जीवन में संस्कारों का सम्प्रोषण-मुनि प्रशांत
मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य एवं मुनि श्री कुमुद कुमार जी के निर्देशन में एवम तेरापन्थ युवक परिषद के तत्वावधान मे किशोर मंडल द्वारा "माता-पिता के प्रति हमारा दायित्व" भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई।मुनि प्रशांत कुमार जी ने संबोधित करते हुए कहा-जीवन में संस्कारों का महत्व जानकर उन्हें बढ़ाने का सलक्ष्य प्रयास करना चाहिए।जागरूक अभिभावक से पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कार,संस्कृति एवं सभ्यता परम्परा के साथ जीवन के आदर्श मूल्यों का सम्प्रोषण होता है।माता-पिता अपने बच्चों के के लिए बहुत कुछ करते हैं।जन्म ही नहीं जीवन का सर्वांगीण विकास हो वैसा प्रयास करते हैं।जो माता-पिता अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते हैं उन्हें अपने बच्चों का शत्रु माना जाता है।मां बच्चे की पहली पाठशाला होती है और पिता उसका संरक्षक होता है।वर्तमान की भोगवादी संस्कृति एवं स्वार्थवादी मनोवृति के कारण युवा एवं किशोर अपने कर्तव्य से विमुख हो रहे हैं।मेरे कारण से माता पिता को दुखी न होना पड़े वैसा संकल्प लेकर जीवन जीयें तो परिवार स्वर्ग के समान हो जाता है।भारतीय साहित्य में मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम,श्रवण कुमार एवं भगवान महावीर जैसे प्रेरक उदाहरण आज भी हमारे लिए प्रेरणादायी है।
कार्यक्रम की शुरुआत चिराग बोथरा,रौनक नाहटा,क्रांति बाँठिया एवं ऋषभ बाफना के मंगलाचरण से हुई।समय पालक की भूमिका बजरंग जी बोथरा एवं निर्णायक की भूमिका स्थनकवासी समाज के वरिष्ठ श्रावक घीसुलाल जी हिंगड़ ने निभाई।10 से 35 वर्ष तक के जूनियर सीनियर ग्रुप में प्रतियोगिता आयोजित हुई।प्रथम स्थान रुचिका भंसाली एवं महक सुराणा,द्वितिय स्थान निखिल वेदमुथा,गुणवंती बोहरा एवं लोकेश भंसाली, तथा तृतीय स्थान तनिष्क भंडारी ने प्राप्त किया।धन्यवाद तेयुप अध्यक्ष निर्मल बेंगवानी ने व्यक्त किया।कार्यक्रम का कुशल संचालन तेयुप सहमंत्री रोहित चोरड़िया ने किया।
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