दिनाँक 29.09.17 को तेरापंथ भवन,हिरियूर में साध्वी श्री लब्धिश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा हिरियूर द्वारा सुश्री अमीषा सुराणा के अठाई तप का अभिनंदन किया गया। श्रीमती शांति देवी सालेचा 17 व श्रीमती सुमन सुराणा ने 12 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया तो पूरा सभा भवन ॐ अर्हम की ध्वनि से गुंजयमान हो उठा । इस अवसर पर साध्वीश्री लब्धिश्रीजी ने अपने उद्बोधन में फरमाया तपस्या कर्मो को क्षीण करने का एक सशक्त माध्यम है। मोक्ष प्राप्ति के चार साधनों में एक साधन है - तपस्या। आत्मा की पवित्रता,मन कि निर्मलता के साथ कर्मो की निर्जरा-यह तपस्या का सुफल है। साध्वीश्रीजी ने आगे कहा कि गुरुदेव की कृपा से हिरियूर वासियों में तप करने की विशेष रुचि दृश्यमान हो रही है। तप के क्षेत्र में सभी आगे बढ़े। हमारे तपस्वी साधु साध्वियों ने संघ की नींव को गहराया है। श्रावक श्राविकाओं ने भी अपना विशेष योगदान दिया है। शांतिदेवी यानि दुर्गचन्दजी के घर पहले दो मासखमण और एक अठ्ठाई हो चुकी है । वर्तमान में नणद-भाभी मासखमण की तैयारी करे यही मंगलकामना है । तपस्विनी बहनों ने बड़े ही घृतिबल व आत्मबल का परिचय दिया है । साध्वीश्री लब्धिश्रीजी ने अपने प्रेरणादायी उक्त उद्बोधन के साथ स्वरचित सुमधुर संगीत की स्वरलहरी से जनमेदिनी को आह्लादित किया ।
कार्यक्रम की शुरुवात साध्वी श्री आराधना श्रीजी के द्वारा मंगलाचरण से हुई। साध्वी हेमयशाजी ने संघीय उदाहरणों के माध्यम से तप व जप का महत्व बताया । श्रीमती संतोष व अनीताजी की तपस्या पर प्रकाश डाला । अपने संयोजकीय वक्तत्व में श्री देवराजजी ने सभी को आह्वान किया कि साध्वीश्रीजी से हमारे नाम की गीतिका बनवानी है तो तपस्या का एक थोकड़ा अवश्य करें । सभी ने तपस्या की भूरि - भूरि प्रशंसा की । श्री नरेश तातेड़ ने उक्त जानकारी दी।
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