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पाँच कारणों से आदमी सुगति को प्राप्त कर सकता है : आचार्यश्री महाश्रमण

- तूफान का खलल: महातपस्वी ने प्रवास स्थल को ही बनाया प्रवचन पंडाल
- दृढ़संकल्पी आचार्यश्री के सामने नतमस्तक प्राकृतिक आपदा, तूफान व बारिश में किया मंगल प्रवचन
- प्रवास स्थल में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने सुगति प्राप्ति का बताया मार्ग
- चारित्रात्माओं में सबसे लंबे आयुष्य पर्याय की साध्वी बिदामांजी को आचार्यश्री ने प्रदान किया ‘सुदीर्घजीवी’ उद्बोधन
- आचार्यश्री ने उनके प्रति की मंगलकामना, साध्वीवर्याजी ने व्यक्त की मंगलकामना
- जैन विश्व भारती ने आचार्यश्री के समक्ष प्रदान किए और दो अन्य पुरस्कार
- पूर्व परिवहन व श्रममंत्री श्री ऑस्कर फर्नांडिस ने किया आचार्यश्री के दर्शन, दी भावाभिव्यक्ति 
आचार्यश्री महाश्रमणजी

          09 अक्टूबर 2017 राजरहाट, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) (JTN) : रविवार की देर रात के बाद से कोलकाता महानगर व आसपास के इलाकों में आया तूफान अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर के आसपास के रफ्तार से चल रही हवा के साथ लगातार हो रही बरसात ने जहां लोगों को सर्दी का अहसास करा रही है। तेज हवा और लगातार बरसात से पूरी तरह गीली हो चुकी मिट्टी के कारण सैकड़ों वृक्ष धराशाई हो गए हैं। इससे आवागमन में बाधा के साथ ही लोगों के दैनिक क्रियाओं में भी समस्या उत्पन्न हो गई है। इससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त नजर आ रहा है। 
          अचानक बदले इस मौसम के मिजाज ने सोमवार को कोलकाता के राजरहाट स्थित महाश्रमण विहार में प्रातः के मुख्य मंगल प्रवचन में खलल डालने का हर संभव प्रयास किया, किन्तु संकल्पों के धनी और संकल्प को सिद्धि तक ले जाने का दृढ़ निश्चय करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता, मानवता के मसीहा और प्रत्येक प्राकृतिक या कृत्रिम विपदा को गौण कर अपने पथ पर निरंतर आगे बढ़ने वाले महातपस्वी आचार्यश्री ने प्रवास स्थल के हॉल को ही प्रवचन पंडाल में बदल दिया और वहीं से प्रातःकाल का मंगल प्रवचन दिया तो मानों रौद्र रूप में दिख रहा तूफान के बरसात रूपी प्राकृतिक आपदा भी महातपस्वी के संकल्पशक्ति के आगे प्रणत नजर आ रहे थे। 
          आचार्यश्री ने अपने प्रातः के मंगल प्रवचन में लोगों को सुगति प्राप्ति के पांच कारणों प्रणातिपात विरमण, मृषावाद विरमण, अदत्तादान विरमण, मैथुन विरमण और परिग्रह विरमण की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि आदमी अपने जीवन में हिंसा से बचने का प्रयास करता है, झूठ बोलने से बचने का प्रयास करता है, चोरी करने से बचने का प्रयास करता है, अपनी इन्द्रियों का संयमित करने का प्रयास करता है और परिग्रहों से दूर होने का प्रयास करता है तो उससे कुछ अंश में आश्रव से बचाव हो सकता है। इससे आदमी के दुर्गति में जाने का रास्ता तो बंद ही हो जाता है। फिर आदमी का समय शुभ योग में लगता है और पुण्य का बंध करता है तो आदमी को सुगति की भी प्राप्ति हो सकती है। आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों को अपने पंच महाव्रतों को पूर्ण जागरूकता से पालन करने, श्रावकों को बारह व्रतों के पालन के प्रति सजग रहने तथा अजैन लोगों को अणुव्रत को स्वीकार कर उसका अनुपालन करने का प्रयास करे तो सुगति की प्राप्ति हो सकती है। आचार्यश्री ने ‘तेरापंथ प्रबोध’ आख्यान शृंखला में आचार्य मघवागणी के शासनकाल का सुन्दर वर्णन किया। 
