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20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि में तीर्थंकर के प्रतिनिधि

Aacharya Mahashraman Ji in Jharkhand 

मानव अपनी विकास यात्रा में समय की शिला पर जो पद चिन्ह अंकित करता है , वही कालान्तर में इतिहास के पृष्ठ बन जाते हैं। इतिहास केवल अतीत के गीत नहीं गातावह यह भी बताता है कि वर्तमान के संदर्भ में हमारी स्थिति क्या है और भविष्य में हम किस मंजिल पर अपना डेरा डाल सकते हैं ।

तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक महामना आचार्य भिक्षु द्वारा प्रवर्तित तेरापंथ का इतिहास भले ही वर्षों तक ही सीमित क्यों न होहमारे दस आचार्यों के कालजयी व्यक्तित्व, आत्मकल्याण एवं जनप्रबोधन की दिशा में अग्रसर उनकी बहुआयामी उपलब्धियों के द्वारा जो अप्रतिम कीर्तिमान स्थापित किए हैंवे हमें और हमारी अगली पीढ़ियों को युगों युगों तक गौरवान्वित करते रहेंगे ।

तेरापंथ के नवम आचार्य गुरुदेव तुलसी ने पारम्परिक संघीय गतिविधियों के साथ साथ विशिष्ट प्रवृतियों को संयोजित कर तेरापंथ के कार्य क्षेत्र को अमित विस्तार प्रदान किया । अणुव्रत मिशन को सामने रख कर आचार्य तुलसी ने पंजाब से कन्याकुमारी और कच्छ से कोलकत्ता तक भारत भूमि में भ्रमण किया । 

आज फिर से करीब 60 वर्षों के बाद यह इतिहास दोहराया जा रहा है तेरापंथ धर्म संघ के वर्तमान महासूर्य कहे जाने वाले महामनस्वी, महातपस्वी आचार्य महाश्रमण जी द्वारा ।गुरुदेव तुलसी लगभग 60 वर्ष पूर्व झारखंड व सम्मेदशिखर की धरा पर पधारे थे । आज अर्धसदी के बाद उन्हीं अमूल्य क्षणों की अनुभूति दिलाई है ग्यारहवें आचार्य महाश्रमण जी ने । 

आप श्री अपनी विशाल धवल सेना के साथ अहिंसा यात्रा को लेकर जन जन तक अहिंसा सदभावना व नैतिकता का संदेश पहुंचा रहे हैं। यह अपने आप मे एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। अहिंसा यात्रा का रथ आज झारखंड की सीमा में प्रवेश कर चुका है । यह अद्भुत दृश्य आज सम्पूर्ण श्रावक समाज को गौरव की अनुभूति करवा रहा है । अपेक्षाओं का विस्तार बढ़ जाता हैजब इतने महान आचार्य जनकल्याण हेतु देश विदेश में पद यात्रा कर आध्यात्मिकता का प्रकाश फैला रहे हों।
अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने भारत देश सहित नेपाल और भूटान व करीब करीब बाइस राज्यों की पदयात्रा कर आपने तेरापंथ धर्मसंघ के अवदानों को और अधिक व्यापक विस्तार दिया ।  तेरापंथ श्रावक समाज की अपेक्षाऐं आज गूँज गूँज कर कह रही हैं किगुरुदेव की यह अहिंसा यात्रा आज के भौतिक युग की वैश्विक समस्याओं का निवारण  करने में सक्षम रहेगी । इस यात्रा के बहुत ही व्यापक परिणाम प्राप्त होंगे । यह यात्रा अपने आप मे एक ऐतिहासिकसामाजिक व धर्मक्रान्ति की उपलब्धि प्रदान करेगी । आनेवाला युग गुरुदेव की इस दूरदर्शिता से कभी उऋण नहीं हो पायेगा । 

"कृतज्ञ है आज झारखंड का कण कण , पावन हुई धरा बोल रहा ये जन जन"
आचार्य तुलसी की पारखी नज़र ने मुदित  को चुन लिया ।
प्रज्ञा की आँख ने महाश्रमण को परख लिया ।
चाँद सूरज बन गयाइस संघ का शुभभविष्य संवर गया ।
विरल व्यक्तित्व ने आज फिर से नया इतिहास रच दिया ।।
प्रस्तुति- अलका मेहता

प्रस्तुति - अलका मेहता

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