- स्थानकवासी परंपरा के संत आचार्य अचलमुनिजी पहुंचे पूज्य सन्निधि में -
- आचार्यश्री को बताया महापुरुष, कहा इनके संकल्पों से ही होगा मानव जाति का कल्याण -
- साउथ कोलकाता प्रवास के अंतिम दिन भी श्रद्धालुओं ने ज्ञानगंगा में लगाई डुबकी -
- हर्षित श्रद्धालुओं ने भी दी भावाभिव्यक्ति, अपने आराध्य प्राप्त किया आशीर्वाद -

आचार्यश्री महाश्रमणजी

26 जून 2017 साउथ कोलकाता (पश्चिम बंगाल) (JTN) : साउथ कोलकाता के तेरापंथ भवन में त्रिदिवसीय प्रवास कर रहे तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में प्रवास के अंतिम दिन सोमवार को भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु उमड़े तो वहीं तेरापंथ धर्मसंघ का उद्गम संप्रदाय कहे जाने वाले स्थानकवासी मूर्तिपूजक संप्रदाय के मुनिश्री अचलनमुनिजी भी अपने शिष्य भरत मुनि के साथ पूज्य सन्निधि में पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन किए, प्रवचन सुना और अपने मंगल भाव भी व्यक्त कर आचार्यश्री का सदैव अपने ऊपर आशीर्वाद बनाए रखने का आशीर्वाद भी मांगा।
साउथ कोलकाता का तेरापंथ भवन मानों तीन दिन के तीर्थस्थल के रूप में परिणत हो गया है। श्रद्धालु चाहे जिस किसी भी दिशा से आए सबका लक्ष्य महातपस्वी, शांतिदूत की मंगल सन्निधि में उपस्थित होना होता है। उनके मंगल प्रवचनों से उनके निकट उपासना और दर्शन का लाभ उठा अपने जीवन को सुफल बनाने का प्रयास करते हैं। गुरु के निकटता की लालसा इतनी चरमोत्कर्ष तक होती है कि वे अपने सारे कार्यों को भूल कर एकबार निकटता से उपासना के लिए पूरे दिन क्या देर रात तक जमें रहते हैं, जब तक आचार्यश्री शयन नहीं जाते।
साउथ कोलकाता के इस तेरापंथ भवन के त्रिदिवसीय प्रवास के अंतिम सोमवार को भी तेरापंथ भवन का पूरा परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ था। सर्वप्रथम श्रद्धालुओं को मुख्यनियोजिकाजी व साध्वीप्रमुखाजी के मंगल उद्बोधनों का लाभ मिला। इसके उपरान्त आचार्यश्री के मंचासीन होने के साथ ही आज आचार्यश्री के साथ स्थानकवासी संप्रदाय के संत मुनिश्री अचलमुनिजी भी उपस्थित हुए।
आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को अपनी मंगल वाणी से अपनी वचनामृत रूपी अमृत का पान कराते हुए कहा कि यह मनुष्य जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसी शरीर के माध्यम से साधना कर आत्मा मोक्ष को प्राप्त कर सकती है। आचार्यश्री ने मानव शरीर को नौका, जीव को नाविक और संसार को समुद्र बताते हुए कहा कि इस मानव रूपी नौका से महर्षी लोग इस संसार समुद्र को तर जाते हैं क्योंकि उनकी नौका निश्छिद्र होती है। सछिद्र नौका डूबोने वाली तो निश्छिद्र नौका संसार समुद्र से पार उतारने वाली होती है। आदमी को अपनी नौका को निश्छिद्र बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने शरीर रूपी नौका को निश्छिद्र रखने के लिए अठारह पापों से बचने की प्रेरणा भी प्रदान की।
आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को सम्यक पुरुषार्थ करने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी अपने जीवन में सम्यक पुरुषार्थ और विवेकपूर्ण पुरुषार्थ करे तो निर्धारित मंजिल को प्राप्त कर सकता है। आदमी को संयम और तप में पुरुषार्थ करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को पुरुषार्थी होना चाहिए, क्योंकि भाग्य भरोसे बैठने वाला व्यक्ति अभागा होता है। आदमी ज्ञान, साधना व सेवा के क्षेत्र में पुरुषार्थ कर आत्मकल्याण की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करे। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्याजी ने लोगों को अपने चिन्तन को सकारात्मक बनाकर अनेक बाधाओं को पार करने की प्रेरणा प्रदान की।
स्थानकवासी संप्रदाय के मुनिश्री अचलमुनिजी ने आचार्यश्री के मंगल प्रवचन श्रवण के उपरान्त अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि आज मेरे लिए परम सौभाग्य का दिन है जो आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे महापुरुष के चरणों में बैठने का मौका मिला, उनके प्रवचन को सुनने का मौका मिला, जिन्होेंने जिन शासन प्रभावना केवल भारत ही नेपाल और भूटान जैसे विदेशी धरती पर भी कर आए हैं। आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प इंसान के जीवन को सुंदर बनाने वाले हैं। आज आपके दर्शन करने का, आपके चरणों में बैठने और सुनने का जो मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है, वह मेरे लिए किसी स्वर्णिम अवसर के समान हैं। आप सदैव जिन शासन की प्रभावना करते रहें ऐसी मंगलकामना करता हूं और आपका आशीर्वाद सदैव हम पर बना रहे, ऐसा आशीर्वाद चाहता हूं।
अंतिम दिन भी श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के प्रति अपनी भावाभिव्यक्ति दी। साउथ कोलकाता तेरापंथी सभा के मंत्री श्री खेमचंद्र रामपुरिया, सभा उपाध्यक्ष श्री शैलेन्द्र दूगड़ ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। युवक परिषद और साउथ कोलकाता के हजरा क्षेत्र की महिला मंडल की सदस्यों ने गीत का संगान किया। साउथ कोलकाता कन्या मंडल और ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने नाट्य के द्वारा अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति से आचार्यश्री की अभ्यर्थना की। साउथ सिटी ज्ञानशाला की संयोजिका ने भावाभिव्यक्ति दी और साथ ही साउथ सिटी के ज्ञानार्थियों ने भी अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति के माध्यम से श्रीचरणों में अपनी भावांजलि अर्पित की। श्री उमेद बरड़िया ने गीत का संगान किया। इसके उपरान्त आचार्यश्री के चरणों में दो पुस्तकों को भी अर्पित किया गया। इसमें शासनश्री साध्वी नगीनाजी द्वारा लिखी गई एक पुस्तक को जैन विश्वभारती की ओर श्री महावीर कोठारी और अमरत्व की ओर नामक पुस्तक के दो भाग को इस पुस्तक के संपादक श्री पुखराज सेठिया ने श्रीचरणों में अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। स्थानकवासी मुनिश्री को आचार्यश्री की जीवन पर आधारित ग्रंथ ‘ज्योतिचरण’ को साउथ कोलकाता सभा के अध्यक्ष श्री विजयसिंह चोरड़िया व अन्य में उपहृत की। कार्यक्रम का संचालन साउथ कोलकाता तेरापंथी सभा की उपाध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा कोठारी ने किया।
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