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जीवन में कर्त्तव्य निष्ठा का बहुत महत्त्व : आचार्यश्री महाश्रमण

- भव्य जुलूस के साथ पटना शहरवासियों ने अहिंसा यात्रा प्रणेता का किया स्वागत -
- नगरवासियों के खुले भाग्य, घर बैठे महातपस्वी संत के दर्शन का मिला लाभ -
आचार्यश्री महाश्रमणजी

        31.03.2017 पटना सिटी (बिहार) (JTN) : लगभग 44 दिनों तक लगातार विहार कर पटना शहर पहुंचे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ ग्यारहवें अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी श्वेत सेना के साथ 27 मार्च पटना जंक्शन पहुंचे। वहां चार दिवसीय प्रवास के साथ कई नए कीर्तिमान स्थापित कर शुक्रवार को अपनी धवल सेना के साथ पटना सिटी की ओर विहार किया। पटना शहर में जब अहिंसा यात्रा के साथ आचार्यश्री का विहार हुआ तो शहर में रहने वाले लोग महातपस्वी आचार्यश्री और उनकी श्वेत सेना को साश्चर्य निहार रहे थे। उनके लिए यह कोतुहल का विषय था क्योंकि भौतिकता की इस दौड़ में कोई ऐसा भी महातपस्वी हैं जो हजारों किलोमीटर पदयात्रा केवल जन कल्याण के लिए करते हैं। ऐसे महान संत के दर्शन कर हाथ जोड़ नमन करते। आचार्यश्री सौम्य मुस्कान के साथ सभी को पर अपनी आशीष वृष्टि करते आगे बढ़ रहे थे। लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री मंगल तालाब के किनारे स्थित राम देव महतो सामुदायिक भवन में पहुंचे। यहां आचार्यश्री तीन दिन प्रवास करेंगे और श्रद्धालुओं को वचनामृत का रसपान कराएंगे। 
उक्त भवन में स्थित हाॅल में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का अभिसिंचन प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में कत्र्तव्य निष्ठा का बहुत महत्त्व है। आदमी को कभी आत्म समीक्षा करने का प्रयास करना चाहिए कि अब तक मैंने क्या किया, क्या करना अवशेष है और क्या करना आवश्यक है, जिसे मैं नहीं कर रहा। इस प्रकार आदमी अपने कत्र्तव्यों का बोध करे और तो कत्र्तव्य निष्ठा की भावना प्रगाढ़ हो सकती है। जो आदमी अपने कत्र्तव्यों का अच्छे से निर्वाह करता है, वह अच्छा आदमी होता है। जो आदमी अपने कत्र्तव्य और अकत्र्तव्य के विषय में नहीं जानता, उसका कुछ ऐसा अनिष्ट भी हो सकता है, जिसकी वह कभी नहीं कर सकता। आदमी और पशुओं में विवेक का ही भेद होता है। खाना-पीना, सोना, डरना, मैथुन सेवन आदि तो आदमी भी करता है और पशु भी करता है, किन्तु धर्म की साधना आदमी कर सकता है, वह पशुओं के लिए संभव नहीं। आदमी को अपने कत्र्तव्यों के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी कोई भी काम करे, उसमें प्रमाणिकता रखने का प्रयास करना चाहिए। 
इससे पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने भी उपस्थित श्रद्धालुओं को उत्प्रेरित किया। उसके उपरान्त आचार्यश्री के स्वागत में दूसरी बार पहुंचे पटना के मेयर श्री अफजल इमाम ने अपने उद्बोधन में कहा कि आपकी इस यात्रा में पूरा राज्य और हमारा पूरा शहर शामिल है। आपकी यात्रा के संदेश पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है। पटना के लोग आपके सबक, और संदेश को हमेशा याद रखेंगे। हम खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि आप जैसे महासंत के दो-दो बार स्वागत अभिनन्दन का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। 
आचार्यश्री को अपने घर-आंगन में पाकर उत्साहित पटना सिटी के श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह था। तेरापंथ महिला मंडल की सदस्याओं ने गीत के माध्यम से आचार्यश्री की अभ्यर्थना की। वहीं तेरापंथी सभा पटना सिटी के अध्यक्ष श्री छत्तर सिंह छाजेड़, तेयुप अध्यक्ष श्री सज्जन बोथरा ने भी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के बच्चों ने भी अपने आराध्य के समक्ष भावपूर्ण प्रस्तुति देकर आचार्यश्री की अभ्यर्थना की। 







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