23 अक्टूबर 2017-- कृष्णानगर(दिल्ली)-'शासन श्री' मुनि श्री विजय कुमार जी के सानिध्य में इस चतुर्मास में 7व उससे अधिक मासखमण तक व 31 की तपस्या के 39 तपस्वी भाई-बहिनो का तेरापंथी सभा गांधीनगर द्वारा तप अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया ।
'शासन श्री' ने कहा- भगवान महावीर ने तप के 12 प्रकार बताये है,उपवास आदि तपस्याएं अनशन के अंतर्गत आती है। उनोदरी, रस परित्याग आदि तपस्या का अभ्यास किया जाना चाहिए ।बाह्य तप से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है आभ्यन्तर तप है।उपवास आदि तपस्या के साथ आभ्यन्तर तप जुड़ जाए तो सोने पे सुहागा हो जाता है ।तप का मार्ग दृढ़ मनोबल वाला व्यक्ति ही स्वीकार कर सकता हैं।मुनि श्री ने प्रेरणा देते हुए तेरापंथ इतिहास में अनेक तपस्वियों का उल्लेख करते हुए तप के मार्ग पर अग्रसर रहने की प्रेरणा प्रदान की। अनुमोदना के क्रम में मुनि श्री प्रतीक कुमार जी,मुनि श्री रमणीय कुमार जी,अमृत-वाणी के अध्यक्ष श्री सुखराज सेठिया, अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री अशोक संचेती,अणुव्रत विश्व भारती के मुख्य न्यासी श्री तेजकरण सुराणा,दिल्ली सभा मंत्री श्री अशोक बैद,गाँधी नगर सभाध्यक्ष श्री सुपारस मल दुगड़,शाहदरा सभाध्यक्ष श्री निर्मल कोठारी बैद, तेयुप दिल्ली के अध्यक्ष श्री राजेश भंसाली,दिल्ली अणुव्रत समिति उपाध्यक्ष श्री शान्तिलाल पटावरी, तेमम दिल्ली की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती मंगला कुंडलिया,विकास मंच के अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश सुराणा,ओसवाल समाज अध्यक्ष श्री बाबूलाल दुगड़, तपोनिष्ठ श्रावक श्री पारस मल जी बोथरा ने अपने भाव व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ तेमम की बहिनो की तप-अनुमोदना से हुआ । तपस्वियों का सम्मान तेरापंथी सभा द्वारा मोमेन्टो से किया गया । जीवन-विज्ञान व प्रेक्षा-ध्यान के विशेष उपक्रम में सभा सहयोगी रहे श्री विमल गुनेचा व राज गुनेचा का तुलसी-साहित्य ग्रंथ से सभा द्वारा सम्मानित किए गए । सभा को विभिन्न कार्यकर्मो में विशेष सेवा देने हेतु सभा के कार्यकारिणी सदस्य श्री अनिल पटवा को तुलसी साहित्य ग्रन्थ से सम्माननित किया गया । कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं तपस्वियों का परिचय सभा मंत्री महेंद्र कुमार श्यामसुखा ने किया ।
कार्यक्रम में तेरापंथी सभा शाहदरा,तेयुप, विकास मंच, ओसवाल समाज एवं अन्य सभी संघीय संस्थाओ के पदधिकारिओ की उपस्थिति रही ।
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