संगीत है सुरों की साधना-मुनि प्रशांत
कोयम्बत्तूर। मुनि प्रशांत कुमार जी के सान्निध्य एवं मुनि श्री कुमुद कुमार जी के निर्देशन में तेरापंथ कन्या मंडल द्वारा"संगीत प्रतियोगिता" का आयोजन किया गया। परिषद को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांत कुमार जी ने कहा-संगीत में शब्दों की गुम्फन के साथ भावों के प्राण का संचार किया जाता है। गीत गायन ही नहीं अपितु सुरों की साधना है।गीत से पशु-पक्षी,मनुष्य एवं देवता भी वशीभूत हो जाते हैं। संगीत की विविध रागों से बीमारी का भी निदान होता है। मेघ मल्हार राग से बारिश हो सकती है तो सैनिकों के भीतर शूरवीरता का जोश भरने काम भी संगीत करता है। संगीत से संसार का चित्रण किया जाता है। गीत से आध्यात्मिकता वैराग्य बोध की प्रेरणा दी जाती है। देश भक्ति एवं व्यक्ति के प्रति प्रेम प्रकट करने का माध्यम भी गीत बन जाता है।संगीत से मन को सुकून मिलता है। गीत को गाते समय अपने आपको इतना तल्लीन बना लेना चाहिए कि परमानंद का अहसास हो सके। प.पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी ने गीत कला में निष्णात बनकर अनेकों साहित्य का निर्माण किया। कितनी ही घटनाओं का समावेश कर इतिहास की जानकारी कराने के सूत्र दिए।जयाचार्य ने चौबीसी में तत्व,दर्शन,चार गति एवं संसार की नश्वरता का सुंदर चित्रण किया। भारतीय साहित्य में अनेकों विद्वानों ने अपनी लेखनी से जीवंत प्रेरणा दी है। इस कला में और अधिक विकास कर आनंद की अनुभूति करें।
कार्यक्रम की शुरुवात माधुरी एवं नेहा छाजेड़ के मंगलाचरण से हुई। सिल्वर ग्रुप में प्रथम निष्ठा सुराणा, द्वितीय महिमा बोथरा, तृतीय करिश्मा भंडारी, गोल्डन ग्रुप में प्रथम गुणवंती बोहरा, द्वितीय नेहा बैद, तृतीय प्रियंका बेंगाणी, प्लेटिनम ग्रुप में प्रथम नीलम बैद, द्वितीय वंदना पारख एवं तृतीय दीपिका बोथरा रहे। प्रोत्साहन पुरस्कार पूर्वी गोलछा, सांची गोलछा, शांति देवी सुराणा एवं संपत देवी लूणिया को मिला। निर्णायक की भूमिका नवीन नाहटा, बबिता गुनेचा एवं अनिता बोहरा ने निभाई। कार्यक्रम का कुशल संचालन रुचिका भंसाली एवं प्रियल गोलछा ने किया। आभार कन्या मंडल प्रभारी मधु चोरड़िया ने व्यक्त किया।
:
1 Comments
Om arham
ReplyDeleteLeave your valuable comments about this here :