पण को स्वीकार किया। आचार्यश्री ने उन्हें विशेष पाथेय भी प्रदान किया। आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति पटना के अध्यक्ष श्री तनसुख बैद ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया एवं आचार्य चन्दनाजी को साहित्य प्रदान कर आशीर्वाद प्राप्त किया। जैन संघ के अध्यक्ष श्री प्रदीप जैन भी श्रीचरणों में अपनी भावनाओं को प्रकट कर आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। 





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