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मंगल भावना समारोह एवं वरिष्ठ श्रावक श्राविका सम्मान एवं तप अनुमोदना समारोह: दिल्ली



मंगल भावना समारोह एवं वरिष्ठ श्रावक श्राविका सम्मान एवं तप अनुमोदना समारोह: दिल्ली

12 नवंबर 2017, अणुव्रत भवन। शासनश्री मुनिश्री विजय कुमार जी स्वामी एवं मुनि श्री कुलदीप कुमार जी के सानिध्य में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, दिल्ली द्वारा आयोजित "मंगल भावना समारोह" एवं "वरिष्ठ श्रावक श्राविका सम्मान" (80+) एवं "तप अनुमोदना समारोह" की शुरुवात महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण से हुई। इस अवसर पर शासन श्री मुनि श्री विजय कुमार जी ने अपने मंगल उद्बोधन में श्रावक समाज को संबोधित करते हुए फ़रमाया- इस संसार मे अनेकानेक मार्ग हैं जो व्यक्ति को एक स्थिति तक ले जाने वाले होते हैं, लेकिन आगे जाकर वे अवरुद्ध हो जाते हैं। केवल वीतराग प्रभु का मार्ग ही मंजिल तक ले जाने वाला होता है । हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें जिन धर्म, भैक्षव शासन मिला। हम आज यहां मंगल भावना में उपस्थित हुए हैं। मंगल भावना अपने आप में एक विशिष्ट उपक्रम है। मंगल भावना सबके लिए कल्याणकारी होती है। संत तो सभी के प्रति मंगल भावना रखने वाले होते हैं। मुनि श्री ने श्रावक समाज को विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि हर घर मे शाम के समय सभी जन उपस्थित हो 20 मिनट सामूहिक धर्मोपसना, अर्हत-वंदना, गुरु-वंदना करें। हर परिवार में शनिवार की सामायिक होनी चाहिए। आप केवल सांसारिक गतिविधियों में न उलझें धार्मिक गतिविधियां भी चलती रहें। व्यवहार के जीवन में भी धार्मिकता की पुट हमेशा बनी रहे। कृष्णा नगर क्षेत्र के श्रावकों का बहुत सहयोग मिला। सभी श्रावक सुविनीत हैं। चातुर्मास काल बहुत ही साताकारी रहा। 
मुनि श्री कुलदीप कुमार जी ने कहा जिस संस्था में पदाधिकारियों में आपसी तालमेल होता है, आपसी सामंजस्य होता है वही सभा संस्था अच्छा कार्य कर सकती है। हम इतने भाग्यशाली हैं कि ऐसा श्रावक समाज हमें स्वामीजी ने दिया है। हमारे श्रावकों में जो भक्ति की भावना है वो कहीं नहीं मिलेगी। हम सभी आचार्य श्री की दृष्टि की आराधना करें। हम धर्मसंघ की सेवा कर सकें या नहीं लेकिन धर्मसंघ की, साधु साध्वियों की उतरती बात न करें। ऐसा करना 'अपनी जाँघ उघाड़ना' है। आज का वरिष्ठ श्रावक सम्मान का कार्यक्रम आज के परिप्रेक्ष्य में इतना प्रासंगिक है, जहां आज बूढ़ों को वृद्धाश्रम में फेंक दिया जाता है, वहीं आज इस समाज में उन्हें  सम्माननीय, आदरणीय माना जाता है। ऐसा समाज सदैव आगे बढ़ता है। मुनिश्री प्रतीक कुमार जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा कि साधु अप्रतिबद्ध विहारी होते हैं। वे आज यहां हैं कल कहीं होंगे। दिल्ली में आज हम हैं, कल कोई और आएंगे। व्यक्ति आता है और जाता है लेकिन  मर्यादा एवं श्रद्धा सदैव बनी रहनी चाहिए। मुनि श्री मुकुल कुमार जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में सेवा का महत्व बताते हुए कहा कहा जहां सेवा होती है, वही संघ आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली वाले बहुत सेवा भावी है  दिल्ली वालों ने दिल जीत लिया।
इससे पूर्व तेरापंथ युवक परिषद, दिल्ली के अध्यक्ष श्री राजेश जी भंसाली, तेरापंथ महिला मंडल की तरफ से पूर्व अध्यक्षा सरोज जैन, गांधी नगर सभा के अध्यक्ष श्री सुपारस जी दुगड़ तथा उत्तर मध्य दिल्ली सभा के अध्यक्ष श्री विनोद जी भंसाली ने अपने विचार व्यक्त किये। दिल्ली सभा के पदाधिकारियों द्वारा गीतिका की प्रस्तुति हुई। रोहिणी सभा के अध्यक्ष रतनलाल जी जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। उत्तर मध्य दिल्ली की बहनों द्वारा एक रोचक परिसंवाद की प्रस्तुति हुई। अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी श्री सम्पतमल जी नाहटा, दिल्ली सभा के अध्यक्ष गोविंदराम जी बाफना ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में विकास परिषद के संयोजक श्री कन्हैया लाल जी छाजेड़, समाज भूषण मांगीलाल जी सेठिया उपस्थित थे। श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्रीमति किरणदेवी आंचलिया को अभातेमम की तरफ से श्राविका गौरव से अलंकृत किया गया। कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि वरिष्ठ 105वर्षीय श्राविका श्रीमति रेशम देवी जैन स्वयं उपस्थित थीं। कार्यक्रम का सुंदर संचालन श्री प्रमोद जी घोड़ावत ने किया। कार्यक्रम के द्वितीय चरण का संयोजन करते हुए श्री शांतिकुमार जैन ने 80 वर्ष व उससे अधिक उम्र के 150 से अधिक श्रावक-श्राविका को दिल्ली सभा द्वारा मोमेंटो व साहित्य से सम्मानित कर उनके संघ के प्रति योगदान व उल्लेखनीय सेवा के बारे में विस्तृत जानकारी समाज के सामने प्रस्तुत कर नया इतिहास रचा। कार्यक्रम में दिल्ली सभा पदाधिकारिओं, संघीय संस्थाओं के पदाधिकारियों, क्षेत्रीय सभाओं के पदाधिकारियों व श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।

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