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"प्रज्ञा के महासुमेरु थे आचार्य श्री महाप्रज्ञजी" : चेन्नई

"प्रज्ञा के महासुमेरु थे - आचार्य श्री महाप्रज्ञजी" - "साध्वी श्री काव्यलता 


लोक महर्षी  प्रेक्षाप्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का आठवां महाप्रयाण दिवस वेलचेरी की धरा पर साध्वीश्री काव्यलता जी के सानिध्य में मनाया गया। साध्वीश्री काव्यलता जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा - आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी प्रतिभा के अलौकिक अवतार थे । प्रज्ञा के प्रखर महासूर्य थे । उनके प्रज्ञा प्रकाश से अज्ञान तिमिर का नाश हुआ,उनके हर बोल ने हर शब्द ने संतप्त मानव जाति को शान्ति का निर्झर प्रदान किया । जैन आगमों के कुशल भाष्यकार व व्याख्याकार आचार्य महाप्रज्ञ जैन आगमों से रत्नों को प्राप्त कर जनमानस को प्रदान किया । 
साध्वीश्री जी ने फरमाया कि आचार्य महाप्रज्ञजी का आठवां महाप्रयाण दिवस से भी एक ही संकल्प हो कि उनके अमर अवदान हम सबका आदर्श बने व जीवन में उतरे ।


इस अवसर पर साध्वीश्री ज्योतियशाजी ने कहा - महाप्रज्ञजी के विकास का आदि बिंदु था समर्पण व अंतिम बिंदु था समर्पण । समर्पण भाव ने ही बिंदु से सिंधु बना दिया । साध्वीश्री सुरभिप्रभा जी ,साध्वीश्री वैभवयशा जी ने साध्वीश्री जी द्वारा रचित गीत "श्रद्धा से शीश झुकाएं हम महाप्रज्ञ के श्री चरणों में" का भावपूर्ण संगान कर परम श्रद्धेय के प्रति श्रद्धा भाव समर्पित करे। आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रवास व्यवस्था समिति चेन्नई के अध्यक्ष श्री धर्मचन्दजी लुंक्कड़ ,तेरपंथ सभा अध्यक्ष अमरचंदजी लुंक्कड़,तेरापंथ भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष इंडरचंदजी डुंगरवाल,तेयुप अध्यक्ष संजय भंसाली,महिला मंडल उपाध्यक्ष कमला गेलड़ा आदि महानुभावों ने आराध्य के प्रति अपने श्रद्धाभाव समर्पित किए। इस अवसर पर एस. एस. जैन सभा की ओर से प्रसन्नजी दुगड़ ने और प्रकाशजी भंडारी ने स्वागत भाषण तथा आभार ज्ञापन केवल जी हिरण ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन उपासिका लता परमार ने किया ।

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