           वहीं अनेक कीर्तिमान स्थापित करने वाले कीर्तिधर आचार्यश्री महाश्रमणजी एक और नए कीर्तिमान के संदर्भ में पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ के चारित्रात्माओं के अब तक के इतिहास में किसी ने भी शतायु प्राप्त नहीं किया था। आज साध्वी बिदामांजी ने 100वें वर्ष में प्रवेश कर एक कीर्तिमान स्थापि कर दिया है। वे संसारपक्ष में पींपली से संबद्ध हैं और वर्तमान में साध्वी उज्जवलरेखाजी के साथ कालू में हैं। वे शासनश्री साध्वी हैं। खूब चित्त समाधि रहे, खूब अच्छी साधना चलती रहे, स्वाध्याय व जप आदि का कार्य भी चलता रहे। मने संयम की खूब निर्मलता बनी रहे। उनका संयम पर्याय औ आगे बढ़े, ऐसी मंगलकामना करता हूं।            इस मौके पर आचार्यश्री ने उनके शतायु होने के संदर्भ में विशेष उद्बोध प्रदान करते हुए शासनश्री साध्वी बिदामांजी को ‘सुदीर्घजीवी साध्वी’ संबोधन प्रदान किया। आचार्यश्री के पावन संबोध के उपरान्त साध्वीवर्याजी ने सुदीर्घजीवी साध्वी बिदामांजी के प्रति अपनी मंगलकामना व्यक्त कीं। 
          इसके उपरान्त आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में जैन विश्व भारती द्वारा एम.जी. सरावगी फाउण्डेशन, कोलकाता द्वारा प्रायोजित वर्ष 2016 का गंगादेवी सरावगी जैन विद्या पुरस्कार श्रीमती पुखराज सेठिया एवं वर्ष 2017 का पुरस्कार श्रीमती सुषमा आंचलिया को जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री रमेशचंद बोहरा व न्यासी प्रमोद बैद तथा अन्य पदाधिकारियों व प्रयोजकों द्वारा प्रदान किया गया। पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी। इसके पूर्व जैन विश्व भारती के न्यासी श्री प्रमोद बैद ने स्वागत वक्तव्य दिया। 
          आचार्यश्री ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं व प्रदान करने वाले संस्था व प्रयोजकों को मंगल आशीष प्रदान करते हुए कहा कि सम्मान जिसको मिला है और जिसने दिया है, दोनों के जीवन में आध्यात्मिकता का विकास होता रहे। 
          दूसरी ओर आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे पूर्व परिवहन और श्रममंत्री श्री ऑस्कर फर्नांडिस ने आचार्यश्री का दर्शन किया पावन प्रवचन का श्रवण करने के उपरान्त आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आचार्यजी! आप जो अपनी अहिंसा यात्रा के साथ हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पश्चिम बंगाल की धरती पर चतुर्मास करने के लिए पहुंचे हैं, वह हम सभी के बहुत प्रेरणादयक है। आप मानवता के कल्याण के लिए जो कार्य कर रहे हैं, वह अद्भुत है। मैं आपकी सन्निधि में उपस्थित हुआ, यह मेरा सौभाग्य है। हम आपकी मंगल यात्रा के प्रति शुभकामना देते हैं कि आपकी मानवता को समर्पित यात्रा ऐसे ही चलती रहे। अंत में उन्हें अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के पदाधिकारियों व सदस्यों द्वारा स्मृति चिन्ह व साहित्य प्रदान कर सम्मानित किया गया। 










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