अभातेयुप जैतस का 8 वाँ स्थापना दिवस समाज के विकास में
सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका
गंगावती 31•10•17 मंगलवार, सोशल मीडिया के माध्यम से तेरापंथ प्रचार प्रसार में उल्लेखनीय योगदान निभाने वाले अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद जैन तेरापंथ समाचार के 8 वें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हो रहे कार्यक्रम के अन्तर्गत गंगावती के तेरापंथ भवन में आचार्य महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी सुदर्शनाश्रीजी के सान्निध्य में गंगावती तेरापंथ युवक परिषद द्वारा सोशल मीडिया के सम्यग प्रयोग विषयक कार्यशाला आयोजित की गई ।
नमस्कार महामन्त्र उच्चारण और ममता सुराणा द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से शुरू हुई कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित गंगावती मेडीशियन ऐशोसियेशन अध्यक्ष और पत्रकार एवं एडवोकेट अशोक स्वामी हेरूर ने सोशल मीडिया के सम्यग प्रयोग को विकासशील समाज की आधारशीला बताकर हर तरह समाजोपयोगी कार्य के लिए महत्वपूर्ण बताया।उन्होंने फास्ट युग और व्यक्ति की फास्ट दिनचर्या पर विशेष चर्चा करके कहा कि त्वरित कार्यवाही और हाथों हाथ सूचना के आदान प्रदान आदि में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इस अवसर पर उपस्थित गंगावती के सम्पूर्ण जैन समाज अनुयायियों को सम्बोधित करते हुए साध्वी सुदर्शनाश्रीजी ने कहा कि नई नई प्रतिभाओं को उजागर करने में एवं आपस में एक दूसरे के बीच मैत्रीयुक्त सम्पर्क स्थापित करने में सोशल मीडिया का सम्यग उपयोग कारगर सिद्ध हो सकता है और सोशल मीडिया के सम्यग उपयोग से व्यक्ति सफलता के शिखर को छुता हुआ विकास के नये नये आयाम स्थापित भी कर सकता है आवश्यकता इस बात कि आधुनिक टेक्नालॉजी की इस अदभूत देन सोशल मीडिया को समझे, जाने और पहचानै तथा इसका सम्यग उपयोग करे।
साध्वी पूनितयशाजी, साध्वी प्रगतिप्रभाजी व साध्वी लक्षितप्रभाजी ने तेरापंथ धर्मसंघ के व्यापक प्रचार प्रसार में JTN को अच्छा उपयोगी बताया।
तेयुप अध्यक्ष राजेन्द्र चौपड़ा ने कार्यशाला का सफल संचालन कर श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया तथा वरिष्ठ श्रावक पन्नालाल सुराना ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया ।कार्यशाला में सोशल मीडिया पर आधारित तेरापंथ कन्या मण्डल द्वारा प्रस्तुत रोचक परिसंवाद सबको आकर्षित करने वाला रहा।
कार्यशाला में तेरापंथ सभाध्यक्ष सुरेश चौपड़ा के नेतृत्व में तेयुप व तेमम के सभी सदस्यों की उपस्थिति के साथ ही मूर्तिपूजक व स्थानकवासी सहित गंगावती का सकल जैन समाज की गरिमामय उपस्थिति रही।
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